Justice for Ankita Bhandari, murdered by BJP Leader’s son: कल्पना करिए पहाड़ की महज 19 साल की बेटी अंकिता भंडारी जब देहरादून से होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर वनतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने लगी तो उस मासूम के कितने सपने रहे होंगे। ऐसे समय जब उसकी उम्र की बाकी बच्चियां कॉलेज और यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई कर रहीं थी तब उसने अपने पिता और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने को जॉब करने की ठानी।
लेकिन उसे कहां पता रहा होगा कि वह जिस रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की जॉब कर रही है, वह रिजॉर्ट दरअसल हरिद्वार BJP के नेता विनोद आर्य के बिगड़ैल और आपराधिक कृत्यों में लगे बेटे पुलकित आर्य के गलत धंधे का वो अड्डा है जहां भोली भाली बच्चियों को वेश्यावृति के लिए भी मजबूर किया जाता है।
विनोद आर्य के बिगड़ैल रईसजादे की हैवानियत अंकिता भंडारी के विरोध करने पर भारी पड़ी और अंततः एक पहाड़ के अभागे पिता की मासूम बेटी एक नेता के आपराधिक प्रवृति के कुपुत्र का शिकार बन गई। अब जवान होनहार बेटी खोकर बेचारा पिता हत्यारों को फांसी देने की मांग कर रहा है।
सवाल है कि क्या पुलकित आर्य पर अंकिता भंडारी की हत्या के अपराध का पहला आरोप है? या फिर यह दरिंदा आदतन आपराधिक कृत्य करता आ रहा था और ताकतवर बाप का सत्ता में रसूख उसकी हिफाज़त कर देता रहा! क्या लोग भूल गए कि अंकिता हत्याकांड का यह मुख्य आरोपी पुलकित आर्य वर्ष 2016 के हरिद्वार के ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में हुए नकल माफिया के मुन्नाभाई कांड का अहम किरदार था जिसको बाद में एडमिशन फर्जीवाड़े में निष्कासित भी कर दिया गया था।
क्या लोग भूल गए कि भाजपा और आरएसएस में अपनी पैठ की हनक दिखाकर विनोद आर्य ने अपने नालायक और बिगड़ैल बेटे को आयुर्वेदिक डॉक्टर बनाने को लेकर क्या क्या नहीं किया था। ऋषिकुल में अगस्त 2016 में बीएमएस प्रवेश परीक्षा में बाहरी लोगों से एग्जाम दिलाकर दाखिला पाने के मुन्नाभाई कांड का भांडा फूटा तो एडमिट कार्ड और डॉक्यूमेंट्स में गड़बड़ी करने वालों में एक नाम इन्हीं भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का भी था।
इस कांड के बाद पुलकित सहित 31 छात्रों को कॉलेज से बाहर किया गया लेकिन 2017 में पुलकित बाप के रसूख के दम पर तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रो सौदान सिंह से नियम कानून तक पर रखवा कर एंट्री पा जाता है। तब विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार मृत्युंजय मिश्रा ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि पुलकित को बहाल करने के लिए भाजपा नेता और पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री विनोद आर्य ने दो करोड़ नगद और एक ऑडी कार देने का लालच दिया था। रसूख दिखाने के लिए विनोद आर्य ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कई आरएसएस नेताओं के साथ वाले अपने फोटो भेजकर डराया भी था।
अंकिता का हत्यारा यह वही पुलकित है जिसका हरिद्वार में लड़ाई झगड़े के अनगिनत मामलों नाम उछला और धारा 307 का मुकदमा भी दर्ज हुआ था लेकिन बाप ढाल बनकर अपने बिगड़ैल बेटे को बचाता रहा।
अगर आप याद करेंगे तो यह वही पुलकित आर्य है जो, कोरोना लॉकडाउन में जब लोग घरों में कैद थे, बदरीनाथ धाम जाने के लिए अपने बाप की गाड़ी, जिस पर उत्तराखंड पशुपालन बोर्ड के उपाध्यक्ष की नेम प्लेट लगी थी, लेकर चमोली पहुंच गया था
पुलकित आर्य का भाई अंकित आर्य उत्तराखंड सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद पर काबिज था, अब अंकिता हत्याकांड में प्रदेश भर में उबाल के बाद उसे आयोग से हटाया गया और बाप बेटे को भाजपा से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। लेकिन क्या देर नहीं कर दी गई?
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा की फजीहत और बदनामी उसके एक के बाद एक दागदार नेताओं के चलते हुई हो! उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक कांड में जिस तरह से मास्टरमाइंड के तौर पर हाकम सिंह रावत पकड़ा गया और बीजेपी संगठन और पिछली त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में उसको जो तवज्जो मिली उसने उसका अपराध करने का हौसला बढ़ाने का ही काम किया।
हाकम की गिरफ्तारी के बाद पार्टी नेताओं के साथ सोशल मीडिया पर वायरल उसकी तस्वीरों ने पार्टी विद अ डिफरेंस का दावा करने वाली भाजपा की खूब छीछालेदार कराई। अब अपने आपराधिक प्रवृति वाले बेटे पुलकित आर्य के कुकर्मों पर पर्दा डालते रहे विनोद आर्य भाजपा की फजीहत के नए हाकम बन गया है।
सवाल है आखिर पार्टी विद अ डिफरेंस का दावा करने वाली भाजपा में ऐसे दागियों की रहनुमाई कौन करता है? कौन है हाकम सिंह रावत और विनोद आर्य,अंकित आर्य और पुलकित आर्य जैसों का राजनीतिक हाकिम? वह तो अंकिता हत्याकांड में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सक्रिय होकर एसआईटी जांच से लेकर हत्यारोपियों के रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाने से लेकर परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिया हैं वरना लोगों में उबाल किस कदर है इसका सहज अंदाजा सड़कों पर दिखते गुस्से और विधायक रेनू बिष्ट सहित कई भाजपाई नेताओं को झेलने पड़ रहे विरोध से समझा जा सकता है।
सवाल है कि क्या भाजपा और संघ का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात पर मंथन नहीं करना चाहेगा कि ये कौनसे चेहरे हैं जो अपने चहेतों के कुकर्मों पर पर्दा डालने और बचाने की कोशिश में लगे रहते हैं। जाहिर है हाकम से लेकर पुलकित/विनोद आर्य तक उन्हीं के सोशल मीडिया पेज पर चेहरों को आसानी से देखा जा सकता है।