दिल्ली/देहरादून: डॉ इंदिरा ह्रदयेश के आकस्मिक निधन से खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर पहाड़ कांग्रेस में कोहराम मचा है। प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव की पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ मंत्रणा से रास्ता नहीं निकल सका है। अब सोमवार को तमाम विधायकों की बैठक में कोई फैसला होने की उम्मीद है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस के दस विधायक दो धड़ों में बँट गए हैं। एक तरफ प्रीतम सिंह, जसपुर विधायक आदेश चौहान और पुरोला विधायक राजकुमार रानीखेत विधायक और उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा को विधायक दल का नेता बनाने के लिए जोर लगा रहे तो दूसरी तरफ धारचूला विधायक हरीश धामी, केदारनाथ विधायक मनोज रावत आदि गोविंद सिंह कुंजवाल के पक्ष में हैं। साथ ही हरदा ने महिला के बदले महिला दांव के तहत ममता राकेश को आगे कर उनको भी अपने कैंप में ले लिया है।
प्रीतम कैंप का तर्क है कि अब सदन का बहुत कम समय शेष है और नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश के जाने के बाद उनके डिप्टी रहे माहरा को ही ये ज़िम्मेदारी दे दी जाए। जबकि हरदा कैंप वरिष्ठता के लिहाज से जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल की पैरोकारी कर रहा और महिला नाम के तौर पर भगवानपुर विधायक ममता राकेश का नाम भी आगे कर अपने पाले में करने का दा़ंव खेला है। हालाँकि इंदिरा ह्रदयेश को नेता प्रतिपक्ष वरिष्ठता के चलते बनाया गया था न कि महिला कोटे के तहत लिहाजा प्रीतम कैंप इसे सिरे से खारिज कर रहा।
माहरा के विरोध में ये तर्क भी दिया जा रहा है कि उनको बना देने से अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी ठाकुर और माहरा भी ठाकुर हो जाएंगे जिससे सामाजिक समीकरण नहीं सधेगा। सूत्रों ने खुलासा किया है कि इसीलिए हरदा कैंप का तर्क है कि प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल नेता, दोनों का नए सिरे से चयन हो। यानी प्रीतम सिंह को ही बदला जाए। हालाँकि पार्टी ठीक चुनाव से चंद महीने पहले इतने बड़े बदलाव को तैयार होती नहीं दिख रही है।
सूत्रों ने खुलासा किया है कि इसकी काट में टीम प्रीतम ने गढ़वाल-कुमाऊं और ब्राह्मण-दलित समीकरण साधने को एक-एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का दांव चला है। बहरहाल इस सब के बीच सोमवार को कांग्रेस नेता दिल्ली में उत्तराखंड सदन से लेकर 24 अकबर रोड पार्टी हेडक्वार्टर तक ‘अपनों’ के अंदरूनी द्वंद्व को थामने की भरसक कोशिश करते दिखेंगे।
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