देहरादून: भले हकीकत यह हो कि पिछले दो-तीन वर्षों में मंदी और कोरोना के चलते उत्तराखंड में कई औद्योगिक इकाइयों पर ताले पड़ गए हों लेकिन नए निवेश के नाम पर न पिछले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत डींगे हाँकने से थके और न अब हवाई सपने बुनने से युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरेज़ कर रहे। त्रिवेंद्र राज में अक्तूबर 2018 में देहरादून में इनवेस्टर्स समिट हुआ था जिसका उद्घाटन करने खुद प्रधानमंत्री मोदी और समापन कराने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह आए थे। सत्ता में रहते त्रिवेंद्र रावत ने अनेकों बार कभी 20 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग तो कभी 40 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग और सात लाख रोजगार का दम भरा लेकिन राज्य में इनवेस्टर्स समिट के बाद आज तक में असल में नया निवेश कितना आया यह पूछने पर सरकार बगले झाँकने लगती है।
खैर अब त्रिवेंद्र रावत सत्ता में रहे नहीं लेकिन इनवेस्टर्स समिट की चौथी वर्षगाँठ पर युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सवा लाख करोड़ के एमओयू कर गए ‘लापता’ निवेशकों को खोजने निकलेंगे। मसूरी में नए सिरे से इनवेस्टर्स का समिट बुलाकर ‘लापता’ निवेशकों को 2018 में किए एमओयू याद दिलाए जाएंगे। आसानी से समझा जा सकता है कि राज्य में चार माह में चुनाव हैं और कितने ‘लापता’ निवेशक नया निवेश लेकर पहाड़ चढ़ेंगे! यही वजह है कि विपक्ष इसे चुनावी दौर में राज्य के ख़ज़ाने पर धामी सरकार द्वारा अपनी छवि चमकाने का बहाना करार दे रहा। वैसे छवि चमकेगी या नहीं ये बात में पता चलेगा लेकिन 2018 में इनवेस्टर्स समिट के नाम पर करोड़ों के निवेश के सब्ज़बाग़ दिखाकर जनता को जो ज़ख़्म मिले थे कहीं उन पर नमक छिड़कने का काम न हो जाए!