- ED ने तेलंगाना सीएम केसीआर की बेटी और एमएलसी के० कविता को 9 मार्च को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया
- बीजेपी कर रही “political witch hunt”, रियल टारगेट KCR : के० कविता
Delhi Liquor Scam: दिल्ली की चर्चित आबकारी नीति जिसे अब शराब स्कैम बताया जा रहा है, के चलते ही पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 20 मार्च तक ज्यूडिशियल कस्टडी में तिहाड़ जेल में बंद हैं। आम आदमी पार्टी आरोप लगा रही है कि उनके नेता को जानबूझकर केंद्र की मोदी सरकार ने तिहाड़ की एक नंबर जेल में खतरनाक अपराधियों के साथ रखा है। AAP यहीं नहीं रुकी और आरोप लगा दिया कि बीजेपी सिसोदिया की हत्या कराना चाहती है।
खैर! AAP के आरोपों के बीच अब तेलंगाना सीएम केसीआर की पुत्री और पार्टी विधायक के कविता ने कह दिया है कि असल निशाना उनके पिता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR हैं क्योंकि बीजेपी राजनीतिक कारणों के चलते बदला लेने पर उतरी हुई है। सवाल है कि क्या वाकई मनीष सिसोदिया बहाना हैं और केसीआर ही असल निशाना हैं? आइए जरा समझने की कोशिश करते हैं।
दरअसल, मोदी-शाह की अगुआई में बीजेपी इसी साल जल्द होने जा रहे विधानसभा चुनाव में दक्षिण के अपने दुर्ग कर्नाटक को बचाने के लिए तो पसीना बहा ही रही है, लेकिन इस बार साउथ एक और राज्य तेलंगाना पर भी उसकी नजरें गड़ी हुई हैं। आखिर हो भी क्यों ना! तेलंगाना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी दुश्मन नंबर वन के० चंद्रशेखर राव यानी केसीआर, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जो काबिज हैं।
केसीआर वहीं नेता हैं जो ना केवल दक्षिण से होने के बावजूद पीएम मोदी पर हिंदी में प्रेस कांफ्रेंस कर तीखे कटाक्ष करते आ रहे हैं बल्कि दिल्ली की सत्ता को लेकर अपने बड़े सियासी सपने को साकार करने के लिए वे अपनी पार्टी टीआरएस यानी तेलंगाना राष्ट्र समिति को बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति में तब्दील कर मंसूबे जाहिर कर देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए तेलंगाना सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं कि वहां इस साल विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और बीजेपी इस बैटल में खुद को केसीआर की बीआरएस के सामने खड़ा करना चाह रही है। दरअसल तेलंगाना को लेकर मोदी शाह का पॉलिटिकल प्लान इससे कहीं आगे जाकर ठहरता है।
बीजेपी तेलंगाना विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को पीछे छोड़ केसीआर से दो दो हाथ कर लेना चाह ही रही,उसकी रणनीति अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर ज्यादा नजर आती है। मोदी शाह बखूबी जानते हैं कि 2024 की चुनावी चुनौती से पार पाने ने अगर हिंदी पट्टी के राज्यों में उसे कड़े मुकाबले में 2014 और 2019 में जीती कुछ सीटें गंवानी पड़ती है तो उसकी भरपाई करने में तेलंगाना जैसे दक्षिण के कुछ राज्य मददगार साबित हो सकते हैं। तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीटें हैं और 2014 में महज एक सीट जीत पाई बीजेपी ने 2019 में चार सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। यहां तक कि बीजेपी ने सीएम केसीआर की बेटी के.कविता को भी शिकस्त दे दी थी। जाहिर है इस बार बीजेपी कर्नाटक के बाद दक्षिण में बड़ी जीत का द्वार तेलंगाना के रास्ते खोलना चाह रही है।
हालांकि दक्षिण ने मोदी शाह के बावजूद बीजेपी तमिलनाडु और केरल में कामयाब नहीं हो सकी है। लेकिन कर्नाटक और तेलंगाना दक्षिण में पार्टी की बढ़ती सियासी ताकत का अहसास करा देते हैं। यह ठीक वैसे ही है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर देने के बावजूद बगल के राज्य पंजाब में 2014 के बाद से ही मोदी मैजिक गायब दिखता है।
तो फिर क्या वाकई तेलंगाना सीएम केसीआर की बेटी कविता का आरोप सही है कि दरअसल तथाकथित दिल्ली शराब स्कैम में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया महज बहाना हैं, केसीआर ही बीजेपी का असल निशाना हैं? दरअसल KCR पुत्री का आरोप 9 मार्च को दिल्ली हाजिर होने के ED समन के ठीक एक दिन बाद आया है। बीआरएस की विधायक के. कविता ने आरोप लगाया है कि बीजेपी “पॉलिटिकल विच हंट” यानी राजनीतिक कारणों से निशाना बना रही है और उसका असल टारगेट तेलंगाना सीएम केसीआर हैं।
अब तक ED के कविता के करीबी हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्र पिल्लई को अरेस्ट कर चुकी है। जबकि सीबीआई ने के कविता के पूर्व ऑडिटर बचीबाबू गोरंटला (Butchibabu Gorantla) को दिल्ली के इसी शराब स्कैम मामले में अरेस्ट कर चुकी है। ज्ञात हो कि दिल्ली की शराब नीति मामले में सीबीआई पिछले साल 11 दिसंबर को पूछताछ कर चुकी है।