- धामी कैबिनेट में कांग्रेसी गोत्र के सतपाल और सुबोध भी पर घर वापसी का हल्ला हर बार हरक का ही
देहरादून/दिल्ली: ज़िक्र हरक सिंह रावत का आए और पहाड़ की सियासत में कोई हलचल पैदा न हो, भला ऐसा बुरा दौर भी ‘शेर ए गढ़वाल’ का नहीं आया है! पिछली कैबिनेट बैठक में कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को ढाल बनाकर क्रोधित हरक सिंह रावत इस्तीफ़े की धमकी के साथ कोपेभवन में जा बैठे थे। फिर 24 घंटे गुज़रते-गुज़रते मुख्यमंत्री की ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के दौरान खिलखिलाते नज़र आए और लगा कि अब ‘ऑल इज वेल’ हो चुका है।
फिर देहरादून के होटल पैसिफ़िक के फ़ॉर्थ फ़्लोर पर कांग्रेस कैपेन कमांडर और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मुलाक़ात (पक्की ख़बर) कर आपसी संबंधों में जमी बर्फ़ बिघलाने की कोशिश से भाजपा नेतृत्व के पसीने छुड़ा देने वाला दांव! और अब दिल्ली दौरा कर कमल कुनबे की धड़कने तेज़ करने की रणनीति नहीं तो और इसे क्या समझा जाए!
‘शेर ए गढ़वाल’ के दिल्ली दौरे के दौरान ही क़रीबी सोनिया आनंद रावत का प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल होन को क्या दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ संदेश न समझा जाए! हालाँकि हरक सिंह रावत ऐसी तमाम ख़बरों को कोरी अफ़वाह क़रार दे रहे लेकिन यहीं से यह सवाल उठता है कि आख़िर बार-बार उनकी घर वापसी को लेकर ही क्यों अटकलबाज़ी शुरू हो रही? जबकि धामी कैबिनेट में कांग्रेसी गोत्र के सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल से लेकर रेखा आर्य तक शामिल हैं लेकिन हल्ला हरक के नाम पर ही मच रहा।
दिल्ली से विश्वस्त सूत्रों ने एक और बड़ा दावा किया है कि शेर ए गढ़वाल की दो कांग्रेस के नेताओं, जो राहुल गांधी के विश्वस्त भी माने जाते हैं, उनसे मुलाक़ात हुई है जिसमें घर वापसी और इस राह के रोड ब्लॉक से लेकर फ़ॉर्मूले पर बातचीत होने का दावा किया जा रहा है। हालाँकि इस इनपुट की अभी और पड़ताल होना बाक़ी क्योंकि जब चुनाव सिर पर हों और नेताओं की भागमभाग का दौर हो तब बिना फ़ाइनल ढील हुए पक्के तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाज़ी हो सकता है।
ऐसे समय संबंधित नेता भी तमाम बातों के नकारता रहता है लेकिन घटना घटते ही तस्वीर बदली नज़र आती है। वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य की कांग्रेस में घर वापसी से पहले उनकी मान-मनौव्वल को सीएम पुष्कर सिंह धामी न केवल उनके घर पहुँचे बल्कि ‘ब्रेकफ़ास्ट डिप्लोमेसी’ के ज़रिए ‘ऑल इज वेल’ का संदेश भी दिया। लेकिन चंद दिनों बाद दिल्ली के एआईसीसी मुख्यालय से आई तस्वीर ने अटकलों को विराम दे दिया।
ऐसे में यह वाजिब सवाल है कि क्या वाक़ई अपने दिल्ली प्रवास के दौरान कद्दावर मंत्री डॉ हरक सिंह रावत कांग्रेस नेता राहुल गांधी के क़रीबी नेताओं से मिले? या फिर बक़ौल हरक सिंह रावत यह कोरी अफ़वाह है जिसे उनके राजनीतिक विरोधी हवा दे रहे! लेकिन अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा और सीएम धामी से लेकर सांसद बलूनी तक तमाम मान-मनौव्वल के बावजूद हरक के अगले क़दम पर हल्ला क्यों मचा रहा? ऐसे वक़्त वह कहावत ठीक याद आ रही, भला ‘बिना आग धुआँ कहाँ उठता है!’