देहरादून: साल दर साल सिकुड़ती सरकारी नौकरियों के संकट से जूझता प्रदेश का युवा कड़ी मेहनत करते हुए सालों भर्तियों का इंतजार करता है लेकिन फिर खबर आती है कि फ़लां परीक्षा का पेपर लीक हो गया, फ़लां भर्ती के लिए ऊपर से नीचे पैसे और पहुंच का खेल चल रहा है। हाल में में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी UKSSSC (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) में हुए पेपर लीक कांड ने फिर से भर्ती आयोगों और इनके द्वारा कराई जा रही परीक्षाओं की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
UKSSSC पर्चा लीक कांड को लेकर बेरोजगार युवाओं का दर्द समझते हुए मुख्यमंत्री ने सख्त तेवर दिखाते हुए भ्रष्टाचारियोें की धरपकड़ अपनी पहली प्राथमिकता बताई है। अब तक UKSSSC पेपर लीक कांड में उत्तराखंड STF 6 आरोपियों को अरेस्ट कर चुकी है। कई और लोगों की गिरफ़्तारी आने वाले दिनों में हो सकती है।
बड़ा सवाल है कि पेपर लीक कांड को अंजाम देने के लिए मछलियां ही नपेंगी या फिर इन तमाम आयोगों में बैठे घपलों के उन घड़ियालों के चहेरे भी बेनक़ाब होंगे जिनकी रहनुमाई में भर्ती परीक्षा कराई जाती हैं लेकिन कभी पेपर लीक तो कभी कोई और धाँधली सामने आ जाती है? सवाल है कि क्या युवा सीएम धामी बेरोजगार युवाओं के हक़ों पर भ्रष्टाचार का डाका डालने वाले ऐसे चेहरों को बेनक़ाब कर भर्ती आयोगों की विश्वसनीयता बहाल कर युवाओं के ज़ख़्मों पर मरहम नहीं लगाएंगे?
मंगलवार को मुख्यमंत्री धामी ने यह कहकर बड़ी उम्मीद बंधाई हैं कि न केवल UKSSSC बल्कि अभी कई और आयोग हैं जहां भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं। सीएम धामी ने कहा कि पिछले कई दिनों से इन आयोगों को लेकर शिकायतें आ रही थी और अभी और अभी कुछेक आयोग और भी हैं उन पर भी कार्रवाई होनी है। जाहिर है अगर मुख्यमंत्री के कड़े तेवर बरक़रार रहे तो आयोगों में सफ़ेदपोश बने बैठे कई चेहरों से नक़ाब हटेंगे और सच सामने आएगा कि कैसे युवाओं के सपनों के साथ कभी दागी एजेंसियों के सहारे तो कभी दूसरे भर्ती माफिया की मदद से खिलवाड़ हुआ है।
कल्पना मात्र 916 पदों के लिए 4 और 5 दिसंबर 2021 को करीब दो लाख (1 लाख 90 हजार) युवाओं ने ग्रेजुएट लेवल (VPDO) परीक्षा दी और रिजल्ट आया लेकिन परीक्षा के पेपर लीक होने के कांड ने युवाओं के भविष्य को अधर में लटका दिया है। कहने को UKSSSC ने पर्चा लीक कांड के बाद टेक्निकल स्पोर्ट प्रोवाइडर आउटसोर्सिग एजेंसी RMS Technosolutions India Pvt Limited की छुट्टी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है।
UKSSSC का रवैया रहा गैर ज़िम्मेदाराना
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी UKSSSC के कर्ताधर्ता भर्ती परीक्षाओं के घपले-धाँधली रोक पाने में बार बार नाकाम साबित हो रहे हैं लेकिन हनक ऐसी कि भले धाँधली के बाद बेरोजगार प्रतियोगी ठगा सा महसूस करें लेकिन आयोग हर बार कभी एजेंसी या कभी किसी और के सिर ठीकरा फोड़कर अपना पल्ला झाड़ लेता है।
जबकि पुलिस ने जिन छह लोगों को दबोचा है उनमें दो आरोपी आयोग में पहले काम कर चुके हैं। सवाल है कि किसी कंप्यूटर ऑपरेटर या अदने कारिंदों पर ठीकरा फोड़कर कब तक मास्टरमाइंड बचते रहेंगे?
आयोग के सचिव संतोष बडोनी कहते हैं कि पेपर लीक प्रकरण में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के आने का इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद ही परीक्षा आदि को लेकर वे कुछ कह पाएंगे।
क्या युवा मुख्यमंत्री को बेरोजगार युवाओं के हित में इस ओर नहीं देखना चाहिए कि आखिर क्यों UKSSSC परीक्षा दर परीक्षा फेल साबित हो रहा है?
फ़ॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा होती है तो उसमें गड़बड़ी! सात परीक्षा केन्द्रों पर दोबारा परीक्षा की नौबत! यहाँ तक कि जेई टेक्निकल और सहायक लेखाकार परीक्षा रद्द करने को मजबूर आयोग पारदर्शी परीक्षा के दावों से नहीं चूक रहा। कभी अंग्रेज़ी और हिन्दी के अनुदित सवालों में अर्थ का अनर्थ तो कभी आउट ऑफ सिलेबस सवाल!
जाहिर है अब मुख्यमंत्री ने आयोगों को लेकर मिल रही शिकायतों पर सख्त रुख अपनाया है तो उम्मीद करनी चाहिए कि बेरोजगार युवाओं के साथ खिलवाड़ बंद होगा।