देहरादून: कांग्रेस की राजनीति में तिवारी वर्सेस हरदा अदावत से कौन वाक़िफ़ नहीं होगा भला! अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी एक बड़ी घोषणा के ज़रिए कांग्रेस के इन दो दिग्गजों में जीवनभर चले दंगल के जख्म हरे करने का दांव खेला है। चुनावी साल में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पंतनगर औद्योगिक क्षेत्र को एनडी तिवारी के नाम पर रखने का ऐलान किया है। जाहिर है यह घोषणा मुख्यमंत्री धामी के राजनीतिक लीक से हटकर फैसले लेने की बानगी पेश करती है और यह तिवारी स्मृति यात्रा निकाल रही कांग्रेस को असहज कर गई है।
ऐसे समय जब कांग्रेस के कैंपेन कमांडर के तौर पर पूर्व सीएम हरीश रावत यानी हरदा विपक्षी हमले को लगातार धार दे रहे, तब स्वर्गीय तिवारी की जयंती व पुण्यतिथि के मौके पर सीएम धामी का यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते उनके विकास कार्यों को सम्मान देते हुए उनके नाम पर पंतनगर औद्योगिक क्षेत्र का नामकरण कांग्रेस को इस मुद्दे पर बैकफुट पर धकेलने वाला मास्टरस्ट्रोक दांव है।
दरअसल हरदा और तिवारी में सियासी झगड़ा किसी से छिपा नहीं रहा और 2002 में भी रावत विरोधियों ने तिवारी को सीएम कुर्सी पर बिठाकर झटका दे दिया था। पांच साल की एनडी तिवारी सरकार में हरीश रावत ने गाहे-बगाहे विरोध का झंडा नित नए तरीक़ों से बुलंद रखा और अब जब कांग्रेस तिवारी को विकास पुरुष बताते हुए राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही, तब सीएम धामी ने तिवारी के सम्मान में बड़ा ऐलान कर कांग्रेस के कैपेन कमांडर की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।
बीजेपी की रणनीति कांग्रेस को उसी के दांव में उलझाने की तो है ही, हरदा और तिवारी खटराग की यादें ताजा कर खास वोटर में मैसेज देने की भी है। बीजेपी याद दिलाना चाहती है कि भले आज कांग्रेस और पार्टी के कैंपेन कमांडर हरदा एनडी तिवारी के विकास की विरासत का नाम लेकर वोट बंटोरना चाह रहे हों लेकिन तिवारी को सम्मान देने के लिए सिर्फ जुबानी कसरत ही करते रहे हैं। जबकि विरोधी दल की सरकार होने के बावजूद एनडी तिवारी को सम्मान देने का काम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ही किया है। जाहिर है बीजेपी का यह दांव कांग्रेस को बेचैन करने वाला तो जरूर है। खासकर हरदा को सबसे ज्यादा डैमेज करने के लिए धामी ने यह मास्टरस्ट्रोक खेला है।
सवाल है कि आखिर तिवारी की विरासत को ज़रिए वोट पाने की हसरत किस दल की पूरी हो पाती है, इसका फैसला 22 बैटल के नतीजे करेंगे।