- नकल माफिया 25 हजार का इनामी BJP पूर्व मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल फरार, पेपर लीक कांड पर्दाफाश करने वाला बॉबी पंवार जेल में
JE/AE Paper Leak Case: उत्तराखंड बीजेपी ने जिस संजय धारीवाल को मंगलौर देहात का मंडल अध्यक्ष बनाकर उसकी सेवाओं का इनाम दिया था, वह JE/AE Paper Leak कांड का मास्टरमाइंड निकला! बताया जा रहा है कि हरिद्वार पुलिस की एसआईटी अपनी जांच पड़ताल की शुरुआती स्टेज में ही पेपर लीक कांड में संजय धारीवाल की संलिप्तता का पता लगा चुकी थी। लेकिन संजय धारीवाल एक तो सत्ताधारी बीजेपी का नया नया मंगलौर देहात मंडल अध्यक्ष बनाया गया था, ऊपर से सोशल मीडिया से लेकर रूड़की और मंगलौर की सड़कों के किनारे उसके बड़े बड़े नेताओं, जिनमें प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट से लेकर हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक शामिल हैं, के साथ फोटो, होर्डिंग और पोस्टर देख उस पर हाथ डालने से हिचकती रही।
इस दौरान सत्ताधारी बीजेपी ने गुपचुप तरीके से अपने मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल का इस्तीफा कराया जिसमें इस नकल माफिया ने कहा कि उसके ऊपर ग्राम प्रधानी का इतना ओवरलोड है कि वह बीजेपी मंडल अध्यक्ष का भार उठाने में खुद को असमर्थ पा रहा है। जब बीजेपी ने अपना पिंड छुड़ा लिया उसके बाद हरकत में आई एसआईटी संजय धारीवाल को खोजने निकली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। धारीवाल की तलाश में एसआईटी उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है लेकिन वह हाथ नहीं आया है। जाहिर है हाथ आयेगा तो सत्ताधारी बीजेपी में उसकी पहुंच कहा तक थी इसकी परतें भी खुलें?
जब बीजेपी का चौतरफा सत्ता में डंका बज रहा, तब ये साहब बीजेपी में पद पाकर भी उससे मुक्ति का मार्ग खोज रहा था! जबकि जैसे ही मंडल अध्यक्ष बनाया गया सोशल मीडिया से लेकर हर ओर हाथ जोड़कर गले को फूल मालाओं से लादकर सबका धन्यवाद करता फिर रहा था। हैं ना गजब!
क्या इसका मतलब ये नहीं कि जितना समझदार बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और उनका मंडल अध्यक्ष रहा ये संजय धारीवाल खुद को समझ रहे शायद उतना समझदार उत्तराखंड में कोई तीसरा नहीं बचा! सवाल है कि महेंद्र भट्ट ने अपने इस मंडल अध्यक्ष को पार्टी कार्यालय बुलाकर एसआईटी से अरेस्ट तो नहीं कराया, उल्टे उससे दामन पर लगे पेपर लीक कांड के दाग से पार्टी और खुद को बचाने के चक्कर में उसे सतर्क कर दिया। इसी का नतीजा रहा कि उससे पहले कि एसआईटी संजय धारीवाल को दबोच पाती, उससे पहले ही वह फरार हो गया।
फिलहाल एसआईटी संजय धारीवाल की तलाश में छापेमारी जरूर कर रही लेकिन अभी तक उसके हाथ खाली ही हैं। पुलिस ने भगोड़े पूर्व बीजेपी मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल सहित उसके साथियों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित किया है।
अब तस्वीर का दूसरा पहलू भी देखिए कि जो उत्तराखंड बेरोजगार संघ और उसका अध्यक्ष बॉबी पंवार एक के बाद एक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कांड के आरोपियों की पोल खोल में सरकार और पुलिस को सबूत जुटाकर दे रहा था, सीबीआई जांच की मांग करने के बाद उसका हश्र ये किया गया कि सीएम धामी की धाकड़ पुलिस ने बेरोजगार युवाओं की आवाज को खामोश करने के मकसद से संगीन धाराओं में उसे जेल में ठेल दिया।
होना तो यह चाहिए था कि बॉबी पंवार जैसे सिस्टम की खामियां उजागर कर रहे विस्लब्लोअर की आगे बढ़कर युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हौसला अफजाई करते लेकिन हकीकत यह है कि उसे जेल नसीब हुई है। वह भी तब जब नकल माफिया एक के बाद एक बेल पा रहे हैं! एक मामले में हाकम सिंह भी बेल पा चुका है। ऐसा लगता है मानो बॉबी पंवार पेपर लीक कांड के असल माफियाओं को बेनकाब कराने के लिए सीबीआई जांच की मांग कर “सरकार” की शान में मानो गुस्ताखी कर बैठा हो!
क्या यह विडंबना नहीं कि पहले बीजेपी नेता रहा हाकम सिंह रावत पेपर लीक कांड का सरगना निकलता है और अब मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल! लेकिन बीजेपी का नेता रहा नकल माफिया संजय धारीवाल आज भी पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फरार है और गांधी पार्क के बाहर बैठे बेरोजगार युवक युवतियों को उठाने के लिए आधी रात्रि को पुलिस शक्ति प्रदर्शन करने पहुंच जाती है! उसकी प्रतिक्रिया में अगले दिन भारी संख्या में प्रदेश भर के युवा राजपुर रोड पर जुटते हैं तो उन पर ताबड़तोड़ लाठी डंडे बरसाए जाते हैं। हालात बातचीत की बजाय शक्ति प्रदर्शन के बनाए जाते हैं और पारदर्शी परीक्षा तंत्र की मांग लेकर आए युवा हाथों में पत्थर थमाने का इंतजाम सिस्टम कर देता है।
तुर्रा ये कि युवा सीएम धामी हालात संभालने की बजाय विपक्षी दलों सहित अपनी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को कटघरे में खड़ा कर भर्ती भ्रष्टाचार पर खुद की कमीज उजली दिखाने निकल पड़े हैं। आज़ सीएम धामी ने विकासनगर में एक कार्यक्रम के दौरान पूछा,” बताइए 22 सालों में क्या किसी मुख्यमंत्री ने नकल करने वालों को अभी तक जेल की सलाखों के पीछे डाला?”
जाहिर है युवा सीएम धामी का सवाल बेहद वाजिब है लेकिन इस सवाल का जवाब जनता से मांगने की अपने सियासी गुरु भगत सिंह कोश्यारी से लेकर जनरल बीसी खंडूरी, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और विजय बहुगुणा से पूछ लेना चाहिए। हां जब बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री इस सवाल का जवाब न दे पाएं तब विपक्ष के इकलौते बचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नाम लेकर उन्हें कोसना चाहिए। या फिर असल में युवा सीएम इशारों इशारों में अपनी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आईना दिखाकर खुद के धाकड़ होने का सबूत पेश कर रहे हैं?