“कालनेमि समान संत!” ये किसे कालनेमि कह गये स्वामी आनंद स्वरुप ?

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“कुम्भ समाप्ति की घोषणा करने वाले साधु संत शास्त्र नहीं जानते, वे कालनेमि समान हैं..”

‘जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर…कालनेमि समान!’ ये क्या कह गये शंकराचार्य परिषद के सर्वपति शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप

शंकराचार्य परिषद के सर्वपति शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने जूना अखाड़े के कुम्भ समापन के फ़ैसले पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर जूना अखाड़े द्वारा कुम्भ समाप्ति की घोषणा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि कुम्भ समाप्त करने वाले साधु संत जो शास्त्र नहीं जानते वो कालनेमि के समान हैं. स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि
कुम्भ एक नियत तिथि से शुरू होकर नियत तिथि पर ही समाप्त होता है और यह किसी व्यक्ति विशेष के कहने पर शुरू या समाप्त नहीं होता।

पांच अखाड़ों द्वारा कुम्भ समाप्ति की घोषणा किए जाने के बाद ये मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. जहां वैरागी संत इस पर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं, वहीं रविवार को शंकराचार्य परिषद के सर्वपति शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने कुम्भ समाप्ति की घोषणा करने वाले संतो को कालनेमि के समान बताया है। उनका कहना है कि कुम्भ समाप्ति की घोषणा करने वाले जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर को कोई हक नहीं है कि वह कुम्भ जैसे धार्मिक आयोजन की समाप्ति की घोषणा करें । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई वार्ता के बाद आचार्य महामंडलेश्वर इतने उत्साहित हो गए कि उन्होंने कुंभ स्नान को प्रतीकात्मक रूप से किए जाने के सुझाव पर कुम्भ समाप्ति की घोषणा ही कर दी जिसका उनको कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि संतों को राजनेताओं की चाटुकारिता बंद करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि कुम्भ के संबंध में अगर किसी को कुछ करने का अधिकार है तो वह शंकराचार्य ही है.


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