- लॉकडाउन को लेकर अब तमाम कार्मिक संगठनों को एक मंच पर लाने की मुहिम
- गोल्डन कार्ड सफ़ेद हाथी साबित कैसे कार्मिक जेब कटवाने से बचाएँ खुद को इसे लेकर संघर्ष की तैयारी
देहरादून: तीरथ सरकार ने कोरोना के बढ़ते कहर के बावजूद लॉकडाउन की बजाय हफ्तेभर का स्टेट कोविड कर्फ़्यू लगाने का फैसला किया है। लेकिन कार्मिकों के एक बड़े तबके को सरकार का ये फैसला कोविड खतरे के मुक़ाबले अनुचित लग रहा है। इसी के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने तमाम कार्मिक संगठनों से एक मंच पर आने की अपील की है। दीपक जोशी ने सीधे सीधे स्वास्थ्य महकमे से लेकर दूसरे आला अफसरों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि कोरोना से उत्पन्न मौजूदा हालात में प्रदेश के तमाम अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक वर्ग भयभीत एवं आशंकित हैं। इसीलिए बार बार सरकार से अलग-अलग मिलकर तमाम संघ-परिसंघ और महासंघ लॉकडाउन की मांग कर चुके लेकिन आला अधिकारी जमीनी हकीकत बताने की बजाय सरकार को गुमराह कर रहे हैं और दफ़्तरों तो खुले रखवाने पर आमादा हैं जो कार्मिकों के जीवन से खिलवाड़ है।
सचिवालय संघ के अध्यक्ष जोशी ने तमाम कार्मिक संगठनों से अपील की है कि कोरोना संकट में अधिकारी, कर्मचारी, आउटसोर्सिग और शिक्षक वर्ग के जीवन रक्षा के लिए हमें आपसी राग-द्वेष भूलकर पिछली साझा लड़ाईयों में पाई सफलता को दोहराने को एक होने की दरकार है।
उन्होंने कहा है कि प्रदेश में सामान्य परिस्थिति होने पर कार्मिक वर्ग से सम्बन्धित गोल्डन कार्ड के सफ़ेद हाथी साबित होने और शिथिलीकरण नियमावली, एसीपी की पूर्व व्यवस्था, 1.10.2005 के बाद नियुक्त कार्मिकों की पुरानी पेंशन की बहाली जैसी काॅमन मांगों को भी एकजुट होकर पूर्ण कराए जाने की जरूरत होगी।
दीपक जोशी ने अपील की कि प्रदेश के सभी कार्मिक वर्ग व उनके परिवार के सदस्यगणों के जान माल की सुरक्षा एवं बचाव के लिए सबको एकजुटता दिखानी होगी तभी इस संघर्ष में सरकार पर जरूरी दबाव बनाया जा सकेगा।