न्यूज़ 360

हरक गए तो महिला कांग्रेस अध्यक्ष को झट भाजपा ने पार्टी ज्वाइन कराकर किया डैमेज कंट्रोल! बड़ा सवाल क्या नैनीताल में अब मोहन पाल की जगह भाजपा सरिता आर्य को देगी टिकट? भाजपा के घर में अभी यहाँ और हो सकती है सेंधमारी

Share now
  • चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका
  • प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सरिता आर्य बीजेपी में हुई शामिल
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष ने कराई जॉइनिंग

देहरादून: बाइस बैटल से पहले भाजपा को झटके पर झटका लग रहा है। पहले आर्य पिता-पुत्र भाजपा छोड़कर कांग्रेस में घर वापसी कर गए अब हरक सिंह रावत भी उसी रास्ते पर हैं। हरक की कांग्रेस नेताओं से गुपचुप मुलाकात की भनक लगते ही भाजपा ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। अब बीजेपी ने नैरेटिव बनाने के लिहाज से कई दिनों से चक्कर काट रही महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य को झटपट पार्टी में शामिल करा लिया है।


सरिता आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से टिकट मांग रही थी लेकिन संजीव आर्य के जाने के बाद भाजपा वहाँ सरिता आर्य को टिकट नहीं देना चाह रही थी। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दावा किया था कि नैनीताल में मोहन काला का टिकट कंफर्म हो गया है। लेकिन जिस तरह से बीती रात्रि हरक एपिसोड हुआ है उसके बाद लगता है सत्ताधारी पार्टी ने रणनीति बदल दी है।
अब जब कांग्रेस को झटका देते हुए सरिता आर्य भाजपा में शामिल हो गई हैं तो साफ है कि उनको टिकट दिया जाएगा। खुद सरिता आर्य दो दिन पहले कांग्रेस मुख्यालय में खड़ी होकर कह चुकी हैं कि अगर उनको भाजपा टिकट देगी तो वे बिलकुल पालाबदल कर चली जाएँगी।
बहरहाल बड़ा सवाल यही है कि हरक के बहाने सूबे के सियासी पारे में आया उबाल अब और कितने उलटफेर दिखाने जा रहा है। सुना तो यहाँ तक है कि भाजपा के एक-दो विधायक कांग्रेस जाने को जोर लगाए पड़े हैं। एकाध तो हरक सिंह रावत के बेहद करीबी माने जाते हैं लेकिन कांग्रेस के सामने दिक्कत यह है कि उसने उस विधायक की सीट पर अभी हाल में एक दमदार युवा को पार्टी ज्वाइन कराई है जिनका टिकट भी पक्का लग रहा। जाहिर है सरिता आर्य को लेकर भाजपा रणनीतिकारों को क्षणिक राहत की साँस ज़रूर मिलेगी लेकिन यह क्षणिक ही हो सकती है क्योंकि चुनावी जंग से पहले से सेंधमार सियासत पूरे शबाब पर जो है।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!