दिल्ली: तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को हुए हेलिकॉप्टर हादसे में CDS बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 सैन्य अधिकारियों ने जान गंवा दी। गुरुवार को सीडीएस बिपिन रावत व अन्य के पार्थिव अवशेष दिल्ली पालम एयरबेस पहुँचे, जहां पीएम नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी। इस हादसे की खबर आने के बाद से हर देशवासी की आंखें नम हैं। तमिलनाडु से लेकर दिल्ली-उत्तराखंड तक हर कोई यही कह रहा है कि काश कोई करिश्मा हो गया होता और जांबाज जनरल तीसरी बार भी मौत तो मात दे पाए होते। काश…!
दरअसल, कुन्नूर चॉपर क्रैश से पहले भी जांबाज जनरल बिपिन रावत का मौत से दो बार सामना हो चुका था लेकिन वे दोनों बार मौत पर जीत हासिल कर गए।
जब जांबाज ने दी पहली बार मौत को मात
बात 17 मई 1993 की है जब जांबाज बिपिन रावत 5/11 गोरखा राइफल्स में मेजर के पद पर तैनात थे और कश्मीर के उरी में गश्त के दौरान पाकिस्तानी गोलीबारी का निशाना बन गए थे। सीमा पार से आई एक गोली टखने पर और एक छर्रा दाहिने हाथ पर जा लगा।
लहूलुहान बिपिन रावत को श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के बाद उनका हाथ और टखना ठीक कर दिया गया लेकिन जांबाज बिपिन रावत को अब चिंता होने लगी थी कि कहीं उन्हें सीनियर कमांड कोर्स में शामिल होने से रोक न दिया जाए। इसी चुनौती को चैलेंज करते हुए बिपिन रावत नेबैसाखी के सहारे चलना शुरू किया और महीनेभर में ही चोट से रिकवरी कर गए। इसके बाद रावत को रेजिमेंट सेंटर लखनऊ में वापस तैनात कर दिया गया। बिपिन रावत को उनकी जांबाजी के लिए सेना का वूंड मेडल भी दिया गया।
जब जांबाज ने दूसरी बार दी मौत को मात
बात 3 फरवरी 2015 की है जब लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के कंधों पर नागालैंड के दीमापुर स्थित 3 कॉर्प्स हेडक्वार्टर की जिम्मेदारी थी। उस दिन सुबह 9.30 बजे बिपिन रावत, एक कर्नल और दो पायलट के साथ चीता हेलिकॉप्टर पर सवार होकर दीमापुर से उड़ान भरते हैं लेकिन उड़ान भरते के बाद चॉपर जमीन से 20 फीट ऊपर ही गया था कि तभी इंजन फेल हो गया। कुछ ही सेकेंड में चॉपर जमीन पर आ गिरा और उसमें सवार बिपिन रावत सहित तमाम लोगों को चोट आई जांबाज लेफ़्टिनेंट जनरल ने फिर मौत को मात दे दी थी।
लेकिन बीते बुधवार को CDS बिपिन रावत अपनी आखिरी हवाई उड़ान पर सुलुर से वेलिंगटन के लिए रवाना हुए थे। सीडीएस के साथ उनकी पत्नी मधुलिया रावत और 12 अन्य सैन्य अफसर एयरफोर्स के Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर पर सवार हुए थे। सीडीएस रावत को वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में उस दिन एक लेक्चर देना था लेकिन कॉलेज से महज 16 किलोमीटर दूर हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। और अपने फौजी जीवन में दो बार मौत को मात दे चुके फ़ौलादी जनरल रावत इस बार मौत के चंगुल से बाहर न निकल सके। और देश ने खो दिया अपनी पहला सीडीएस!