देहरादून: वैसे तो उत्तराखंड सरकार 30 जून को ही कैबिनेट में फैसला कर चुकी थी कि पिछले साल की तरह इस साल भी कांवड़ यात्रा पर रोक रहेगी।इसका शासनादेश भी एक जुलाई को जारी हो गया था। लेकिन चार जुलाई को नए सीएम के तौर पर पुष्कर सिंह धामी आ गए और उनको यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का कांवड़ कराने को लेकर फोन आ गया।
अब फिर क्या था सीएम धामी को न चार करोड़ कांवड़ियों के आने से कोरोना की तीसरी लहर के संकट का ख्याल आया और न ही हाइकोर्ट में कांवड़ यात्रा न कराने को लेकर दिए एफिडेविट का ध्यान रहा। मुख्यमंत्री धामी आस्था का सवाल उठाकर कांवड़ यात्रा पर रोक के फैसले पर पुनर्विचार को बैठकें करने लगे और कांवड़ यात्रा के पक्ष में बयान भी दिए।
पड़ोसी राज्यों से मंत्रणा करने का दिखावा करने का दम भरा लेकिन मंगलवार को प्रघानमंत्री मोदी ने पूर्वोतर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में तीसरी लहर को लेकर चिन्ता जताई कि हिल स्टेशनों पर उमड़ती भीड़ और बिना मास्क और कोविड प्रोटोकॉल को तोड़ना दरअसल तीसरी लहर को न्यौता देना होगा।
जाहिर है प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी लहर को लेकर चिन्ता इन तमाम राज्यों के साथ-साथ पर्यटन प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए भी स्पष्ट संदेश थी। उसी के बाद सचिवालय में बैठक हुई और कांवड़ यात्रा पर सोमवार शाम तक ‘पड़ोसी राज्यों से बात करेंगे’, ‘उच्च स्तर पर बात करेंगे’ ‘आस्था है पर जान भी है’ जैसे वाक्यांशों में अपने ढुलमुल स्टैंड की सर्टिफ़िकेट दे रहे मुख्यमंत्री धामी ने रोक जारी रखने का ऐलान कर दिया।
हालांकि यूपी की योगी सरकार अभी भी कांवड़ यात्रा करा रही है यानी वहां रोक का फैसला नही हुआ है। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने तय किया है कि इस साल भी पिछले साल की तरह कांवड़ियों को गंगा जल लेने राज्य की सीमाओं में नहीं प्रवेश करने दिया जाएगा।