ADDA ANALYSIS पेंडिग सीटों का पेंच समझिए: सोनिया गांधी के हस्ताक्षर होते ही कांग्रेस की पहली लिस्ट आज हो जाएगी जारी, प्रीतम, गोदियाल की सीट तय, हरदा, हरक, किशोर और रणजीत की सीटों पर फंसा पेंच

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देहरादून: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की चली लंबी एक्सरसाइज के बाद शुक्रवार शाम को हुई केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में 55 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगा दी गई है। दिल्ली के रकाबगंज रोड स्थित कांग्रेस चुनाव वॉर रूम से सीईसी बैठक द्वारा फाइनल की गई लिस्ट सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पहुंच गई थी। लेकिन देर रात्रि होने के चलते सोनिया गांधी के हस्ताक्षर नहीं हो पाने के चलते लिस्ट जारी नहीं हो सकी। आज यानी शनिवार को अब कभी भी उत्तराखंड चुनाव को लेकर कांग्रेस की पहली लिस्ट जारी हो सकती है। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत से लेकर रणजीत रावत सहित कई दिग्गजों की सीटों पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है।

कांग्रेस सूत्रों ने आपके THE NEWS ADDA पर खुलासा किया है कि 70 में से 55 सीटों को लेकर प्रत्याशियों के नामों पर सीईसी बैठक में मुहर लग गई थी लेकिन 15 सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। इन सीटों पर कल की सीईसी बैठक में सहमति न बन पाने के कई सियासी कारण बताए जा रहे हैं।

पेंडिंग 15 सीटों का पेंच

सूत्रों के अनुसार 15 सीटों पर फैसला नहीं हो पाया है क्योंकि यहां किसी सीट पर एक से अधिक दावेदार हैं तो कई सीटों पर नई राजनीतिक परिस्थितियों ने पार्टी के कदम रोक दिए हैं। सूत्रों के अनुसार पेंडिग सीटों में रामनगर, सल्ट, लालकुआं, कालाढूंगी, चौबट्टाखाल, लैंसडौन, डोईवाला, कैंट, खानपुर, हरिद्वार देहात, भेल रानीपुर, ज्वालापुर, रूड़की, नरेन्द्रनगर और टिहरी सीट शामिल हैं।

रामनगर और सल्ट सीट का पेंच एक साथ जुड़ा है क्योंकि रणजीत रावत अरसे से रामनगर में फोकस किये हुए हैं और अब हरीश रावत ने भी इसी सीट पर दावेदारी पेश कर दी है। हरदा चाहते हैं कि रामनगर सीट से वे खुद लड़ें और रणजीत रावत सल्ट सीट से चुनाव लड़ें। लेकिन रणजीत रावत का तर्क है कि वे पांच साल से रामनगर में मेहनत कर रहे लिहाजा वे सीट नहीं बदलेंगे। इसी पेंच के चलते रामनगर और सल्ट दोनों को ही पेंडिग में डाल दिया गया है। यानी पहली लिस्ट में कैंपेन कमेटी चीफ के नाते इलेक्शन लीड कर रहे हरदा की सीट पर संशय बना रहेगा। ये कांग्रेस की चुनाव तैयारियों की कमजोरी कहानी बयां करने को काफी है।

बताया जा रहा है कि नैनीताल जिले की लालकुआं और कालाढूंगी सीट को भी पेंडिंग में रखा गया है। हालाँकि कालाढूंगी से महेश शर्मा का टिकट पक्का माना जा रहा और लालकुआं से भी हरीशचन्द्र दुर्गापाल का चेहरा है लेकिन बदले समीकरण में लालकुआं सीट पर भी हरदा कैंप की नजर है लिहाजा इन दो सीटों पर किसी भी तरह की उलटफेर हो सकती है।
पौड़ी जिले की चौबट्टखाल और लैंसडौन को भी पेंडिंग लिस्ट में रख दिया गया है। चौबट्टखाल से राजपाल सिंह बिष्ट का नाम तय माना जा रहा था और लैंसडौन में कई दावेदार थे जिनको लेकर हरदा, प्रीतम और गोदियाल तीनों की अलग-अलग पसंद बताई जा रही। लेकिन अब हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुंसाई की कांग्रेस में एंट्री हो चुकी है लिहाजा इन सीटों के समीकरण बदल सकते हैं।
टिहरी जिले की नरेन्द्र नगर सीट को कल आखिरी वक्त पर पेंडिंग में डाला गया क्योंकि ओम गोपाल रावत को भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद समीकरण बदल गए हैं। ओम गोपाल रावत जल्द कांग्रेस ज्वाइन करेंगे और उसके बाद पार्टी उनको ही टिकट देगी। जबकि किशोर उपाध्याय और कांग्रेस के बीच बने ताजा हालात के चलते बताया जा रहा है कि टिहरी सीट पर भी टेंशन बनी हुई है। लगता है भाजपा ने भी टिहरी सीट को इसी समीकरण में होल्ड किया हुआ है।

देहरादून जिले की डोईवाला सीट को भी पेंडिंग में रखा गया है क्योंकि हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी होने के बाद इस सीट के समीकरण बदल गए हैं। हरक सिंह रावत की सीट तय होने के बाद ही संशय से पर्दा हटेगा। हरक डोईवाला से लड़ेंगे या उनकी बहू लैंसडौन से लड़ेंगी यह देखना होगा। वहीं, देहरादून कैंट सीट पर हरदा और प्रीतम कैंप में कलह थम नहीं रही और एक प्रत्याशी पर सहमति नहीं बन पाई है जिसके चलते सीट पेंडिंग में डाल दी गई है।

जबकि हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण, भेल रानीपुर, ज्वालापुर, रूड़की और खानपुर सीट पर भी फैसला नहीं हो पाया है। बताया जा रहा कि ‘एक परिवार एक टिकट’ फ़ॉर्मूला लागू रहा तो हरिद्वार ग्रामीण सीट से तैयारी कर रही हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत का मामला खटाई में पड़ सकता है। लेकिन अगर आखिरी वक्त में हरदा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करते हैं तो अनुपमा यहाँ से लड़ेंगी। क्या पार्टी अपवादस्वरूप हरदा परिवार को दो टिकट दे सकती है, यह देखना होगा लिहाजा हरिद्वार ग्रामीण सीट पेंडिग लिस्ट में रखी गई है। भेल रानीपुर, ज्वालापुर, रूड़की और खानपुर में भी एक-एक प्रत्याशी पर सहमति न हो पाने के कारण इन सीटों को फिलहाल पेंडिंग लिस्ट में डाला गया है।

बहरहाल रणनीतिक लिहाज से कुछ सीटों को पेंडिंग रखने को सही ठहराया जा सकता है लेकिन अगर खुद को सीएम रेस में सबसे आगे रख रहे हरीश रावत जैसे कद्दावर नेताओं की सीट भी नामांकन प्रक्रिया चल रही है और तय नहीं हो पा रही यह कमजोरी और भारी अंदरूनी कलह कुरुक्षेत्र का द्योतक ही है।


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