Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री दिल्ली दौरे पर हों और पहाड़ प्रदेश में चर्चाओं की हवा भरकर अटकलों के बलून न उड़ाए जाएं,ऐसा भला कैसे हो सकता है! इस बार भी बीते चौबीस घंटों में यहीं दोहराया गया। बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष इतवार को दो दिनों के उत्तराखंड दौरे पर देहरादून पहुंचे और घंटे भर की कोर ग्रुप बैठक अटेंड कर सीएम धामी दिल्ली की तरफ दौड़ गए। हालांकि बताया गया कि सीएम का दिल्ली टूर पहले से तय था। लेकिन पीएम से मुलाकात की तस्वीरें देखने को बेकरार विघ्नसंतोषियों को कहां चैन आने वाला था।
लिहाजा दिनभर चर्चाएं होती रही कि भला चार जुलाई को ही तो सीएम पुष्कर सिंह धामी पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर आपदा का हाल बताकर और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मुख्य अतिथि के रूप में पधारने को आमंत्रित कर आए थे, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि महीने भर के भीतर दोबारा मुख्यमंत्री को दिल्ली दौड़ लगानी पड़ गई!
चर्चाओं को हवा देने वाले यह भी पूछ रहे थे कि आखिर पिछले हफ्ते भी तीन चार दिन दिल्ली रहकर मुख्यमंत्री प्रदेश लौटे ही थे कि इतवार को फिर जाना पड़ा। पिछले हफ्ते सीएम धामी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी लंबी मुलाकात करके आए थे जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बनी एक्सपर्ट कमेटी के नुमाइंदे भी शामिल थे।
हालांकि तब सीएम धामी गृह मंत्री को यूसीसी पर ब्रीफ करने गए थे लिहाजा यह हो सकता है कि इस बार प्रधानमंत्री को यूसीसी पर रिपोर्ट देने गए हों। लेकिन इन विघ्नसंतोषियों को अब समझ आ गया होगा कि ये प्रधानमंत्री के साथ युवा मुख्यमंत्री की केमिस्ट्री का कमाल है कि महीने में दो बार उनकी मोदी से गुफ्तगू हो रही। रही सही अटकलबाजी की आग पर मुख्यमंत्री पुष्कर का ये बयान ठंडा पानी डाल दे रहा।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलाकर के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उन्होंने उत्तराखंड के विकास में पीएम मोदी के मार्गदर्शन और सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को स्थानीय भांग के रेशे की शॉल बेडू के उत्पाद तथा नंदादेवी राजजात की परम्परागत वाद्ययंत्रों- ढोल, दमाऊं, रंणसिंघा युक्त प्रतिकृति भी गिफ्ट की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून में सड़कों पर परिवहन के दबाव को एक अत्याधुनिक एवं ग्रीन मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली द्वारा कम करने और जनमानस को सुरक्षित यातायात की सुविधा उपलब्ध कराये जाने के दृष्टिगत देहरादून मेट्रो नियो परियोजना प्रस्तावित की गई है। विस्तृत तकनीकी अध्ययन के उपरांत इस परियोजना की डी०पी०आर०, जिसमें दो कॉरिडोर्स (कुल लम्बाई 22.424 कि०मी०) तथा कुल लागत रू0 1852.74 करोड़ है, के प्रस्ताव पर भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त किये जाने के लिए आवासन एवं शहरी विकास कार्य मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित किया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से परियोजना के प्रस्ताव पर अनुमोदन प्रदान किए जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने ऑलवेदर रोड चारधाम सड़क परियोजना के लिया आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2023 के लिए केन्द्रीय सड़क अवसंरचना निधि (CRIF) के कार्यों के लिए प्रदेश के जनप्रतिनिधियों से प्राप्त कुल 155 कार्यों के रू0 2550.15 करोड़ के प्रस्तावों पर स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था। मंत्रालय द्वारा रू० 250.00 करोड़ के कार्यों में सहमति प्रदान की गयी है। मुख्यमंत्री ने अवशेष कार्यों की स्वीकृति दिलाए जाने का प्रधानमंत्री से अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत वर्षों से राज्य में पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से राज्य मार्गों में यातायात दवाब में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य मार्गों को उच्चीकृत किया जाना नितांत आवश्यक है। इस सम्बन्ध में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में ही 06 मार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में उच्चीकत किये जाने की सैद्धांतिक सहमति दी गयी है। इसके अतिरिक्त 189 किमी0 के काठगोदाम- भीमताल ध्यानाचुली-मोरनोला- खेतीखान लोहाघाट-पंचेश्वर मोटर मार्ग को पर्यटन / सैन्य आवागमन एवं आम जनमानस के लिए नितान्त उपयोगी होने के दृष्टिगत राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित किया जाना निवेदित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर टनकपुर से पिथौरागढ़ तक दो लेन मार्ग का निर्माण चारधाम परियोजना के अन्तर्गत निर्मित है। पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक की सीमा मार्ग को बी0आर0ओ0 द्वारा विकसित कर दिया गया है।पिथौरागढ़-लिपुलेख मार्ग में स्थित गुंजी गांव से जौलिंगकांग तक के भाग को भी बी०आर०ओ० द्वारा निर्मित कर लिया गया है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग, जोशीमठ, लप्थल- बारहहोटी तक 02-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का काम भी लगभग पूर्ण हो चुका है। भारत-चीन सीमा में वर्तमान में कोई ऐसा मार्ग नहीं है जो जनपद पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग आई०टी०बी०पी० पोस्ट को जनपद चमोली के लप्थल से आई०टी०बी०पी० पोस्ट को सीधे संयोजित करता है। अतः सामरिक रूप से अतिमहत्वपूर्ण टनल मार्गों के निर्माण से उक्त दोनों सीमा पोस्ट की दूरी 404 कि०मी० कम होने के साथ-साथ पर्यटन एवं सीमा प्रबंधन की दृष्टि से भी उपयोगी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसखण्ड में स्थित पौराणिक मंदिरों में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को दृष्टिगत रखते हुये प्रथम चरण में 16 मंदिरों के समग्र विकास का कार्य किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में पूर्व से निर्मित 1 लेन सड़क मार्गों को 02 लेन में परिवर्तित किये जाने की कार्यवाही गतिमान है। भूमि अधिग्रहण, वनभूमि हस्तांतरण आदि की कार्यवाही राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से की जा रही है। प्रथम चरण में निर्माण कार्य हेतु लगभग रू0 1000 करोड़ की आवश्यकता होगी। उक्त धनराशि भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय (सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय एवं संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) से राज्य सरकार को उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से प्रदेश की विभिन्न विकास योजनाओं के साथ सड़कों एवं परिवहन के संबंध में भी चर्चा की तथा अवगत कराया कि सी.आर.आई.एफ (Central road and infrastructure fund ) से 250 करोड़ रूपये के कार्यों की सहमति सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा दी गई है।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को आपदा की स्थिति की भी जानकारी दी तथा प्रदेश में सड़कों एवं पुलो के निर्माण एवं मरम्मत के लिए 2000 करोड़ की स्वीकृति तथा राज्य में पर्यटकों के आवागमन के दृष्टिगत 6 राजमार्गों को राष्ट्रीय राज्य मार्ग के रूप में अधिसूचित किये जाने का अनुरोध किया तथा प्रधानमंत्री को मानसून की स्थिति एवं आपदा की स्थिति से भी अवगत कराया।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से सौंग बांध के निर्माण की भी स्वीकृति का अनुरोध करते हुए बताया कि इससे देहरादून शहर की 2050 तक की पेयजल समस्या का समाधान होगा। प्रधानमंत्री ने सौंग बांध के लिए आवश्यक धनराशि स्वीकृत किए जाने के प्रति आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से इस वर्ष दिसंबर में प्रदेश में प्रस्तावित वैश्विक निवेश सम्मेलन में प्रतिभाग के लिए भी अनुरोध किया।