PURE पॉलिटिक्सएक्सप्लेनरन्यूज़ 360

केदारनाथ कुरुक्षेत्र का बजा बिगुल: धामी वर्सेज़ गोदियाल बैटल में किसकी होगी जीत?

उत्तराखंड की इकलौती विधानसभा सीट केदारनाथ के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 को नतीजे आएंगे। बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा के इस उपचुनाव में किसकी होगी जीत?

Share now

Pure Politics: केदारनाथ के सियासी कुरुक्षेत्र का बिगुल बज चुका है। बीजेपी और कांग्रेस की सेनायें आमना-सामना करने को आतुर हैं। बस दोनों तरफ़ से चेहरे कौन होंगे इससे पर्दा हटना शेष है लेकिन दोनों तरफ़ के सेनापतियों को लेकर अब कोई संदेश नहीं रह गया है। सत्ताधारी बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने का दारोमदार जहां, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर है, वहीं अब कांग्रेस नेतृत्व ने भी ‘किंतु-परंतु’ की दुविधा से बाहर निकलकर केदारनाथ के सियासी क़िले में पंजे का पराक्रम दिखाने को गणेश गोदियाल को पार्टी पताका थमा दी है।

उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा ने गणेश गोदियाल को वरिष्ठ पर्यवेक्षक (Senior Observer) बनाकर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि ये चुनावी बाज़ी जीतने का जिम्मा गढ़वाल में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा बन चुके गोदियाल के कंधों पर ही होगी। प्रभारी कुमारी शैलजा का संदेश लिए यह चिट्ठी उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर मचे अंदरूनी कलह कोहराम का भी नजारा दिखाती है।

पिछले हफ्ते ही खटीमा विधायक भुवन कापड़ी और झबरेड़ा विधायक रविंद्र जाती को केदारनाथ उपचुनाव में पार्टी आब्जर्वर घोषित किया था। लेकिन मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान से ठीक पहले गणेश गोदियाल को सीनियर आब्जर्वर और उनके साथ ही बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला को भुवन कापड़ी व वीरेन्द्र जाती के साथ आब्जर्वर घोषित कर दिया गया है। यानी अब केदारनाथ उपचुनाव के लिए कैंडीडेट खोजने से लेकर चुनाव लड़ाने का सारा भार गणेश गोदियाल के कंधों पर पार्टी नेतृत्व ने डाल दिया है।
यूं बदरीनाथ by-election बैटल में पूरी प्रदेश कांग्रेस ने जोर लगाया था लेकिन मोर्चेबंदी का असल दारोमदार गोदियाल के ऊपर ही था। अब फिर से पार्टी ने उनको परीक्षा के लिए तैयार रहने का संदेश दे दिया है। वैसे भी 18 मार्च 2016 को कांग्रेस में हुई बड़ी टूट के बाद आज पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से लेकर सतपाल महाराज जैसे कई दिग्गजों के अभाव में घर में पार्टी की हालत खस्ता बनी हुई है और उम्मीद की इकलौती किरण गणेश गोदियाल में ही नजर आती है। कहने को आज दो हरक सिंह रावत जैसा चेहरा कांग्रेस के पाले में ही है लेकिन ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर बने हुए हरक कितना मजबूत रहे हैं, तस्वीर बीते लोकसभा चुनाव में प्रचार से गायब होकर वे दिखा चुके हैं। ऊपर से उनके साथ पॉलिटिकल क्रेडिबिलिटी यानी राजनीतिक विश्वसनीयता का संकट भी बना हुआ है। इन हालात में गोदियाल इकलौता चेहरा बचते हैं जिनसे पार्टी गढ़वाल में खोए जनाधार को हासिल करने की उम्मीद कर सकती है।

इस लिहाज से समझा जा सकता है कि बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से कैंडीडेट उपचुनाव में जो भी हों, असल लड़ाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बनाम पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ही होती दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाकर उत्तराखंड बीजेपी अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई जिसके चलते बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव में आयातित उम्मीदवार लेकर उतरी सत्ताधारी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। दो दो उपचुनाव की हार का नतीजा ये रहा कि सीएम धामी बख़ूबी जान चुके हैं कि सांसदों, त्रिवेन्द्र सिंह रावत और अनिल बलूनी को मंगलौर और बदरीनाथ में विधानसभा पालक बनवाकर कुछ हासिल नहीं हुआ, उल्टे हार का ठीकरा उनके सिर फूट पड़ा। ऐसे में अगर केदारनाथ उपचुनाव भी पार्टी नेताओं पर छोड़ा तो कहीं ऐसा न हो कि उनकी ही कुर्सी डोलने लगे। लिहाजा मंत्री डॉ धन सिंह रावत और प्रेमचंद अग्रवाल को छोड़कर बाकी पांच मंत्रियों को तो मंडल-मंडल दौड़ा ही दिया गया है, वे खुद भी आचार संहिता लागू होने से पहले बीते 72 घंटों में केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए खज़ाना खोल चुके हैं।

इतना ही नहीं धामी केदारनाथ उपचुनाव फतह करने के लिए तमाम तरह के कील कांटे दुरुस्त करने में लगे हुए हैं। सशक्त भू कानून की मांग ने जोर पकड़ा तो मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में विधेयक लाने के ऐलान से लेकर राजा भैया की पत्नी भानवी सिंह के नाम खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित कर सख़्त संदेश देने में कामयाब होते दिखे हैं। हालांकि इस बार चारधाम यात्रा के शुरुआत में दिखी बदइंतजामी से स्थानीय कारोबारियों में जो नाराजगी थी जिसको दिल्ली में केदारनाथ मंदिर/धाम शिलान्यास एपिसोड ने बढ़ा दिया था, उसका असर ग्राउंड पर कितना है या नहीं है यह देखना होगा।

कुल मिलाकर दोनों तरफ की सीआई तस्वीर देखने के बाद आप आसानी से समझ सकते हैं कि भले चुनावी लड़ाई में दोनों दलों के उम्मीदवार आमने सामने होंगे लेकिन केदारनाथ के इस चुनावी कुरुक्षेत्र में असल मुकाबला पुष्कर सिंह धामी और गणेश गोदियाल में ही होना है। जहां सीएम धामी की कुर्सी की मजबूती के लिए बीजेपी का जीतना जरूरी है तो वहीं, 2027 की बैटल से पहले पार्टी नेतृत्व तक ‘सबसे भरोसेमंद चेहरा’ होने का संदेश देने के लिए गणेश गोदियाल को इस अग्निपरीक्षा में पास होकर दिखाना होगा।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!