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योगी का तीन दिवसीय दौरा दे गया कई बड़े संकेत: त्रिवेंद्र-धनदा सबसे करीबी, 72 घंटों में कई चेहरे नजर नहीं आए दूर-दूर तक, धामी को योगी दे गए ये मैसेज

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देहरादून: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दोबारा क़ाबिज़ होने के बाद पहली बार उत्तराखंड पहुँचे योगी आदित्यनाथ तीन दिनों के अपने दौरे में कई सियासी मैसेज दे गए। योगी को लेकर जिस तरह से नेताओं-कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोगों का हुजूम उमड़ा शामिल रहा, यह साफ इशारा करता है कि न केवल भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों बल्कि भाजपा के भीतर प्रधानमंत्री मोदी के बाद अब सियासी सितारा योगी की ही चमकेगा। योगी जिस तरह से हिंदुत्व के सबसे बड़े पोस्टर बॉय बनते जा रहे हैं और यूपी में चाहे एक आदेश से सबके माइक उतरवाने जैसे कदम उठाना रही हो या लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ा कोई अन्य मामला रहा हो, बुलडोज़र बाबा जिस रास्ते गुजर रहे हैं बाकी मुख्यमंत्री पीछे-पीछे चलने को मजबूर हो जा रहे हैं।

सवाल है कि क्या जिस तरह से यमकेश्वर के अपने पैतृक गांव पंचूर प्रवास में योगी ने पलायन और उजड़ती पहाड़ की खेती को लेकर जो चिन्ता जाहिर की उस पर मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गंभीरता दिखाएँगे? क्या रिवर्स पलायन फाइलों और जुमलेबाजी से निकलकर पहाड़ की कठोर धरातल पर असर छोड़ता दिखेगा? यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी भी यहां के काम नहीं आई, उत्तराखंड को खुशहाल बनाने के लिए इन्हे पहाड़ पर ही रोकना होगा।क्या सीएम धामी योगी के अंदाज में गवर्नेंस में दमखम दिखाने की कोशिश करेंगे? जाहिर है योगी ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा में मुख्यमंत्री धामी की कई बार तारीफ की है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि धामी योगी का मैसेज पकड़ने की कोशिश करेंगे।

बहरहाल, योगी ने धामी की तारीफ की लेकिन असल इन तीन दिनों में असल चमक पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और धामी सरकार 2.0 में कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत के चेहरे पर दिखी। जिस तरह से पूर्व सीएम टीएसआर और स्वास्थ्य मंत्री धनदा लगातार तीन दिन यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के अग़ल-बगल बने रहे इसने पहाड़ पॉलिटिक्स में बड़ा मैसेज डिलिवर कर दिया है।

आज शायद ही कोई योगी का आलोचक भी इस बात से इंकार नहीं करना चाहेगा कि भाजपा का भविष्य अब बुलडोज़र बाबा हैं और आने वाले सालों में यह जमीन पर फलीभूत होता नजर भी आएगा। ऐसे में त्रिवेंद्र-धनदा की योगी से नज़दीकी का अहसास भर उत्तराखंड भाजपा में अंदरूनी तौर पर कईयों के पसीना छुड़ा रहा होगा! अगर योगी के तीन दिवसीय टूर पर पैनी नजर दौड़ाए तो यूपी सीएम के मंगलवार को देवभूमि पहुँचने से लेकर हरिद्वार तक स्पष्ट हो गया कि उत्तराखंड में योगी के कौन-कौन नेता करीबी हैं।

लखनऊ से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुँचने पर जहां सीएम पुष्कर सिंह धामी अगवानी करते नजर आए तो योगी की निगाहों में असल अटेंशन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पा गए। योगी यमकेश्वर ब्लॉक के बिथ्याणी पहुँचे तो वहाँ मंच पर तीरथ, धन सिंह से लेकर सतपाल महाराज तक नजर आए। योगी ने अपने पैतृक गांव पंचूर का रुख किया तो उनके साथ त्रिवेंद्र सिंह रावत, धन सिंह रावत थे ही पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी नजर आए। लेकिन पंचूर में लगातार योगी के आसपास नजर आते रहे टीएसआर और धनदा ही। स्थानीय विधायक रेनू बिष्ट की मौजूदगी ने भी अहसास कराया कि उनकी योगी आदित्यनाथ के साथ अच्छी पहचान है। मदन कौशिक जैसे संगठन के सूरमा या सरकार के दूसरे मंत्री पंचूर में नजर नहीं आए लेकिन वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जरूर योगी से मुलाकात करने पहुँचे।

दरअसल, मुख्यमंत्री की कुर्सी छिन जाने के बाद उत्तराखंड भाजपा की अंदरूनी राजनीति में अलग-थलग पटक दिए गए त्रिवेंद्र सिंह रावत के योगी आदित्यनाथ से प्रगाढ़ रिश्ते हैं। जब योगी यूपी और टीएसआर उत्तराखंड सरकार के सर्वेसर्वा थे तब दोनों नेताओं के बीच अच्छी कैमेस्ट्री का ही नतीजा था कि यूपी-उत्तराखंड के मध्य लंबित परिसंपत्ति विवाद निपटारे में बड़ी पहल होती नजर आई। गुरुवार को हरिद्वार में यूपी को मिले भागीरथी और उत्तराखंड के हिस्से आए अलकनंदा की पूरी पटकथा भी योगी-टीएसआर की लखनऊ मैराथन मीटिंग में ही लिखी गई थी जिस पर आज योगी-धामी ने मुहर लगाई है। योगी ने बार-बार कई मंचों से इसका ज़िक्र भी किया कि परिसंपत्ति विवाद निपटारे में टीएसआर का अहम रोल रहा है। यहाँ तक कि योगी ने धामी से लखनऊ मुलाकात में बाकायदा इसका ज़िक्र भी किया था।

अब बिथ्याणी डिग्री कॉलेज में हुए अपने संबोधन में योगी ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत और मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को लेकर अपनी विशेष आत्मीयता दिखाकर संदेश दिया। जाहिर है योगी के अग़ल बगल नजर आकर टीएसआर और धनदा खासकर टीएसआर ने भाजपा की भविष्य की राजनीति में अपनी एक और बड़ी पारी का संकेत तो दे ही दिया है! अगर योगी के बहाने भाजपा की भविष्य की राजनीतिक तस्वीर बदलेगी तो क्या टीएसआर उस बड़ी फ़्रेम के अहम किरदार बनेंगे? जाहिर है ऐसे ही कई सवाल भाजपा पॉवर कॉरिडोर्स में कई जगहों पर उमड़ घुमड़ रहे होंगे!

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