देहरादून: रविवार यानी 3 अक्टूबर को विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा उत्तराखंड की सभा माजरा देहरादून स्थित पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के कार्यालय पर हुई| इस सभा में मोर्चा द्वारा ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एंप्लाइज तथा ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष इंजीनियर शैलेंद्र दुबे का स्वागत किया गया| आज की सभा अध्यक्षता हाइड्रोइलेक्ट्रिक एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष केहर सिंह तथा संचालन मोर्चा संयोजक इंसारूल हक ने किया| मोर्चा की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता का आयोजन किया जिसमें इंजीनियर शैलेंद्र दुबे तथा मोर्चा सह संयोजक राकेश शर्मा द्वारा वर्तमान हड़ताल की परिस्थितियों तथा कारण के बारे में अवगत कराया गया|
पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से अपील की गई कि ऊर्जा कार्मिकों के साथ वर्ष 2017 से अब तक हुए सभी समझौतों के सम्मान तथा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत बिजली कर्मचारियों की सेवा करते कमतर न किए जाने के प्रावधानों के तहत 9-14 -19 वर्ष में एसीपी की व्यवस्था तत्काल फिर से प्रारंभ की जाए|
मोर्चा द्वारा बताया गया कि ऊर्जा निगमों के प्रबंधन द्वारा गलत बयानी की जा रही है कि कर्मचारियों की 14 सूत्रीय समस्याओं में कोई भी नई मांग नहीं है। यह वही सुविधाएं हैं जो पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के समय से विद्युत अधिनियम 2003 रिफॉर्म एक्ट 1999 तथा अन्य समझौतों के तहत लगातार पांचवें तथा छठे वेतन आयोग में भी वर्ष 2017 तक मिलती रही हैं। इनको लागू करने पर मात्र लगभग 93 लाख प्रति माह का खर्चा तीनों निगमों पर आता है|
प्रेस वार्ता में इंजीनियर शैलेंद्र दुबे द्वारा अवगत कराया गया कि पूरे देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी उत्तराखंड के कर्मचारियों के समर्थन में खड़े हैं तथा जिन राज्यों को प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को ड्यूटी हेतु भेजने के पत्र भेजे गए थे उनमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल तथा हरियाणा अन्य राज्यों की कर्मचारी फेडरेशन ने उत्तराखंड में ड्यूटी करने आने से मना कर दिया है। तथा अरबों-खरबों रुपए के पावर प्लांट संयंत्र टरबाईन एवं अन्य उपकरण जो राष्ट्र की संपत्ति है उन पर अप्रशिक्षित तथा ठेकेदारों से कर्मचारी लाकर कार्य कराना उनकी जान को जोखिम में डालना तथा राष्ट्रीय संपत्ति को रिस्क में लाने वाली स्थिति है। शैलेंद्र दुबे तथा मोर्चा संयोजक ने पुन: मुख्यमंत्री धामी तथा ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से प्रभावी हस्तक्षेप करते हुए उत्तराखंड को बिजली हड़ताल से बचाने का निवेदन किया। तथा यह स्पष्ट किया कि बिजली कर्मचारियों का हड़ताल करना कोई मकसद नहीं है, उनका ध्यान अपनी उन जायज समस्याओं के प्रति है, जो वर्ष 2017 से निरंतर लंबित रखी जा रही हैं। मोर्चा द्वारा अपील की गई कि बिजली कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा अब और ना ली जाए।
आज की बैठक में उत्तराखंड पावर इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष कार्तिकेय दुबे, महासचिव अमित रंजन, उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश चंद्र पंत , विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज सैनी, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ के प्रमुख महामंत्री शांडिल्य, विद्युत संविदा संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि, ऊर्जा कामगार संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपक बैनीवाल, महामंत्री मनोज पंत, ऊर्जा आरक्षित वर्ग एसोसिएशन के अध्यक्ष नत्थू सिंह रवि तथा बीरबल सिंह, लेखा एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र ध्यानी, प्राविधिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भगवती प्रसाद तथा महामंत्री सुनील मोगा,भानु प्रकाश जोशी पवन रावत ,,सौरभ पांडे ,बबलू सिंह, भारत भूषण गैरोला,अमित कुमार ,जतिन सैनी, प्रदीप प्रकाश शर्मा आदि ने भाग लिया।
मोर्चा द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान होने तक आंदोलन यथावत जारी रहेगा और यह भी स्पष्ट किया गया किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न अथवा गिरफ्तारी की स्थिति में तत्काल प्रभाव से हड़ताल प्रारंभ हो जाएगी।