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हरदा के सामने भौथरा पड़ता भाजपाई आक्रामण! अब भागवत के छह मंत्रों के बहाने भाजपा सरकार को आईना दिखा रहे रावत

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देहरादून: चुनाव जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, वैसे वैसे उत्तराखंड कांग्रेस के कैंपेन कमांडर और पूर्व सीएम हरीश रावत के हमलावर तेवर तीखे होते जा रहे हैं। चाहे बागी-दागी का मसला हो या फिर धामी सरकार को घेरने का कोई मौका, हरीश रावत पूरी तैयारी के साथ हमला कर रहे पर ऐसा लगता है कि हरदा के हमलावर तेवरों का जवाब देते न प्रदेश भाजपा के स्तर पर किसी से बन पड़ रहा है। ना ही दिल्ली से गुज़रे वक्त में जवाब देने की जिद करते दिखे राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी जैसा कोई नेता अब रावत को मुद्दों के सियासी रण में ललकारने की हिम्मत जुटाता दिख रहा है। हरदा ने ताजा लेकिन तीखा हमला अब संघ प्रमुख मोहन भागवत के छह मंत्रों भाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, परिधान और भवन याद दिलाते राज्य की भाजपा सरकार पर बोला है।


बाक़ायदा एक वीडियो संदेश जारी कर हरदा ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मौजूदा भाजपा सरकार भागवत के बताए इन छह मंत्रों के ठीक विपरीत काम कर रही है। वहीं रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने समय में इन मंत्रों का सही प्रयोग करते हुए इन्हें राज्य के विकास और संस्कृति से जोड़ा था। अपने वीडियो संदेश में रावत ने भागवत के एक-एक मंत्र का विस्तार से ज्रिक करते हुए भाजपा को असहज करने की कोशिश की है।

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पहला मंत्र: भाषा-बोली को भूली भाजपा सरकार

पूर्व सीएम हरीश रावत ने दावा किया है कि कांग्रेस सरकार ने कुमाऊं और गढ़वाल विश्वविद्यालय में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा के संवर्धन के लिए अलग से विभाग खोला था। साथ ही एक भाषा-बोली संवर्धन संस्थान गौचर में भी स्थापित किया था। यहाँ तक कि PCS के सिलेबस में भी कुछ प्रश्न स्थानीय भाषा और परंपरा से संबंधित अनिवार्य किए थे। रावत ने आरोप लगाया कि आज भाषा-बोली संस्थान लगभग बंद हैं और विश्वविद्यालयों व स्थानीय बोली-भाषाओं के विभाग न के बराबर चल रहे हैं।

दूसरा मंत्र: कांग्रेस सरकार में स्थानीय भोजन पोषण से जोड़ा गया था

रावत ने कहा है कि कांग्रेस सरकार ने परंपरागत अन्न आधारित भोजन को न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि गर्भवती महिला पोषण आहार योजना, वृद्ध पोषण आहार योजना, इंदिरा अम्मा भोजनालयों और कई सरकारी विभागों में एक दिन स्थानीय अन्न आधारित व्यंजनों को अनिवार्य किया था। लेकिन इसको मौजूदा भाजपा सरकार ने बंद कर दिया।हरदा ने कहा कि हमने व्यंजनों के त्यौहार घी संक्रांति को राज्य के दूसरे महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया लेकिन इस परंपरा को बंद कर दिया गया।

तीसरा मंत्र: भजन बनवाए तो आरोप लगाए

हरदा ने कहा कि हमने केदारनाथ और बदरीनाथ तथा देव स्थलों की महिमा गायन के लिए प्रतिष्ठित गायकों व लोक कलाकारों की सेवाएं लीं। कैलाश खेर का केदारनाथ पर भजन आज विश्व प्रसिद्ध है। मगर जब हम यह भजन बनवा रहे थे तो विपक्ष में रहते भाजपा हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही थी।

चौथा मंत्र- भ्रमण, कांग्रेस ने बैठकें रोटेट की

हरीश रावत ने कहा कि भागवत का चौथा मंत्र है भ्रमण। हमने उत्तराखंड को ट्रेकर्स पेराडाइज के रूप में विकसित व प्रचारित किया। तथा लगभग 90 ट्रैक्स व ट्रैकिंग मानचित्र पर अंकित किए। मंत्रिमंडल की बैठकें भी रोटेट कीं और केदारनाथ तक में हमने मंत्रिमंडल की बैठक की।

पांचवां मंत्र: मौजूदा सरकार में परिधान का नहीं हो रहा प्रचार

हरीश रावत ने कहा कि हमने आभूषण आदि परंपरागत वस्त्रों और आभूषणों को न केवल प्रचारित किया, बल्कि उनको राजकीय संरक्षण तथा प्रोत्साहन उपलब्ध करवाया। लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार मे अब यह सब नहीं हो रहा है।

छठा मंत्र: भवन, कांग्रेस ने स्थानीय शिल्प को बढ़ावा दिया

रावत ने कहा कि यदि भवन से अर्थ स्थानीय शिल्प है तो हमने न केवल शिल्प को सरकारी भवनों में अनिवार्य किया, बल्कि स्थानीय शिल्प के संरक्षण के लिए धनराशि भी उपलब्ध करवाई। गूंजी, पुरोला आदि क्षेत्रों में इन भवन शैलियों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई। रंवाई, कुमाऊंनी और गढ़वाली भवन शैली को संरक्षित करने के निर्देश राज्य संग्रहालय को प्रदान किए। लेकिन आज सरकार बताए वह इस दिशा में क्या कर रही?

जाहिर है हरीश रावत उस मुद्दे का अपने तरकश का धारदार तीर बनाकर भाजपा पर हमला कर रहे जिससे उसे सबसे ज्यादा चुभन हो रही। संघ प्रमुख मोहम भागवत के छह मंत्र मैसेज को भी रावत ने इसी अंदाज में तीर की तरह भाजपा सरकार को चुभा दिया है।

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