देहरादून: तीरथ सरकार में जिन मंत्रियों पर मुख्यमंत्री ने सबसे ज्यादा भरोसा किया उनमें अग्रिम पंक्ति में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल शुमार करते हैं। तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनते ही कैबिनेट में सरकार का प्रवक्ता कौन हो इस पर खूब मंथन के बाद ये ज़िम्मेदारी कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को सौंपी थी। अब जीएसटी जैसे जटिल लेकिन राज्य के लिहाज से बेहद अहम विषय पर मोर्चेबंदी का ज़िम्मा भी सीएम तीरथ ने सुबोध उनियाल को दे दिया है।
दरअसल, मोदी सरकार ने GST को लेकर राज्य राज्यों के मंत्रियों का समूह ( Group of Ministers-GoM) बनाया है जिसमें उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व शासकीय प्रवक्ता और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल करेंगे। मंत्री समूह के को-ऑर्डिनेटर उड़ीसा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी करेंगे और जीओएम में उनियाल के अलावा यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, मप्र के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, केरल के वित्त मंत्री केएन बालागोपाल, हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया रहेंगे।
शासकीय प्रवक्ता जैसी अहम ज़िम्मेदारी देते वक़्त सीएम तीरथ रावत ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत से लेकर यशपाल आर्य, बंशीधर भगत सहित कई नामों पर मंथन किया लेकिन इसके लिए सबके बेहतर चॉइस के तौर पर भरोसा कैबिनेट मंत्री उनियाल पर ही किया गया। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के साथ विभिन्न दौरों से लेकर बैठकों में सुबोध की सक्रियता साफ दिखाई देती है। अपने विधानसभा क्षेत्र नरेन्द्रनगर में ‘नेताजी’ के तौर पर मशहूर उनियाल पिछले ढाई महीनों में कोविड कर्फ़्यू से जुड़े सवालों से जूझने से लेकर पीपीई किट पहनकर मरीजों से मिलते सबसे पहले नजर आए।
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हालॉकि 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सरकार बनने के बाद अपनी पृष्ठभूमि के विपरीत कृषि और उद्यान जैसे जटिल विभाग मिलने पर सुबोध उनियाल ने खुद कहा था कि मानो सीएम टीएसआर ने क्रिकेट खेलने वाले को हॉकी स्टिक थमा दी लेकिन नतीजे यहाँ भी देंगे। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के हाथों कर्नाटक में कृषि कर्मण अवार्ड उत्तराखंड को मिला और ऑर्गेनिक खेती को लेकर कई मंचों से उत्तराखंड को तारीफ मिली।
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अब तीरथ सिंह रावत रिजीम में मुश्किल मोर्चे पर सुबोध उनियाल की बार-बार आजमाइश उन पर मुख्यमंत्री के बढ़ते भरोसे की बानगी है। बताते हैं कि कैबिनेट बैठकों में भी सुबोध उनियाल तथ्यों के साथ अपना पक्ष रखकर कई तथाकथित तेज़तर्रार अफसरों को मौन मंत्र की महिमा समझा चुके हैं। अफ़सरशाही से काम लेने के लिए कड़क मिज़ाजी वाले ‘नेताजी’ नरेन्द्रनगर की कठिन सियासी डगर पर स्थानीय लोगों में अपनी गहरी पैठ के चलते 2022 को लेकर कॉंफिडेंट नजर आते हैं। सियासी गलियारे में कांग्रेसी गोत्र बनाम मूल भाजपाई बहस के इतर वरिष्ठ केन्द्रीय नेताओं से लेकर मंत्रियों और संघ पदाधिकारियों में सुबोध उनियाल की स्थिति काफी मजबूत समझी जाती है।
एक जमाने में अपने अखड़ और कड़क बयानबाज़ी के चलते तिवारी से हरदा सरकारों में बवाल मचाने वाले सुबोध उनियाल पर तीरथ सरकार का पक्ष मीडिया में रखने का ज़िम्मा आया तो उनकी राजनीतिक परिपक्वता भी देखने को मिल रही है। अब ये अलग बात है कि बदले सियासी माहौल को देखकर कुछ तीरथ विरोधी ‘मुख्यमंत्री पर हावी होते मंत्री’ जैसे जुमले गढ़ते मिल जाएंगे। आप इसे अचानक सबकुछ हाथ से खो बैठने पर उपजा उनका दर्द गान भी समझ सकते हैं।