देहरादून: पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा में तेजी के निर्देश दिए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ प्रधानमंत्री को केदारनाथ और बदरीनाथ में चल रहे निर्माण संबंधी कार्यों मे देरी अखर रही है। जानकारी के अनुसार पीएम मोदी ने समीक्षा बैठक के दौरान धामी सरकार को कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर CSR के तहत करोड़ों रुपए निर्माण कार्यों को लेकर जुटाए गए हैं लेकिन तय समय पर काम न होने पर इस फंड के लैप्स होने का संकट मँडरा रहा है। लिहाजा अब धामी कैबिनेट ने निर्माण कार्यों के लिए बड़ी एजेंसी के चयन का रास्ता साफ कर दिया है। शुक्रवार को विधानसभा सत्र की कार्यवाही के उपरांत हुई धामी कैबिनेट ने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के प्रस्ताव के मंजरी दे दी।
कैबिनेट द्वारा लिये गये 10 निर्णय
- पंतनगर विश्वविद्यालय को केन्द्रिय दर्जा देने के लिए प्रस्ताव केन्द्र को भेजा जायेगा। इससे सम्बन्धित सम्पत्ति के सम्बन्ध में मुख्य सचिव की अघ्यक्षता में समिति बनाई जायेगी।
- समस्त स्थानीय निकाय में दोहरी लेखा प्रणाली लागू करने के लिए उत्तराखण्ड मैनुअल एकाउटिंग में संशोधन किया जायेगा।
- उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम को कार्यदायी सस्था के रूप में चयनित किया जायेगा।
- उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायलय विधिक सेवा समिति, तहसील विधिक सेवा समिति, स्थायी लोक अदालत एवं वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए केन्द्रीय कर्मचारी सेवा नियमावली प्रख्यापित किया गया।
- उत्तराखण्ड भू सम्पदा (विनियमन तथा विकास) (सामान्य) नियमावली 2017 को प्रख्यापित किया गया।
- स्वामित्व योजना के कार्यो को त्वरित गति से करने के लिए उत्तराखण्ड आबादी सर्वेक्षण और संक्रिया नियमावली 2020 के नियम 14(5) और 18(2) में संशोधन किये जाने के लिए और उत्तराखण्ड आबादी सर्वेक्षण और संक्रिया नियमावली 2021 बनाई जायेगी।
- केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के पुर्ननिमाण हेतु बड़ी एजेन्सी चयन कर कार्य कराने की अनुमति दी जायेगी।
- खनन सम्बन्धी मामले का सरलीकरण कर स्व मूल्यांकन सम्बन्धी मामले में शासन की जगह निदेशालय स्तर पर निर्णय लिया जायेगा।
- जल जीवन मिशन के अन्तर्गत तकनीकी परीक्षण के बाद दो से पॉच करोड के कार्य कराने हेतु जिलाधिकारियों को अधिकार दिया गया।
- सभी आर्बिटेशन सम्बन्धी मामले के निपटारे के लिए उच्च न्यायलय के सेवा निवृत्त न्यायधीश की अघ्यक्षता में तीन सदस्य समिति के माध्यम से निर्णय किया जायेगा।