दिल्ली: ALL INDIA INSTITUTE OF MEDICAL SCIENCES- AIIMS दिल्ली के एक्सपर्ट सीनियर डॉक्टर संजय के राय ने मोदी सरकार के 15-18 साल तक के बच्चोें को कोरोना टीका लगाने के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। AIIMS दिल्ली में एपिडेमियोलॉजिस्ट एंड इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा कोवैक्सीन ट्रायल के मुख्य जाँचकर्ता डॉ राय ने सरकार के फैसले को ‘अवैज्ञानिक’ करार देकर देश में बच्चोें का कोविड टीकाकरण होना चाहिए या नहीं इसे लेकर बहस को तेज कर दिया है। रविवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते डॉ राय ने दलील दी कि केन्द्र सरकार को ऐसा कदम उठाने से पहले उन तमाम देशों के डेटा एनालिसिस करना चाहिए जहां बच्चोें का कोविड टीकाकरण अभियान चल रहा है।
डॉ राय ने प्रधानमंत्री कार्यालय-PMO को टैग करते हुए ट्विट किया,’ मैं प्रधानमंत्री मोदी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ। देश के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा और सही वक्त पर सही फैसले लेने का क़ायल भी हूँ। लेकिन बच्चों के टीकाकरण पर उनके अवैज्ञानिक फैसले से मैं पूरी तरह निराश हुआ हूँ।’
दरअसल, शनिवार रात्रि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान किया कि 3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों को भी कोरोना का टीका लगाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि बच्चों के टीकाकरण से स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की चिंता कम होगी और स्कूलों में पठन-पाठन सामान्य बनाने में सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बाद अपनी प्रतिक्रिया में डॉ राय ने दलील दी है कि किसी भी हस्तक्षेप का मकसद होना चाहिए। इसका उद्देश्य कोरोना संक्रमण रोकना या गंभीरता या मौतों को रोकना है। डॉ राय ने कहा,’लेकिन कोविड टीकों को लेकर हमारे पास जो नॉलेज है, उस लिहाज से वह संक्रमण को बहुत रोकने में असमर्थ हैं। यहाँ तक कि कुछ देशों में लोग बूस्टर शॉट लेने के बावजूद संक्रमित हो रहे हैं।
राय ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘ब्रिटेन में रोजाना 50 हजार से अधिक संक्रमण केस आ रहे हैं। यह साबित करता है कि टीका संक्रमण को नहीं रोक पा रहा है, लेकिन ये गंभीरता और मौत को रोकने में प्रभावी हैं।’
डॉ राय ने कहा कि बेहद संवेदनशील आबादी में कोरोना से मृत्यु दर 1.5 फीसदी है। यानी है कि प्रति 10 लाख की आबादी पर 15 हजार मौतें। उन्होंने कहा, ‘टीकाकरण से हम 80-90 फीसदी तक मौतें रोक सकते हैं। यानी प्रति 10 लाख आबादी पर पर 13 से 14 हजार मौतें रोकी जा सकती हैं।’
डॉ राय ने यह भी कहा कि टीकाकरण के बाद प्रति 10 लाख आबादी पर 10 से 15 गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए यदि आप व्यस्कों में जोखिम और फायदे का विश्लेषण करते हैं तो इसका बहुत फायदा है। लेकिन बच्चों के मामले में संक्रमण की गंभीरता बहुत कम है, प्रति 10 लाख की आबादी पर केवल 2 मौतें हुई हैं।
डॉ राय ने कहा कि गंभीर साइड इफेक्ट को भी ध्यान में रखकर आप जोखिम और लाभ का विश्लेषण करते हैं और उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार फायदे से अधिक जोखिम है। उन्होंने कहा कि बच्चों के टीकाकरण में दोनों ही उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे हैं।
डॉ राय ने आगे यह भी कहा कि अमेरिका सहित कई देशों ने बच्चों का टीकाकरण 4-5 महीने पहले शुरू कर दिया था और बच्चों को टीका लगाने से पहले इन देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहिए।