- टीएसआर ने 18 जनवरी को लिखा जेपी नड्डा को पत्र
- चिट्ठी लिख चुनाव से दूर हटने का ऐलान कर टीएसआर ने अपनी नाराजगी का मैसेज देने की कोशिश भी कर दी है।
देहरादून: हरक सिंह रावत को रविवार को भाजपा ने बर्खास्त किया और उसके बाद से लगातार हरक बहू को लैंसडौन से कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद खुद डोईवाला में त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने का दम भर रहे थे। लेकिन अभी हरक की कांग्रेस में ज्वाइनिंग होना शेष है उससे पहले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डोईवाला से चुनाव न लड़ने को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिख दी है।
जाहिर है अगर ऐसा हुआ तो हरक सिंह रावत की राजनीतिक इच्छा अधूरी ही रह जाएगी। हरक सिंह रावत मौजूदा सियासत में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वन्द्वी मानते हैं और उसके बाद लैंसडौन विधायक महंत दलीप सिंह रावत से हिसाब-किताब चुकता करना चाहते हैं। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनावी दंगल से दूर हटने का ऐलान पर इस रोचक मुकाबले पर ग्रहण लगा दिया है।
सवाल है कि क्या भागरा आलाकमान पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का टिकट काटने का मन बना चुका था और हालात की गंभीरता समझते हुए टीएसआर ने प्रत्याशियों की सूची आने से पहले ही खुद चुनाव न लड़ने का ऐलान करना बेहतर समझा? सवाल यह भी कि क्या टीएसआर को चुनावी रेस से हटाकर भाजपा नेतृत्व साफ संदेश देना चाहता है कि सीएम फेस पुष्कर सिंह धामी हैं और कोई दूसरा पॉवर सेंटर फिर से खड़ा नहीं होने दिया जाएगा? यह सवाल इसलिये भी उठ रहा क्योंकि बीते दिनों राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को भी सूबे के राजनीतिक मसलों से परहेज़ करने की हिदायत दे दी गई है ताकि धामी के समानांतर एक और युवा नेतृत्व खड़ा होने की चेष्टा न करें।
सबसे बड़ा सवाल यह भी कि क्या भाजपा नेतृत्व टीएसआर को इलेक्शन रेस से बहुत दूर कर जनता में इसे टीएसआर राज के चार साल में बनी एंटी इनकमबेंसी की सजा के तौर पर वोटर्स में पेश करना चाहता है ताकि काडर से लेकर आम जनता की नाराजगी को कम से कम किया जा सके? जाहिर है बिना टिकटों के ऐलान के टीएसआर का हथियार डालना कई तरह से सवाल खड़े कर रहा है और जब डोईवाला से नया प्रत्याशी मैदान में दिखाई देगा तब तस्वीर साफ हो जाएगी।
वैसे एक बेहद दिलचस्प सवाल यह भी है कि क्या चार साल डबल इंजन की जीरो टॉलरेंस सरकार चलाने वाले चेहरे के चुनावी जंग से दूर हटने के निवेदन को भाजपा आलाकमान यूँ ही तुरंत मान लेगा या फिर मनुहार कर चुनाव लड़ने का संदेश देगा !