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ADDA IN-DEPTH देवस्थानम बोर्ड, भू क़ानून पर तेज होता विरोध और कमेटी कसरत से सुलगती आग पर पानी डालने की नाकाम कोशिश करते CM पुष्कर सिंह धामी

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  • चारधाम तीर्थ पुरोहित हर-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने मुंडन कराकर धामी सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया
  • केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 13 सितंबर को जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में प्रदर्शन
  • लोग एक्शन चाह रहे और मुख्यमंत्री धामी किसी तरह विरोध के तमाम ज्वलंत मुद्दों को चुनाव तक खिसका देने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
  • किशोर उपाध्याय ने आरोप लगाया, ‘लोग भुखमरी और आत्महत्या के कगार पर पहुँच गये हैं।’

देहरादून/बदरीनाथ/केदारनाथ: देवस्थानम बोर्ड भंग करने और चारधाम यात्रा शुरू कराने की मांग पर बदरीनाथ और केदरानाथ में हक-हकूकधारी पंडा-पुरोहित समाज का आंदोलन हर गुज़रते दिन और तेज होता जा रहा है। बदरीनाथ में 17 दिन से क्रमिक अनशन चल रहा है और रविवार को चारधाम तीर्थ पुरोहित हर-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने मुंडन कराकर धामी सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया है। जबकि बदरीश संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेश मेहता ने कहा कि चारधाम यात्रा ठप होने से यात्रा पड़ावों से लेकर धामों तक लोगों की रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि सभी पर्यटन स्थल खोल दिए गए हैं लेकिन चारधाम यात्रा पर रोक जारी है जो गलत है। लाल बाबा आश्रम में मौनी बाबा का आमरण अनशन का आज छठा दिन है। मौनी बाबा ने आरोप लगाया कि न देवस्थानम बोर्ड और न सरकार उनकी सुध ले रही। साधु संत और स्थानीय लोग अब बदरीनाथ धाम दर्शन कर चारधाम यात्रा का आगाज करने की चेतावनी दे रहे।

यह हाल बदरीनाथ धाम का है। जबकि केदारनाथ धाम में भी देवस्थानम बोर्ड भंग करने के लेकर तीर्थ-पुरोहितों का क्रमिक अनशन 22 दिन भी जारी है। केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 13 सितंबर को जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में प्रदर्शन किया जाएगा। अब तीर्थ पुरोहितों ने हिमाचल की तर्ज पर भू-क़ानून लागू करने और आपदा प्रभावितोे की माँगों पर अमल का मुद्दा भी देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग के साथ जोड़ लिया है।

अब जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मनोहर कांत ध्यानी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ-पुरोहितों की शंकाएँ दूर करने के लिए बनी कमेटी का अध्यक्ष बनाया है, उसका भी असर होता नहीं दिख रहा है। इसी तर्ज पर मुख्यमंत्री धामी भू-क़ानून पर भी कमेटी कसरत करने वाले हैं। जाहिर है कमेटी कमेटी खेलकर युवा मुख्यमंत्री धामी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा लिए गए देवस्थानम और भू क़ानून बदलाव के फैसले को गलत मान रहे लेकिन चुनावी दहलीज़ पर खड़ी सरकार की कमेटी कसरत से विरोध में उतरा तबका कतई खुश नहीं है। लोग एक्शन चाह रहे और मुख्यमंत्री धामी किसी तरह विरोध के तमाम ज्वलंत मुद्दों को चुनाव तक खिसका देने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

जबकि कांग्रेस खुलकर इन मुद्दों को हवा दे रही और सत्ता में आने पर पहली क़लम से समाधान का दम भी भर रही।
वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने चारधाम तीर्थ पुरोहित हक़हकूक़धारी महापंचायत के बदरीनाथ कूच का समर्थन किया है। किशोर उपाध्याय ने महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल से वार्ता कर अपना समर्थन दिया है और कहा है कि महापंचायत जहाँ और जिस रूप में उनका सहयोग व उपयोग करना चाहेगी वे एक कार्यकर्ता के रूप में उनका सहयोग करेंगे।


कांग्रेस नेता उपाध्याय ने कहा कि ज़ब सरकार ने राजनैतिक कार्यक्रमों रैलियों और सभाओं की खुली छूट दे रखी है तो चारधाम यात्रा क्यों नहीं आयोजित की जा रही है? उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा राज्य के आर्थिक गतिविधियों की रीढ़ है और सरकार स्वयं उसे कमजोर कर रही है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘चारधाम यात्रा से आर्थिक गतिविधियों से जुड़े सभी क्षेत्र कंगाल हो गये हैं, वे अपने परिवार के लिये दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं, सरकार आर्थिक रूप से उनकी कोई सहायता नहीं कर रही है।’
किशोर उपाध्याय ने आरोप लगाया, ‘लोग भुखमरी और आत्महत्या के कगार पर पहुँच गये हैं।’उपाध्याय ने कहा कि यदि सरकार ने यात्रा शुरू नहीं की तो वे स्वयं एकादशी के दिन श्री बदरीनाथ जाकर भगवान बदरीनाथ से इस सरकार की सदबुद्धि हेतु प्रार्थना करेंगे।
उपाध्याय ने कहा कि COVID-19 की रोकथाम हम सबकी ज़िम्मेदारी है। शायद ही देश-प्रदेश का कोई सौभाग्यशाली परिवार होगा जिस पर इस संक्रमण का प्रभाव नहीं पड़ा होगा, लेकिन सवाल यह है कि जब प्रदेश में सभी सामाजिक, व्यावसायिक, शैक्षिक आदि गतिविधियाँ खुल गयी हैं तो सरकार बताये कि क्या चारधाम यात्रा से ही कोरोना का संक्रमण बढ़ेगा? सरकार के पास ऐसा कौन सा पैमाना है? चारधाम यात्रा संचालित न करना श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना पर भी कुठाराघात है। उपाध्याय ने सरकार से कहा है कि वह हठ धर्मिता छोड़ कर तुरन्त चारधाम यात्रा शुरू करने की इजाज़त दे।

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