देहरादून: यूपी और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्ति विवाद पहाड़ पॉलिटिक्स में सबसे हॉट इश्यू बन गया है। एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तीन दिवसीय लखनऊ दौरे से देहरादून लौटे तो भाजपा ने खुली जीप में जीत का जश्न निकाला, तो दूसरी तरफ कांग्रेस त्रिमूर्ति हरदा-प्रीतम-गोदियाल ने ज्वाइंट प्रेस कॉंफ़्रेंस कर सीएम पर योगी सरकार के सामने प्रदेश हितों को सरेंडर यानी आत्म समर्पण कर डालने का गंभीर आरोप जड़ा है। सवाल है कि दो दशक से भी लंबे चले आ रहे परिसंपत्ति विवाद मामले में कौन सच्चा है और कौन झूठा?
दरअसल यूपी दौरे पर गए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद बड़ा दावा करते कहा था कि दोनों राज्यों के बीच दो दशक से पेंडिंग परिसंपत्ति विवाद को सुलझा लिया गया है और अब दोनों राज्यों के बीच हर मुद्दे पर सहमति बन गई है। सत्ताधारी दल ने इसे धामी सरकार की बड़ी उपलब्धि करार देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के देहरादून लौटने पर विजयी जुलूस निकालते हुए ज़ोरदार स्वागत किया। लेकिन विपक्षी कांग्रेस इस मुद्दे पर और आक्रामक होकर धामी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है।
कांग्रेस नेताओं की त्रिमूर्ति हरदा-प्रीतम-गोदियाल ने साझा प्रेस कॉंफ़्रेंस कर धामी सरकार पर बड़ा हमला बोला। पूर्व सीएम हरीश रावत ने सवाल उठाया कि इसी भाजपा की टीएसआर-1 सरकार में यूपी-उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों के बँटवारे पर 75:25 के अनुपात का फ़ॉर्मूला अपनाया गया था लेकिन आज धामी सरकार कह रही है कि परिसंपत्तियों के बँटवारे को लेकर सर्वे किया जाएगा। हरदा ने हल्लाबोल करते कहा कि परिसंपत्ति विवाद निपटारे को भाजपा सरकार ने दो बार समझौते किए लेकिन सिर्फ शब्दों का हेरफेर कर उत्तराखंड के साथ अंधेर कर दिया।
कांग्रेस इस मुद्दे को आगामी विधानसभा के सत्र में तो उठाने जा ही रही है, उसके अलावा राजभवन और सुप्रीम कोर्ट तक मामला लेकर जाने की बात भी कही है। पीसीसी चीफ गणेश गोदियाल ने सीएम धामी पर कुर्सी बचाने के दबाव में राज्य हितों से समझौते का आरोप लगाया है तो नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया है कि परिसंपत्तियों के समझौते के नाम पर सीएम धामी उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीन को यूपी के हाथों गिरवी रख आए।
कांग्रेस इस मसले पर धामी सरकार से श्वेत पत्र मांग रही है तो सीएम पुष्कर सिंह धामी ने समझौते को ऐतिहासिक करार देते हुए हरदा पर कटाक्ष किया है कि जिनको उनकी पार्टी नेता नहीं मानती उन पर मैं क्या कहूं।