देहरादून: उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के कार्मिकों, शिक्षकों और पेंशनर्स तथा उनके आश्रितों आदि के लिए शुरू की गई गोल्डन कार्ड स्कीम वेतन अंशदान कटौती के बाद चिकित्सा सुविधा देने के नाम पर सफेद हाथी साबित हो रही है। कार्मिक मारे-मारे फिर रहे हैं लेकिन अब कार्मिक नेताओं को ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ही मन बनाकर बैठे हैं कि चुनाव बीत चुके लिहाजा अब कार्मिकों और पेंशनर्स को ही छकाया जाए।
कार्मिक नेता दर्द बयां करते दलील दे रहे कि अगर ऐसा नहीं होता तो मीटिंगों के नाम पर उनके साथ टालमटोल वाला रवैया राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण नहीं अपनाता!
ताजा मामला यह है कि गोल्डन कार्ड को धरातल पर कार्मिक और पेंशनर्स के हित में अमल में लाने को लेकर आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत द्वारा बैठक की गई थी। स्वास्थ्य मंत्री की बैठक के बाद उत्पन्न परिस्थिति में शासन स्तर से निर्णय लिया गया और स्वास्थ्य महानिदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित की गई ताकि दिक्कतें दूर हों।
इसी समिति की मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण अध्यक्ष की अगुआई में एक बैठक प्रस्तावित थी। लेकिन गजब हाल है कि स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष ने बैठक से बचते हुए आज स्वयं का अवकाश दिखा दिया और नतीजा यह रहा कि इस वजह से 16 अगस्त को अपराहन 3:00 बजे की प्रस्तावित बैठक संभव नहीं हो हुई।
इससे आहत और खफा उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ ने अब स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का मन बना लिया है।
महासंघ की ओर से स्वास्थ्य मंत्री द्वारा गोल्डन कार्ड पर प्रदेश के कार्मिक, शिक्षक और पेंशनर्स की स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में अनावश्यक विलंब किए जाने से नाराज होकर जल्दी ही स्वास्थ्य मंत्री के आवास/कार्यालय के घेराव का कार्यक्रम की तैयारी कर दी है।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी और प्रदेश महासचिव जगमोहन सिंह नेगी की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि गोल्डन कार्ड पर न जाने क्यों बार बार विलंब किया जा रहा है जबकि हर महीने कार्मिक अपने वेतन से अंशदान के रूप में पैसे देने को मजबूर हैं और अब तक 250-300 करोड़ रुपए प्राधिकरण को दिए जा चुके हैं।
दीपक जोशी ने सवाल दागा है कि आखिर ये कार्मिकों के साथ खुली लूट नहीं तो और क्या है तथा स्वास्थ्य मंत्री कब तक इस ज्वलंत समस्या से मुंह फेरे रहेंगे?