- मानसून सत्र में शामिल न होकर सीमांत जनपद में अपने कार्यकाल में हुए कार्यों का श्रेय लेने की यात्रा पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
- ग्रोथ सेंटरों, गर्तांगली का अपने लाव लश्कर के साथ लिया जायजा, रैथल से दयारा तक सात किमी का पैदल ट्रैक भी किया
- भारी बारिश से बेहाल अपनी विधानसभा व मानसून सत्र को छोड़ ’श्रेय यात्रा’ पर हो रही है किरकिरी
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र हफ्तेभर चलने के बाद शनिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। संवैधानिक नियमों के तहत सत्र के दौरान सभी विधायकों को विधानसभा में मौजूद रहना चाहिए लेकिन डोईवाला विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ठहरे त्रिवेंद्र सिंह रावत! इधर सत्र शुरू हुआ और उधर टीएसआर निकल पर सीमांत जनपद उत्तरकाशी में ‘क्रेडिट यात्रा’ पर हैं। देहरादून में डोईवाला विधानसभा क्षेत्र समेत संपूर्ण जिले में बारिश ने खूब तबाही मचाई हुई है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान हुए ‘ऐतिहासिक कार्यों’ का श्रेय लेने यात्रा पर निकले हुए हैं।
बीते तीन दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री व डोईवाला विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी भारी भरकम टीम के साथ सीमांत जनपद उत्तरकाशी के दौरे पर हैं। अपने मुख्यमंत्री काल में स्वीकृत योजनाओं का जायजा लेने के साथ ही वह विश्व प्रसिद्ध रैथल दयारा ट्रैकिंग भी कर चुके हैं तो करीब छह दशक बाद पर्यटकों के लिए खुली रोमांचक गर्तांगली में भी चहलकदमी कर चुके हैंजिसकी मरम्मत व नये स्वरूप के लिए गंगोत्री से विधायक रहे स्वर्गीय गोपाल सिंह रावत के लंबे पत्राचार व दौड़-भाग के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी थी। भारत-तिब्बत व्यापार के इस ‘साल्ट रूट’ की रोमांचक राह को खड़ी पहाड़ी को काटकर बनाया गया था, इसके निर्माण को लेकर विवाद भी शुरू हो चुका है। इतिहासकार मानते हैं कि इस खतरनाक गलियारे का निर्माण पेशावर से आए पठानों ने किया था। जबकि सीमांत जादुंग नेलांग अब वर्तमान में बगोरी निवासी बताते हैं कि इस गलियारे का निर्माण तब जादुंग में बेहद धनी व्यापारी सेठ धनीराम ने करवाया था।
खैर, तब जिसने भी निर्माण करवाया हो लेकिन अब हुए निर्माण व मरम्मत का श्रेय लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रस्तावित दौरे से पहले ही यहां पहुंच गये और साफ संदेश भी दिया कि साहसिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए उन्होंने इस गर्तांगली की मरम्मत करवाई। हालांकि इस बीच वह गंगोत्री से निर्वतमान विधायक दिवंगत गोपाल सिंह रावत को श्रेय देना भूल गये।
वहीं, उत्तरकाशी जनपद की गंगोत्री विधानसभा में दो-दो ग्रोथ सेंटर का निर्माण भी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय स्वीकृत व शुरू हुआ। एक डुंडा में व दूसरा भटवाड़ी के रैथल गांव में एक ग्रोथ सेंटर का निर्माण पूरा हो चुका है। इसका उद्घाटन भी वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रस्तावित था लेकिन इन दिनों दोनों ग्रोथ सेंटर में अपने लाव लश्कर के साथ पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन ग्रोथ सेंटर को भी अपने कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बताया। इस दौरान वह गंगोत्री विधानसभा में विधायक के टिकट के तलबगारों से भी घिरे रहे। रैथल दयारा ट्रैक के निर्माण का कार्य भी शुरू हो चुका है जिसे स्वर्गीय गोपाल सिंह रावत ने स्वीकृत करवाया था उस ट्रैक के पुनर्निर्माण कार्य को देखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रैथल से दयारा बुग्याल तक 7 किमी की पैदल ट्रेकिंग भी कर डाली।
हालांकि, इन दौरान विधानसभा का मानसून सत्र भी चलता रहा और सरकार विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष के हमलों से जूझती देखी गई, तो मौसम ने भी देहरादून जनपद को अपने निशाने पर ले रखा है। स्वयं त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोईवाला में बारिश के कहर ने देहरादून-ऋषिकेश मार्ग पर स्थित जाखन पुल शुक्रवार को ध्वस्त कर दिया था। लगातार बारिश से नदी किनारे बसे इलाकों में भारी तबाही का मंजर जारी है। इस मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार पर कांग्रेस ने हमलावर भी हो गई है। खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मोर्चा संभालते निशाना साधा है कि 57 साल पुराना रानी पोखरी पुल ध्वस्त होना भाजपा राज में चल रहे खनन के खुले खेल की बानगी है। ध्वस्त पुल का जायज़ा लेने पहुंचकर हरदा भाजपा की पेशानी पर और बल डाल रहे लेकिन इन सभी महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़कर पूर्व मुख्यमंत्री का गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र में अपने कार्यकाल के दौरान स्वीकृत व निर्मित योजनाओं की ‘श्रेय यात्रा’ पर सवाल उठने लाजमी है।
तो क्या नेतृत्वविहीन गंगोत्री में राजनीतिक संभावनाएं तलाश रहे त्रिवेंद्र…!
गंगोत्री से विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद व मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की यह चौथी उत्तरकाशी यात्रा है। भाजपा से विधायक गोपाल सिंह रावत का अप्रैल महीने में कैंसर से लड़ते हुए निधन हो गया था। इसके बाद इस सीट पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर मुख्यमंत्री बनाए गए तीरथ सिंह रावत को उपचुनाव लड़वाने की तैयारियां चल रही थी लेकिन अपने कार्यकाल के चार महीने पूरे होने से पहले ही तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया तो गंगोत्री विधानसभा में उपचुनाव की संभावना भी खत्म हो गई। लेकिन, इस बीच भी त्रिवेंद्र सिंह रावत का गंगोत्री प्रेम खूब दिखता रहा। वह तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उत्तरकाशी दौरे से पहले ही दो चक्कर गंगोत्री विधानसभा का लगाकर आ चुके थे।
तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी त्रिवेंद्र सिंह रावत गंगोत्री विधानसभा में लगातार सक्रिय बने हुए हैं। ऐसे में संभावनाएं जताई जा रही है कि गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद नेतृत्वविहीन हुई गंगोत्री विधानसभा पर त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने लिए राजनीतिक संभावनाएं तो नहीं टटोल रहे हैं! वैसे भी संकट के हालात में डोईवाला से विधायक के नाते टीएसआर की दूरी किसी के भी गले नहीं उतर रही।