रासुका पर राजनीतिक रण: धामी सरकार के रासुका लगाने को किशोर उपाध्याय ने बताया काला फैसला, सीएम पुष्कर सिंह धामी को चिट्ठी लिख कही ये बड़ी बात, ये भी दिलाया याद
देहरादून: सूबे के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक प्रणेता किशोर उपाध्याय ने मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी रासुका लगाने पर गम्भीर चिंता व्यक्त की और इस काले निर्णय को वापस लेने को कहा है। किशोर उपाध्याय ने नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को भी पत्र की प्रतिलिपि इस अनुरोध के साथ भेजी है कि वे इस सम्बन्ध में कदम उठायेंगे।
उपाध्याय ने अपने पत्र में कहा है कि:-
उत्तराखंड में हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए शासन ने DMs को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने के अधिकार की समयावधि को तीन माह के लिए और बढ़ा दिया है। जो व्यक्ति या समूह माहौल खराब करने और हिंसक घटनाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा उस पर जिलाधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। सरकार के इस कदम को रुड़की में एक चर्च में हुई हिंसा, ऊर्जा निगम कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलनों में हिंसक घटनाओं की आशंका से जोड़कर देखा जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव (गृह) आनंद बर्द्धन का कहना है कि कानून पहले से लागू है और समय समय पर तीन-तीन माह की अवधि में जिलाधिकारी को रासुका के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार दिया जाता है।
अपर सचिव गृह रिधिम अग्रवाल के मुताबिक, सितंबर में तीन माह की समयसीमा समाप्त हो गई थी, जिसे एक अक्तूबर से31 दिसंबर तक बढ़ाया गया है।
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