देहरादून: मोदी-शाह दौर में जिसे बना दिया उसे तमाम विरोध के बावजूद टस से मस नहीं होने दिया जाएगा, दरअसल, यह फॉर्मूला अब गुज़रे वक्त की बात हो चुकी है। बदले सियासी हालात में पार्टी आलाकमान अब उसी चेहरे को चमकने देगा जो परफॉर्मर भी होगा, ढोने की रवायत टीएसआर को चार साल कुर्सी पर बनाए रखने और फिर सरकार की चौथी वर्षगाँठ का जश्न मनाने से रोकते हुए बीच बजट सत्र हटाकर बदले तेवर का संदेश दे दिया गया था। हाल में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जो उदाहरण गुजरात में देखने को मिला उसने मोदी-शाह के कड़े तेवरों का फिर साफ संदेश दिया है। बकौल संघ से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार गुजरात में जो हुआ अगर उसका दोहराव उत्तराखंड चुनाव में देखने को मिले तो हैरान नहीं होना चाहिए।
दरअसल गुजरात में नाराजगी और बगावत की परवाह किये बिना मोदी-शाह ने एक झटके में मुख्यमंत्री पद से विजय रुपाणी और बाद में तमाम मंत्रियों की छुट्टी कर पूरी तरह से सरकार का चेहरा बदल दिया। अब उत्तराखंड बीजेपी कॉरिडोर्स में चर्चा है कि विधायकों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी लहर को काउंटर करने के लिए पार्टी का राष्ट्रीयता नेतृत्व बड़ी तादाद में टिकट का काटने से भी नहीं हिचकेगा। चाहे विधायक वरिष्ठ हों या कोई क़द्दावर मंत्री ही क्यों न हो अपनी सीट पर जिताऊ नजर नहीं आया तो 22 बैटल में टिकट पाने की हसरत टूट सकती है। हालाँकि रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से जुड़े मामले में त्रिवेंद्र कैंप से जुड़े कार्यकर्ताओं पर एक्शन से पार्टी नेतृत्व ने 2022 में भी कांग्रेसी गोत्र वाले नेताओं का महत्व बरक़रार रहने का इशारा कर दिया है।
पार्टी सिटिंग गेटिंग की बजाय निरंतर कराए जा रहे इंटरनल सर्वेक्षणों से मिले फीडबैक के आधार पर टिकट को लेकर जिताऊ चेहरों को तवज्जो देगी। हरिद्वार प्रवास के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा विधायकों के साथ बैठक में परफ़ॉर्मेंस को ही टिकट का आधार बताकर संदेश दे चुके हैं। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जिताऊ फ़ॉर्मूले पर कई मंत्री भी फेल हो रहे हैं लिहाजा उनके लिए भी संकट हो सकता है। हारते दिख रहे विधायकों के टिकट काटकर पार्टी बड़ी तादाद में नए चेहरों को आज़माने का मन बना चुकी है ताकि घर बैठा काडर भी चुनाव में नई ताकत गेम साथ जुटे और जनता में भी फीलगुड मैसेज दिया जा सके।