देहरादून: सवाल है कि ऐसे में जब सीएम से लेकर शाह तक की शेर ए गढ़वाल पर पैनी नज़र है तब क्या ठीक चुनाव आचार संहिता के वक़्त उत्तराखंड की राजनीति में ‘खेला हौबे’! उत्तराखंड चुनाव से पहले सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस में नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है। आज भी भाजपा के पुरोला से पूर्व विधायक मालचंद ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है तो उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण और AAP कार्यकारी अध्यक्ष अनंत राम चौहान ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है। लेकिन अभी भी ऐसे कई कद्दावर नेता और विधायक हैं जिनको लेकर राजनीतिक गलियारे में ‘मौसम विज्ञानी’ साबित होने की अटकलबाजी चल रही हैं।
ऐसे ही एक कद्दावर नेता डॉ हरक सिंह रावत हैं जिनको लेकर सियासी गलियारे में खूब खबरें उड़ रही हैं। पिछले दिनों देहरादून के होटल पैसिफ़िक के फॉर्थ फ्लोर पर पूर्व सीएम हरीश रावत और धामी सरकार में मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की मुलाकात की खबर ने खूब हल्ला मचाया था। लेकिन कैबिनेट बैठक से इस्तीफ़े की धमकी देकर भाग खड़े होने और फिर विधायक उमेश शर्मा काऊ के जरिए फ़ोन पर सांसद अनिल बलूनी और सीएम पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद अगले दिन डिनर पर खिलखिलाते मुख्यमंत्री की तारीफ़ में कशीदे पढ़ते नज़र आए डॉ हरक सिंह रावत को लेकर कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व ने अब स्ट्रैटेजी बदल दी है।
आपके THE NEWS ADDA पर विश्वसनीय सूत्र ने दावा किया है कि अब कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की विभागीय फ़ाइल मुख्यमंत्री धामी की टेबल पर पहुँच रही हैं यानी अब सीएम की पैनी नज़र उनके विभागों में हो रहे कामकाज पर रहेगी। जबकि सूत्र का तो यहाँ तक पुख़्ता दावा है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ हरक को दो टूक संदेश दे दिया है कि हमने आपका पूरा मान-सम्मान रखा है और दोस्ती निभाने में कोई कमी भी नहीं रखी गई है। लिहाज़ा आगे दोस्ती बरक़रार रखने का ज़िम्मा ख़ुद शेर ए गढ़वाल भी निभाएं।
कहा जा रहा कि इस बार हरक सिंह रावत के तेवर दिखाने पर न केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ही भाव दिखाया और न देहरादून में बैठकें करके गए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कोई बात की। हरक सिंह की कैबिनेट बैठक से बाहर आई नाराज़गी के वक़्त प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने THE NEWS ADDA पर दावा किया था कि पार्टी नेतृत्व ने डेढ़-दो माह पहले ही कोटद्वार की बजाय कोई नई और सेफ़ सीट देने का संकेत दे दिया था फिर भी नाराज़गी किसलिए दिख रही यह समझ से परे हैं।
हालाँकि कांग्रेसी सूत्रों ने THE NEWS ADDA पर हरदा-हरक मुलाक़ात को लेकर मचे हल्ले में ही कंफर्म कर दिया था कि मुलाक़ात की बात हवा नहीं बल्कि हक़ीक़त है और पहले दौर की सहमति कुछ चीज़ों पर बन भी गई है। सवाल है कि ऐसे में जब सीएम से लेकर शाह तक की शेर ए गढ़वाल पर पैनी नज़र है तब क्या ठीक चुनाव आचार संहिता के वक़्त ‘खेला हौबे’!