केदारनाथ: Chardham Devsthanam Board की चिंगारी में हाथ झुलसा बैठे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत! टीएसआर राज में बनाए गए देवस्थानम बोर्ड के लगातार विरोध और राज्य सरकार के आश्वासन के बाद अब तक भंग न हो पाने से आक्रोशित तीर्थ-पुरोहितों के भारी विरोध सामना आज खुद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को करना पड़ा।
ज्ञात हो कि बाबा केदारनाथ धाम के कपाट दिवाली के बाद छह नवंबर को बंद होंगे और इससे पहले पांच नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बाबा के दरबार दर्शन करने पहुंच रहे हैं। उससे पहले आज एक नवंबर को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बाबा केदारनाथ के दर्शन करने केदारपुरी पहुँचे। लेकिन तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने रास्ता ब्लॉक कर जमकर नारेबाज़ी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों ने ‘त्रिवेंद्र रावत वापस जाओ- त्रिवेंद्र रावत वापस जाओ’, ‘उत्तराखंड के चोर वापस जाओ-वापस जाओ’ से लेकर ‘रोजी-रोटी जो दे न सके वो सरकार निकम्मी है’ जैसे नारे लगाते हुए पूर्व सीएम TSR को संगम स्थित पुल से आगे नहीं जाने दिया।
भारी विरोध और तमाम मान-मनौव्वल के बाद भी जब तीर्थ-पुरोहित और हक-हकूकधारी समाज के प्रतिनिधि नहीं माने तो देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा आदि अपने समर्थकों के साथ पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत वापस लौटने को मजबूर हो गए। जाहिर है ऐसे समय जब पीएम मोदी का केदारनाथ धाम दौरा करीब है तब जिस तरह का कड़ा रुख तीर्थ-पुरोहितों ने अपना लिया है उससे सरकार के पसीने छूट रहे हैं।
ज्ञात हो कि देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग पर 30 अक्तूबर की डेडलाइन खत्म होने के बाद फिर से मुखर हुए तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को गंगोत्री बंद रखने का निर्णय लिया है। रविवार को श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति से जुड़े तीर्थ पुरोहितों व हक हकूकधारियों ने बैठक कर देवस्थानम बोर्ड के मुद्दे पर नए सिरे से आंदोलन की रणनीति बनाई। बैठक में कहा गया कि 11 सितंबर को सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ हुई वार्ता में 30 अक्तूबर तक देवस्थानम बोर्ड भंग कर करने का आश्वासन दिया था लेकिन अब तक राज्य सरकार ने इस पर कोई भी निर्णय नहीं लिया है। इसके बाद फैसला लिया गया कि सोमवार को गंगोत्री धाम में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करने, भागीरथी घाट पर होने वाले पूजा पाठ कार्य बंद रखने तथा रैली निकालकर विरोध दर्ज कराया जाएगा। बैठक में सह सचिव राजेश सेमवाल, इंद्रदेव सेमवाल, संजय सेमवाल, गणेश सेमवाल, कमलनयन सेमवाल, आशाराम सेमवाल, अंबरीश सेमवाल, माधव सेमवाल और बद्रीप्रसाद सेमवाल शामिल थे।
पांच को पीएम मोदी पहुँचेंगे केदारनाथ धाम तीन को कूच करेंगे हक-हकूकधारी
देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर नए सिरे से तीर्थ-पुरोहितों और हक-हकूकधारियोें का आंदोलन जोर पकड़ रहा है। तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि धामी सरकार ने 30 अक्तूबर तक बोर्ड भंग करने का आश्वासन दिया था लेकिन उस पर निर्णय नहीं लिया जा सका है।
चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति ने सभी तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों से तीन नवंबर को केदारनाथ कूच का आह्वान किया है। जाहिर है इसको बाद से सरकार के हाथ-पांव फूले हुए हैं और जिस तरह के तीखे विरोध प्रदर्शन का सामना पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को झेलना पड़ा है, यह अपने आप में हालात की गंभरीता का द्योतक है।
वैसे भी टीएसआर सरकार में दो साल पहले देवस्थानम बोर्ड एक्ट बना था लिहाजा तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में त्रिवेंद्र का रास्ता रोककर अपने आक्रोश का अहसास करा दिया है। सवाल है कि क्या धामी सरकार पीएम के दौरे से पहले इस विवाद का पटाक्षेप कर पाएगी?