देहरादून: ऐसा लगता है कि कोरोना के रोजाना आने वाले नए मामलों में गिरावट का मतलब प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे ने यह निकाल लिया है कि अब न कोरोना वायरस रहा न तीसरी लहर का कोई खतरा ही बचा है! यही वजह है कि राज्य में कोरोना सैंपल जांच की रफ्तार पिछले एक हफ्ते मेॉ 62 फीसदी कम हो गई है। अब यह अलग बात है कि कई मंचों से राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपर्ट्स सितंबर माह में कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी दे चुके हैं।
केरल के कारण में देश में दैनिक नए मामलों में बढ़ोतरी फिर से चिन्तिंत करने लगी है लेकिन उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा इस सबसे बेख़बर लग रहा। अगर ऐसा नहीं होता तो शासन स्तर पर रोजाना 40 हजार टेस्टिंग करने का लक्ष्य तय होने के बावजूद गुज़रे हफ्ते में रोजाना औसतन 10 से 15 हजार टेस्टिंग हुई। पिछले सात दिनों में 106756 सैंपलों की जांच की गई जो सरकार द्वारा तय लक्ष्य से 62 फीसदी कम है।
देहरादून स्थित सोशल डेवलेपमेंट फॉर कम्यूनिटी फाउंडेशन- SDC ने कोरोना टेस्टिंग को लेकर ताजा रिपोर्ट में इस तथ्य का खुलासा किया है। SDC Foundation के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि पिछले पांच हफ़्तों से उत्तराखंड में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार लगातार घटती आ रही है। नौटियाल ने कहा कि ऐसे में जब कोरोना की तीसरी लहर का खतरा बरक़रार है तब संक्रमण से रोकथाम और बचाव के लिहाज से टेस्टिंग धीमी पड़ना सही नहीं कहा जा सकता है। इसे लेकर राज्य सरकार और स्वास्थ्य महकमे को संजीदगी दिखाते हुए कोरोना सैंपल जांच बढ़ाने की दरकार है।
यह देखिए पिछले पांच हफ़्तों में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार कैसे थमती गई:-
जाहिर है जब उत्तराखंड में वैक्सीनेशन अभियान रफ्तार पकड़ रहा, तब कोविड टेस्टिंग का सुस्त पड़ना खतरे से मुँह फेर लेने जैसा होगा। वह भी तब जब वैक्सीन की डबल डोज के बाद लगातार M.B.B.S. के स्टूडेंट्स कोरोना संक्रमित पाए जा रहे। हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज में अब तक M.B.B.S. के फर्स्ट इयर के 19 स्टूडेंट्स कोरोना पॉजीटिव हो चुके हैं जिसके चलते हफ्तेभर तक फर्स्ट इयर टू फिफ्थ इयर की तमाम क्लासेज स्थगित कर दी गई हैं। लाइब्रेरी तीन दिन के लिए बंद कर दी गई है और M.B.B.S. थर्ड इयर का इंटरनल एग्ज़ाम भी रद्द कर दिया गया है।