दिल्ली: ऐसा लगता है मानो 2024 को लेकर मराठा क्षत्रप शरद पवार अभी से सियासी समीकरण बिछाने निकल पड़े हैं। दो हफ्ते में, पहले पवार-प्रशांत किशोर की मुंबई में मुलाकात और सोमवार को फिर दोनों की मुलाकात बताती है कि सियासी बिसात पर मराठा क्षत्रप ने अपनी चालें तेज कर दी हैं। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये निकलकर आ रही है कि एनसीपी नेता शरद पवार ने मंगलवार को दिल्ली में विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई है लेकिन कांग्रेस को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया है।
बताया जा रहा है कि मंगलवार को दोपहर बाद चार बजे पवार के आवास पर राष्ट्रमंच की बैठक होगी जिसमें करीब 15 विपक्षी दलों के नेता शिरकत करेंगे। हालाँकि राष्ट्रमंच इस वक्त कोई राजनीतिक मोर्चा नहीं बना है लेकिन 2024 को लेकर विपक्षी नेताओं की गोलबंदी तेज होती है तो तीसरे मोर्चे का ताना-बाना बुनने का आधार बन जाए इसे लेकर नकारा भी नहीं जा सकता है।
दरअसल पवार की 2024 की बिसात पर उनका साथ दे रहे है पूर्व केन्द्रीय मंत्री और अब टीएमसी उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा। सिन्हा लगातार मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ हल्लाबोल करते रहे और 2018 में उन्होंने राष्ट्रमंच का गठन भी किया था। सिन्हा अब जब टीएमसी से जुड़ चुके हैं और उनके राष्ट्रमंच के प्लेटफ़ॉर्म पर एनसीसी प्रमुख की उपस्थिति बताती है कि शरद पवार और ममता बनर्जी की गोलबंदी भी कहीं न कहीं हो चुकी है और अब मोदी विरोध की राजनीतिक को एक अम्ब्रेला के तले लाने की कसरत शुरू कर दी गई है। राष्ट्रमंच की बैठक में शरद पवार की उपस्थिति वो भी तब जब कांग्रेस को इससे दूर रखा गया है, ख़ासा मायने रखती है।
सवाल है कि क्या पवार और ममता मिलकर मोदी विरोध का मंच तैयार करने में जुट गए हैं और इससे अभी कांग्रेस दूर रखकर बाद मे समर्थन को मजबूर करने की रणनीति तो नहीं बन रही!