सारे पेंच हो गए दूर! हरदा-हरक के रिश्तों में जमी बर्फ पिघल रही, अब ज्वाइनिंग एक औपचारिकता, चार दिनों में शेर ए गढ़वाल हो गए चित

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  • कांग्रेस में अभी तक एक परिवार एक टिकट का फ़ॉर्मूला
  • अब हरक चाहते बहू लड़े कांग्रेस चाह रही ससुर ही लड़े
  • आज हरक सिंह रावत की हो सकती है घर वापसी
  • बहू अनुकृति गुंसाई भी कांग्रेस की सदस्यता लेंगी

देहरादून/दिल्ली: ऐसा लगता है कि कांग्रेसी दहलीज़ पर खड़े हरक सिंह रावत का इंतजार खत्म होने वाला है। रविवार को हरक सिंह रावत को धामी सरकार से बर्ख़ास्तगी के साथ साथ भाजपा से भी छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। लेकिन जैसा कि माना जा रहा था कि भाजपा ने हरक सिंह को इसलिए अचानक रात्रि में बर्खास्त किया क्योंकि वह सुबह 11बजे कांग्रेस ज्वाइन कर सकते थे। लेकिन भाजपा के एक्शन के बाद कांग्रेस में हरक की एंट्री न सोमवार को हो पाई और न मंगलवार को ही। जाहिर है आसमान से गिरकर खजूर पर अटके आदमी की तरह हरक सिंह रावत की सियासी कश्ती एक झटके में मँझधार में फंस गई।

हरक सिंह के साथ ‘बंद मुट्ठी लाख की खुले तो खाक’ वाली स्थिति पैदा हो गई। भाजपा ने बर्खास्त कर कड़ा मैसेज देकर कांग्रेस को भी मौका दे दिया कि अब हरक सिंह रावत के पर अच्छे से क़तर देने का मौका है। कहां तो भाजपा में तीन सीट मांग रहे हरक सिंह रावत कांग्रेस में भी अपने अलावा एक से दो और टिकटों की बार्गेन करने की स्थिति में होते और कहां अब भाजपा में रहे नहीं कांग्रेस ज्वाइनिंग की राह में रोड़े खड़े हो गए। सबसे पहले तो हरीश रावत ने याद दिलाया कि 18 मार्च 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले लोकतंत्र के गुनाहगार हैं लिहाजा घर वापसी से पहले सार्वजनिक तौर पर अपने किए की माफी माँगनी होगी।

जाहिर है हालात के हिसाब से सियासी बिसात पर बाजी खेलने में माहिर हरक सिंह रावत ने देर नहीं लगाई और मंगलवार को ही कह दिया कि हरीश रावत बड़े भाई हैं और उनसे एक बार क्या सौ बार या एक लाख बार भी माफी मांग लेंगे। अब हरक सिंह रावत खुद को लोकतंत्र का गुनाहगार नहीं बल्कि संरक्षक बताते हुए उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बनवाने के लिए बिना शर्त काम करने का दम भर रहे हैं।

कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत की घर वापसी की तैयारी करीब-करीब पूरी हो चुकी है। हरक सिंह रावत के साथ उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुंसाई भी कांग्रेस की सदस्यता लेंगी। THE NEWS ADDA पर सूत्रों ने खुलासा किया है कि भाजपा से बर्ख़ास्तगी हो जाने और कांग्रेस में तेजी से उभरते विरोध के स्वरों को देखते हुए अभी हरक सिंह रावत को दो सीटें मिलना मुश्किल है। संभव है कि हरक सिंह रावत को लैंसडौन सीट ऑफ़र होगी और वहाँ से वे खुद लड़ेंगे या अपनी बहू को लड़ाएँगे इसका फैसला उनका होगा। वैसे जानकार सूत्रों ने कहा है कि अगर बहू के लिए लैंसडौन सीट मिलने पर किसी भी चुनौतीपूर्ण सीट पर भाजपाई दिग्गज से भिड़ने को तैयार हैं। फिर चाहे चौबट्टखाल में सतपाल महाराज से दो-दो हाथ करने पड़े या डोईवाला में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुकाबला करना पड़े।

हालाँकि हरक की कांग्रेस में घर वापसी का विरोध भी शुरू हो गया है। लेकिन हरक के तेवर ढीले पड़ चुके हैं और हरीश रावत से लेकर प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल के साथ बातचीत के बाद बर्फ पिघल रही है। हरक सिंह रावत की पहली कोशिश कांग्रेस में एंट्री पाने की है जिसके बाद वे अपने पत्ते खेलना शुरू करेंगे।

यह भी सच है कि भले हरक सिंह रावत हरदा को अपना बड़ा भाई करार दे रहे हों लेकिन कांग्रेस में घर वापसी का मतलब प्रीतम सिंह की कोशिशों का ही परवान चढ़ना होगा। यह प्रीतम सिंह ही थे जो अरसे से हरक की घर वापसी की पटकथा लिखने में लगे हुए थे। हालाँकि हरीश रावत ने हरक की वापसी पर ब्रेक लगवाकर साफ संदेश दे दिया है कि कांग्रेस में उनको नजरअंदाज कर हरक सिंह रावत आगे नहीं बढ़ पाएंगे।


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