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चंपावत उपचुनाव: कौशिक-धनदा-सतपाल नहीं गहतोड़ी-चंदन भरोसेमंद! सीएम धामी को न संगठन के मठाधीशों की दरकार न भारी-भरकम मंत्रियों से आस, इस टीम पर है चीफ मिनिस्टर को चुनाव जिताने का जिम्मा

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देहरादून: खटीमा से हार के बावजूद मुख्यमंत्री बनाए गए पुष्कर सिंह धामी को छह माह के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी है। लिहाजा चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आए कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा देकर सीएम धामी के उपचुनाव लड़ने का रास्ता साफ कर दिया है। उपचुनाव की तारीख़ों का ऐलान चुनाव आयोग करेगा लेकिन भाजपा चीफ मिनिस्टर की जीत सुनिश्चित करने को अपनी तैयारियों में जुट गई है। धामी की जीत की अहमियत इसी तथ्य से समझी जा सकती है कि भाजपा नेतृत्व ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को उपचुनाव की पूरी व्यूहरचना बनाने को दो दिवसीय दौरे पर देवभूमि भेजा है। बीएल संतोष ने जहां धामी सरकार के एक माह के कामकाज का फीडबैक लिया है, वहीं उपचुनाव में मुख्यमंत्री घर के विघ्नसंतोषियों के हाथ फिर भितरघात का शिकार न हो जाए यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की है। चंपावत उपचुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने जिस टीम का ऐलान किया है उसे देखकर तस्वीर दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ हो जाती है कि न तो भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व और न ही सीएम धामी ‘दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है’ की तर्ज पर किसी तरह का जोखिम मोल लेना चाह रहे हैं।

रविवार को मदन कौशिक ने चंपावत उपचुनाव के लिए जिस टीम की घोषणा की है, उसमें न किसी संगठन मठाधीश को जगह दी है और न ही किसी कद्दावर मंत्री को ‘जीत सुनिश्चित’ कराने का मौका दिया गया है। बकौल कौशिक चंपावत में सीएम पुष्कर सिंह धामी के उपचुनाव के लिए सह प्रदेश प्रभारी रेखा वर्मा को पालक प्रभारी बनाया गया है। जबकि प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार को मार्गदर्शक का जिम्मा सौंपा गया है। वहीं, बागेश्वर जिले से आने वाले और भगतदा कैंप यानी धामी के सबसे करीबी और विश्वस्त काबिना मंत्री चंदन राम दास को प्रभारी मंत्री बनाया गया है। जबकि कैलाश शर्मा को प्रभारी और दीप्ति रावत भारद्वाज को सह प्रभारी बनाया गया है। वहीं सीएम धामी के लिए सीट छोड़ने वाले कैलाश गहतोड़ी को चुनाव संयोजक की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।

दरअसल खटीमा के सियासी खेल में भितरघातियों की मेहरबानी करम से मात खा गए पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की कृपा से हार कर भी कुर्सी पा गए लेकिन उनको हर हाल में उपचुनाव जीतना ही होगा। लिहाजा वे बेहद सँभल-सँभल कर कदम बढ़ा रहे हैं और यही वजह है कि धामी सरकार 1.0 में दाएँ-बाएँ दिखकर चाँदी काट गए कई चेहरे धामी सरकार 2.0 में छिटक दिए गए हैं। या फिर कम से कम उपचुनाव तक मुख्यमंत्री किसी तरह का दाग अपने दामन तक नहीं आने देना चाहेंगे। साथ ही चुनावी जीत के लिए भी धामी बहुत सोच समझकर लड़ैया टीम बना रहे हैं।

यही वजह है कि धामी ने देहरादून में कैंप करने वाले संगठन के बड़े सूरमाओं या पूर्व मुख्यमंत्रियों या सरकार में बैठे कद्दावर मंत्रियों खासकर संगठन और चुनाव लड़ाने के तजुर्बेकार डॉ धन सिंह रावत जैसे किसी पराक्रमी को मोर्चे पर लगाने की बजाय अपने विश्वस्तों को जिम्मा दिलवाया है। मौजूदा दौर में चंदन राम दास न केवल सीएम धामी के विश्वासपात्रों में गिने जाते हैं बल्कि दास भगतदा कैंप से आते हैं और उनको चंपावत का जिला प्रभारी बनाकर मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया है। कहने को सरकार में सतपाल महाराज जैसे कद्दावर मंत्री भी हैं जिनका अपना बड़ा जनाधार भी है लेकिन सीएम धामी ने चंदन राम को मौका देना मुनासिब समझा है। इसी तरह संगठन से कैलाश शर्मा और दीप्ति रावत जैसे चेहरों पर भरोसा जताया गया है। जबकि पूरे चुनाव पर अजेय कुमार नजर रखेंगे।

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