न्यूज़ 360

जान लें उत्तराखंड चुनाव का पूरा शेड्यूल, इन तारीख़ों पर रखें खास नजर और ये चेहरे भी देख लें जो बनेंगे 22 बैटल के सबसे बड़े लड़ैया

Share now

देहरादून: शनिवार को चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के चुनावों का तारीख़ों का ऐलान कर दिया। इस खबर के दो हिस्से हैं पहले हिस्से में आप जानेंगे कि उत्तराखंड में चुनाव का पूरा शेड्यूल क्या है? यानी कब नामांकन होगा और कब नाम वापसी से लेकर वोटिंग-काउंटिंग कब होनी है। साथ ही वोटर्स कितने हैं, महिला-पुरुष, युवा और फर्स्ट टाइम वोटर्स, दिव्यांग और सर्विस वोटर्स? खबर का दूसरा हिस्सा है कि अब जब चुनावी बिगुल बज ही चुका है तो भला वो कौन से चेहरे हैं जो बनेंगे इस चुनाव के सबसे बड़े लड़ैया?

तो पहले सवाल उत्तराखंड में चुनाव का पूरा शेड्यूल है क्या?

उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh), उत्तराखंड (Uttarakhand), पंजाब ( Punjab), गोवा ( Goa) और मणिपुर ( Manipur) यानी चार भाजपा शासित ( BJP Ruled) और एक कांग्रेस शासित ( Congress Ruled) राज्य में चुनावी बिगुल बज चुका है। पांच राज्यों की 690 विधानसभा सीटों पर चुनाव आयोग ने सात चरणों में वोटिंग कराने का फैसला किया है। चुनाव ऐसे समय हो रहे जब कोरोना की तीसरी लहर ने कहर मचाना शुरू कर दिया है और एक्सपर्ट्स ने 1-15 फरवरी के बीच कोविड थर्ड वेव का पीक आने का दावा किया है। इसलिए आयोग ने कोविड गाइडलाइंस भी सख्ती से पालन कराने की ठानी है।

चुनाव आयोग ने जिन तारीखों का एलान किया है, उसके तहत उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर एक साथ चुनाव होंगे और दूसरे फ़ेज़ में यहाँ वोटिंग होगी।

चुनाव का पूरा शेड्यूल इस प्रकार रहेगा-

  • 21 जनवरी को होगी अधिसूचना जारी
  • 28 जनवरी को नामांकन की अंतिम तिथि
  • 29 जनवरी को नामांकन की छंटनी
  • 31 जनवरी को नामांकन वापसी की अंतिम तिथि
  • 14 फरवरी को राज्य में होगा मतदान
  • दस मार्च को आएंगे नतीजे

कोविड के चलते वोटर्स को मिलेगा वोटिंग के लिए एडिशनल एक घंटा

चुनाव आयोग के अनुसार वोट डालने के लिए वोटर्स को एक घंटे का अतिरिक्त समय मिलेगा। वोटिंग सुबह आठ से शुरू होकर शाम पांच बजे की जगह अब छह बजे तक होगी।

उत्तराखंड में इस चुनाव में 81.43 लाख वोटर्स करेंगे अपने वोट का प्रयोग

चुनाव आयोग के अनुसार पांच जनवरी को प्रकाशित होने वाली वोटर लिस्ट में उत्तराखंड में 81.43 लाख वोटर्स जिसमें इस साल 1.98 लाख महिला और 1.06 लाख पुरुष वोटर जुड़े हैं। वोटर लिस्ट में 18 से 19 साल के वोटर्स की संख्या 1.10 लाख है, जबकि राज्य में 80 वर्ष से अधिक आयु के 1.43 लाख वोटर हैं। जबकि दिव्यांग वोटर्स की तादाद 66,648 है और 93,935 सर्विस वोटर्स हैं।

उत्तराखंड में इस बार चुनाव में एक बूथ पर करीब 700 वोटर

चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य में अभी तक एक पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1500 वोटर का मानक था जिसे अब 1200 किया गया है। इस कड़ी में 623 नए बूथ बनाए गए हैं जिसके बाद कुल पोलिंग बूथों की संख्या 11,447 हो गई है। इस लिहाज से हर बूथ पर वोटर की संख्या करीब 700 होगी। हरेक बूथ पर पानी, बिजली, शौचालय, शेड जैसी सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के बूथों पर भी ऐसी तमाम सुविधाएँ मुहैया कराने को कहा गया है।

अब खबर का दूसरा हिस्सा कि देवभूमि दंगल के वो लड़ैया कौन हैं जिनमें है बिसात पलटने का माद्दा ?

उत्तराखंड की 22 बैटल के जो सबसे बड़े लड़ैया हो सकते हैं उनमें सबसे ऊपर नाम आता है पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का। रावत कांग्रेस के कैपेन के कमांडर हैं जिनकी अगुआई में पार्टी ये चुनावी जंग लड़ रही है और सीएम रहते 2017 में सूबे में अब तक की सबसे बड़ी कांग्रेसी चुनावी हार की ठीकरा उन्हीं के सिर फूटा था लेकिन पांच साल गुज़रते गुज़रते चुनाव में अब हरदा ही पार्टी की नैया के सबसे बड़े खेवनहार बन चुके हैं।

युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर भी भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने चुनाव से चंद माह पहले सूबे में सरकार की वापसी का बड़ा भार डाला है। लिहाजा उनके सामने भी खुद को सबसे बड़े लड़ैया साबित करने की पहाड जैसी चुनौती है। हालाँकि कहने को प्रधानमंत्री मोदी ही पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा के पोस्टर बॉय बनाये गए है लेकिन सिटिंग सीएम रहते हार का ठीकरा और जीत का सेहरा उन्हीं के सिर बँधना है। युवा होने के नाते जीत के साथ नई पारी का मौका है तो डर ये है कि लगातार पिछले दो चुनावों में सिटिंग सीएम बुरी तरह अपनी ही सीट हारे हैं और सियासी गलियारे में सिटिंग सीएम हार की हैट्रिक की बातें होती रहती हैं।

अपने समर्थकों में ‘शेर ए गढ़वाल’ के तौर पर चर्चित डॉ हरक सिंह रावत भी बाइस बैटल के ऐसे लड़ैया होंगे जिन पर सबकी नज़रें रहेंगी। भले 2012 और 2017 की तरह इस बार भी हरक ‘रणछोड़’ बनने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हों लेकिन जिस तरह का माहौल भाजपा में हैं और मजबूरन उनको कोटद्वार से ही चुनावी ताल ठोकनी पड़ी तो निःसंदेह किला बचाने को हरक सिंह रावत वर्सेस सुरेन्द्र सिंह नेगी में ‘बड़ा लड़ैया कौन’ मुकाबला देखना दिलचस्प होगा।

चौबट्टखाल में साख बचाने को सतपाल महाराज को दम दिखाना होगा तो श्रीनगर में डॉ धन सिंह रावत वर्सेस गणेश गोदियाल में बड़े लड़ैया का फैसला होना है। रामनगर में रणजीत रावत ने चुनावी ताल ठोकी तो उनके सामने भी खुद को भीतर-बाहर के मोर्चों पर लड़ते हुए खुद को बड़ा लड़ैया साबित करना होगा। बाजपुर बैटल मे यशपाल आर्य को कठिन चुनौती मिल पाएगी क्या यह भी देखना होगा। दोनों दलों कांग्रेस- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और मदन कौशिक को परस्पर विरोधी दल कितनी बड़ी चुनौती दे पाते हैं इस पर भी नजर रखनी होगी। धामी सरकार के तमाम मंत्रियों को बाइस बैटल में सबसे कड़े मुकाबले से गुज़रना होगा क्योंकि सत्ता विरोधी लहर का अतीत के चुनावों में ऐसा असर रहा है कि 60 फीसदी से ज्यादा मंत्री सीट बचाने में नाकाम रहे हैं।


गंगोत्री मे कठिन लड़ाई में उतरे कर्नल अजय कोठियाल के सामने न केवल आम आदमी पार्टी बल्कि खुद की राजनीतिक जमीन कितनी मजबूत है यह दिखाने की पहाड़ जैसी चुनौती होगी। हरिद्वार की कम से कम 2-3 सीटों पर BSP के लड़ैया भी ‘खेला’ करने की स्थिति में आ सकते हैं लिहाजा मंगलौर, लक्सर से लेकर झबरेड़ा जैसी सीटों पर खास नजर रखनी होगी क्योंकि उलटफेर हुआ तो यहाँ भी नए लड़ैया देखने को मिल सकते हैं। कुमाऊं-गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रोें की कई सीटों पर इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि उसको बड़े लड़ैया मिलेंगे। बाइस बैटल में भाजपा की तरफ से लड़ाई के चेहरे दिखे रहे लेकिन इस बार कांग्रेस को नए चेहरे देने होंगे मुकाबले में खुद को बड़ा लड़ैया साबित करने को!

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!