दिल्ली: Supreme Court of India SC ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी NEET PG SS सुपर स्पेशिएलिटी परीक्षा 2021 का सिलेबस में अंतिम समय बदलाव पर केंद्र की मोदी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सोमवार को देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि सत्ता के खेल में युवा डाक्टरों को फुटबाल नहीं बनाया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए एक हफ़्ते यानी अगले सोमवार(4 अक्तूबर) तक केंद्र सरकार से मामले में जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने इस संबंध अधिकारियों की एक बैठक बुलाने के भी निर्देश दिए हैं। जस्टिस बीवी नागरत्न ने कहा,’युवा डॉक्टरों के साथ फ़ुटबॉल जैसा व्यवहार न करें, हम इन डॉक्टरों को असंवेदनशील ब्यूरोक्रेट्स की दया पर निर्भर नहीं छोड़ सकते हैं। आप अपने सिस्टम को ठीक करिये, अगर किसी के पास शक्ति है तो क्या वह उसका बेजा इस्तेमाल करेगा? आर सिलेबस में अंतिम समय बदलाव नहीं कर सकते क्योंकि यह युवा डॉक्टरों के भविष्य से जुड़ा मामला है। अंतिम समय बदलाव युवा डॉक्टरों के साथ छल हो सकता है।’
जानिए आख़िर क्या है पैटर्न बदलने का विवाद?
छात्रों का तर्क है कि केन्द्र सरकार ने NEET PG SS परीक्षा 2021 का सिलेबस परीक्षा के 2 महीने पहले बदल दिया। इसके विरोध में 41 पीजी क्वालिफाइड डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मदद की गुहार लगाई है।
इन युवा डॉक्टरों का यह भी तर्क है कि 2018 में पैटर्न सामान्य चिकित्सा से 40 फ़ीसदी और सुपर स्पेशियलिटी से 60फीसदी सवालों का रहा था, जबकि इस बार अंतिम समय में बदलाव कर दिया गया। इसमें सामान्य चिकित्सा से 100फीसदी प्रश्न पूछे गए थे।
युवा डॉक्टरों का आरोप है कि यह बदलाव जनरल मेडिसीन उम्मीदवारों के पक्ष में किया गया है।