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TSR-1 ने तारीख़ दर तारीख़ TSR-2 को किया एक्सपोज़!कुंभ कोविड फ़र्ज़ी जांच घोटाले में सीएम तीरथ दोषियों को न बख़्शने का ढोल पीट रहे और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र उनकी ही पोल खोल रहे

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देहरादून: हरिद्वार महाकुंभ में फ़र्ज़ी कोविड टेस्टिंग घोटाला तीरथ सरकार के गले की फाँस बन गया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने हाईकोर्ट सिटिंग जज की निगरानी में जांच की माँग तो की ही है। कोरोना मौतों को लेकर सीएम तीरथ के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की माँग भी कर डाली है।


ये तो रही विपक्षियों के हमले की बात लेकिन सीएम तीरथ सिंह रावत को असल चोट पहुँचा रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत। वैसे जंग का आगाज खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह कहकर किया था कि कुंभ में कोविड के नाम पर हुआ फ़र्ज़ी टेस्टिंग स्कैम उनके सीएम बनने से पहले का पुराना मामला है लेकिन वे जांच कराकर दूध का दूध और पानी कर पानी कर देंगे। मतलब साफ था कि मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री के सिर इस घोटाले का ठीकरा फोड़ अपना दामन बचाना चाहा। लेकिन अब मुख्यमंत्री तीरथ के वार पर पलटवार की बारी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की थी और टीएसआर-1 लगातार मुख्यमंत्री पर कुंभ में फ़र्ज़ी टेस्टिंग को लेकर हमला बोल रहे हैं। टीएसआर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि कुंभ के सुपर स्प्रेडर बनने को लेकर उनकी चिन्ता और डर निर्मूल नहीं थे बल्कि ये आज सच साबित हो गया है। टीएसआर ने कहा कि इसी आशंका के चलते उन्होंने कई कड़े कदम कुंभ आयोजन के दौरान उठाए थे।


पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ में फ़र्ज़ी कोरोना टेस्टिंग 10 मार्च से पहले होने के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा है,

“मेरी जानकारी के अनुसार जो तीन निजी लैब फ़र्ज़ीवाड़े को लेकर सवालों के घेरे में हैं, उनके साथ MoUs 10 या 11 मार्च के आसपास किया गया था और टेस्टिंग कार्य के लिए 23 मार्च को क़रार किया गया था। कुंभ की SOP 24 मार्च को जारी की गई। मैं इस मुद्दे पर किसी के साथ तर्क-वितर्क नहीं करना चाहता हूँ लेकिन ये तथ्य सभी जानते हैं कि कुंभ आयोजन 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच आयोजित किया गया था। लेकिन महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि इस अपराध के दोषियों पर कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए। यह साफ़ तौर पर हत्या के प्रयास का मामला है।”


टीएसआर-1 ने कहा कि लोगों को पूरा अधिकार है कि फ़र्ज़ी टेस्टिंग कांड के अपराधी बेनक़ाब हों। पूर्व सीएम ने कहा,

”अगर जाँच ज़िला या राज्य अथॉरिटी के स्तर पर होगी तो लोगों को जाँच के नतीजों पर संदेह होगा। इसलिए मैं सरकार से दरख्वास्त करता हूँ कि हाईकोर्ट के सिटिंग जज से इसी न्यायिक जाँच कराई जाए ताकि लोगों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।”


पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि इस पहलू की भी गहराई से जाँच होनी चाहिए कि आख़िर वो कौनसी परिस्थितियाँ थी जिनके तहत हरिद्वार ज़िला प्रशासन और कुंभ मेला अधिकारियों द्वारा फ़र्ज़ी टेस्टिंग के संदेह के घेरे में आई प्राइवेट लैब फर्म बिना टेंडर के अनुबंधित कर ली गई।

“ बिना टेंडर निकाले इन निजी लैब कंपनियों को सीधे क़रार कर टेस्टिंग कार्य सौंप दिया गया, ये हरिद्वार ज़िलाधिकारी या स्वास्थ्य विभाग किसकी सहमति से किया गया इसकी भी पड़ताल किए जाने की दरकार है।”

साफ़ है विपक्ष छोड़िए अब घर के भीतर से न्यायिक जाँच की माँग और फ़र्ज़ी टेस्टिंग घोटाले का समय मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल का बताकर त्रिवेंद्र रावत ने तीरथ सरकार को बैकफ़ुट पर पहुँचा दिया है। सवाल है कि अब सीएम तीरथ कैसे ख़ुद को पाक साफ़ साबित करते हैं ये देखना होगा।

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