अंतर त्रिवेंद्र से तीरथ तक: अब कम के कम मंत्री भी काम करते दिखना चाहते हैं, तब मुख्यमंत्री से ख़फ़ा कहिए या ख़ौफ़ज़दा मंत्री दुबके नजर आए!

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देहरादून: ये तस्वीर में मलबे के बीच से गुज़रकर देहरादून के मालदेवता क्षेत्र में भारी बारिश से हुए नुकसान का जायज़ा लेने पहुँचे कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी हैं। बुधवार देर रात्रि की भारी बारिश में नीचे आए मलबे से हुई तबाही का जायज़ा लेने सुबह पहुँचे तो शाम तक बजे तक पीड़ितों के पास डटे रहे। देर शाम फिर पहुँच गए मालदेवता राहत कार्यों का जायज़ा लेने और पीड़ित ग्रामीणों को भरोसा दिया कि कम से कम सरकार के नुमाइंदे के तौर वे सुबह से रात खड़े हैं साथ। दरअसल भारी बारिश के चलते मालदेवता से भैसवाड़गांव के लिए पीएमजीएसवाई के तहत बन रही सड़क का मलबा नीचे मुख्य सड़क और लोगों के घरों-खेतों तक आ गए। मंत्री के नाते संकट का शिकार लोगों के बीच खड़े रहना क़ाबिले तारीफ है।


दरअसल ये पहला वाक्या नही जब मंत्री काम करना या कम से कम काम करते दिखे। फिर चाहे लगातार टीएसआर एक सरकार में रूठे या गुस्से में रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत होने या पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज। अब भले महाराज ने इसी जोश में इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसा ऐलान ही कर डाला हो लेकिन मंत्री हैं तो मंत्री जैसा रुतबा महसूस करते दिख रही है तीरथ कैबिनेट। वरना शिक्षा मंत्री के नाते सरकार बनने के शुरू-शुरू में प्राइवेट स्कूलों को फीस और बुक्स जैसे मसलों को लेकर नकेल डालने निकले कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे को ही कैसे नकेल डाल शांत होते देखा गया चार सालों में ये किसी से छिपा नहीं। शासकीय प्रवक्ता के नाते सुबोध उनियाल को कोरोना महामारी में सत्तापक्ष से लेकर विप़क्ष के लोग एक ऐसी उम्मीद के तौर पर देखते है कि उनको फ़ोन लगाया तो मदद पहुँचेगी।


एक मुख्यमंत्री के नाते तीरथ सिंह रावत का अपने कैबिनेट सहयोगियों को जरूरी कामकाज की आजादी देना एक सकारात्मक कदम है, बशर्ते कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों में तालमेल दिखे और कैप्टेन के नाते सीएम तीरथ अपनी टीम की मॉनिटरिंग चौकस रखें। आखिर ‘मेरे अधिकारी’ वाली सरकार ने चार साल कार्यकर्ता और विधायक छोड़िए मंत्रियों तक को घरों में दुबकने को मजबूर रखा।


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