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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का धामी सरकार पर निशाना: राज्य की जांच एजेंसियों पर नहीं भरोसा सीबीआई से कराई जाए UKSSSC पेपर लीक कांड की जांच, नौ बिंदुओं के जरिए उठाए ये गंभीर सवाल 

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देहरादून: UKSSSC पेपर लीक कांड के बाद कांग्रेस आक्रामक होकर राज्य सरकार को निशाने पर ले रही है। सरकारी भर्ती परीक्षाओं में नकल के ‘हाकमों’ की कारस्तानियों के किस्से अब रोज एसटीएफ उजागर कर रही है। अकेले UKSSSC पेपर लीक कांड में अब तक दो दर्जन आरोपी दबोचे जा चुके हैं और इस खेल में कई सफेदपोश चेहरों तक जांच की आंच पहुंच सकती है। खुद मुख्यमंत्री धामी ने संकेत दिए हैं कि एसटीएफ जांच के आगे सीबीआई का विकल्प भी खुला है। अब नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने नौकरियों में निष्पक्षता और पारदर्शिता को मुद्दा बनाते हुए कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ सरकारी नौकरिययां देना किसी भी देश, राज्य और सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारियों में से एक है। संविधान निर्माताओं ने केन्द्र में ‘‘संघ लोक सेवा आयोग’’ और विभिन्न राज्यों में राज्य लोक सेवा आयोगों को संवैधानिक संस्थाओं का स्वरूप दिया ताकि केन्द्र और राज्यों में नौकरियों के लिए आयोजित हो रही परीक्षाऐं हर तरह के दबाव से मुक्त हों और नौकरियां केवल योग्य उम्मीदवारों को ही मिल पाएं।

यशपाल आर्य ने कहा है कि उत्तराखण्ड में राज्य लोक सेवा आयोग राज्य की अधीनस्थ सेवाओं और ग्रुप सी के सैकड़ों पदों के लिए भर्ती नहीं कर पा रहा था इसलिए राज्य बनने के बाद ग्रुप सी और अधीनस्थ सेवा के पदों पर नियुक्ति के लिए प्राविधिक शिक्षा परिषद् सहित कई व्यवस्थाएं बनायी गईं।  ये सारी व्यवस्थाएं भी नाकाफी साबित हुई और इन व्यवस्थाओं के नकल माफिया के हाथ बिकने की खबरें आम हो गई थी। इसीलिए विधानसभा में कानून पास कराकर सितंबर 2014 में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्थापना की गई पर नकल माफिया को कोई फर्क नहीं पड़ा। 

आर्य ने कहा कि कुछ सालों से युवा और बेरोजगार नकल माफिया के विरुद्ध आवाज बुलंद कर रहे थे। हर परीक्षा के बाद बेरोजगार संघ और युवा पुलिस, आयोग और सरकार को ज्ञापन देकर अपनी शिकायत दर्ज कर रहे थे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि

बेरोजगारों के लंबे संघर्षाें और कांग्रेस पार्टी के विधायकों द्वारा पिछली और वर्तमान विधानसभा में सदन से लेकर सड़क तक यूकेएसएसएससी तथा अन्य परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्थाओं द्वारा आयोजित की जा रही परीक्षाओं में बड़े स्तर पर नकल का मामला उठाया जाता रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने नकल माफिया पर कार्यवाही करना तो दूर उल्टे नकल माफिया के विरुद्ध आवाज उठाने वाले बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों को ही जेल भेज दिया। लेकिन आखिर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बेरोजगारों के जनसंघर्षों और विप़क्ष की आवाज सुनी। 

आर्य ने कहा कि हाल ही में स्नातक स्तर की परीक्षा के मामले में सरकार ने मुकदमा दर्ज कर एस0टी0एफ0 को जांच सोंपी है। एस0टी0एफ0 ने भी आश्चर्यजनक ढंग से तेजी दिखाते हुए कुछ गिरफ्तारियां की हैं। त्वरित गिरफ्तारियों की प्रशंसा की जानी चाहिए । लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे राज्य के बेराजगारों, उनके अभिभावकों और सभ्य समाज की चिंताएं  बढ़ती जा रही हैं। आर्य ने कहा कि अपने पद से इस्तीफा देने से पहले यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष एस0राजू ने सार्वजनिक बयान देकर जो चिंताएं व्यक्त की हैं वे राज्य और यहां के युवाओं के हित में कदापि नहीं हैं। 

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सिलसिलेवार ढंग से इन चिंताओं के जरिए कई सवाल उठाए हैं। 

1-केवल स्नातक परीक्षा की ही बात करें तो हर दिन मामले में नई कड़ियां खुल रही हैं। जिस तरह से इस परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह के कथित मास्टरमाइंड हाकम सिंह रावत की सत्ताधारी दल के महत्वपूर्ण राजनेताओं, प्रशासन और पुलिस सेवा के बड़े अधिकारियों के साथ नजदीकियों या संबधों के प्रमाण सामने आ रहे हैं वैसे-वैसे राज्य की जनता का विश्वास जांचों की निष्पक्षता से उठ रहा है। 

 कांग्रेस के विधायकों द्वारा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा मामले को पिछली विधानसभा में नियम 58 के अन्तर्गत उठाया गया था और तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री स्व0 प्रकाश पंत ने मामले की जांच रिपोर्ट को सदन में रखने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन आज तक न तो जांच रिपोर्ट सदन में रखी गई और न ही इस मामले में एक भी गिरफ्तारी हो पायी है। मामले की जांच राज्य पुलिस की विजिलेंस कर रही है। परीक्षा को 6 साल हो गए हैं ओर आज तक इस मामले में एक भी गिरफ्तारी नही हुई है। 

2-स्नातक परीक्षा मामले में उत्तराखण्ड पुलिस मामला दर्ज होने के दूसरे ही दिन गिरफ्तारी करती है और ग्राम विकास पंचायत अधिकारी मामले में जहां ओ0एम0आर0 सीटों में छेड़खानी सहित कई वैज्ञानिक जांचें हो चुकी हैं, में 4 साल में भी गिरफ्तारी न होना सिद्ध करता है कि  नकल माफिया के कई गिरोह राज्य में मौजूद हैं और उनमें से कुछ को बचाया जा रहा है।

3-फरवरी 2020 में आयोजित हुई फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर नकल के मामले सामने आने पर मुकदमा दर्ज कर एस0आई0टी गठित की गई थी। एस0आई0टी की रिपोर्ट में 57 परीक्षार्थियों द्वारा ब्लू-टूथ द्वारा नकल करने की पुष्टि हुई थी जिसमें से 45 की शिनाख्त भी हो गई थी। यह भी अफसोसजनक है कि प्रश्न पत्र के इलैक्ट्रानिक माध्यम से बाहर आने और इसे सीमित नकल माना गया। जबकि आज सोशल मीडिया के जमाने में किसी भी दस्तावेज को वायरल करने में कुछ ही मिनट लगते हैं।

इस मामले में सबसे अफसोसजनक बात तो यह है कि इस मामले में जेल गया राज्य लोक सेवा आयोग का एक कर्मचारी जेल से छूट कर फिर राज्य लोक सेवा आयोग में नौकरी कर रहा है और रुड़की में कोचिंग संस्थान चला रहा है। मामले का दूसरा अभियुक्त भी रुड़की में कोचिंग संस्थान के साथ हॉस्टल चला रहा है। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हाकम सिंह रावत इन्हीं के साथ सह-अभियुक्त था परंतु उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। 

इस मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि पुलिस और सरकार की लचर पैरवी और यूकेएसएसएससी के मामले में पक्षकार न बनने के कारण कथित रूप से नकल कर फॉरेस्ट गार्ड बने और निकाले गए युवा अपने पक्ष में उच्च न्यायालय से नौकरी की बहाली का आदेश लेने में सफल हो गए थे। यह भी क्या ईमानदार युवाओं के सपने से खिलवाड़ नहीं कि यूकेएसएसएससी इस मामले में हाईकोर्ट में पार्टी भी नहीं बनी। 

यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य के लिए इससे अधिक शर्मिन्दगी की बात क्या हो सकती है कि नकल में दोषी सिद्ध होने के बाद भी दागी युवाओं को आयोग की लचर पैरवी के कारण फिर से न्यायालय के माध्यम से नौकरी मिल रही है। राज्य के आम जन और बेरोजगारों का इस कारण भी जांचों से भरोसा उठ रहा है।

4- राज्य लोक सेवा आयोग, यूकेएसएसएससी तथा अन्य चयन आयोगों तथा अन्य परीक्षाओं के माध्यम से चयनित प्रत्याशियों के स्तर को देख कर उनके वरिष्ठ और सहकर्मी हमेशा संदेह व्यक्त करते हैं। उत्तराखण्ड जैसे राज्य में इतने निम्न स्तर के अभ्यर्थियों का सेवा में आना संभव नहीं है। खासकर तब जब एक एक सरकारी नौकरी के लिए खासी मारामारी है और प्रतिभाओं की कमी भी नहीं। 

5- राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित कई परीक्षाओं में भी नकल माफिया गिरोह का हाथ बताया गया है। नकलची राज्य में लेक्चरर से लेकर इंजीनियर तक बन गए हैं। लोक सेवा आयोगों की सुरक्षा स्टील के ढांचे वाली मानी जाती है लेकिन उत्तराखण्ड में यह ढ़ाचा भी ढह गया है।

6- परीक्षाओं में केवल नकल की ही मार बेरोजगारों पर नहीं पड़ रही है। वन दरोगा परीक्षा में 80,000 बच्चों को गलत प्रश्नों का खामियाजा भुगतना पड़ा है। 

7- राज्य में यूकेएसएसएससी परीक्षा कराने वाली कंपनी व्यापम घोटाले में फंसी है और लखनऊ में इस कंपनी पर मुकदमा दर्ज है। सरकार को बताना चाहिए कि आखिर इस ब्लैक लिस्टिड कंपनी को काम देने के पीछे आखिर उसकी क्या मजबूरी है।

8-राज्य की हर परीक्षा में नकल गिरोहों का हाथ सामने आ रहा है। इसलिए सभी परीक्षाओं को जांच के दायरे में लाना आवश्यक है। हर चयनित अभ्यर्थी की कई तरह से जांच करना आवश्यक है। इन परीक्षाओं के माध्यम से राज्य की विभिन्न सेवाओं में आकर सेवाओं का स्तर और माहौल खराब करने वाली काली भेड़ों की पहचान कर उन्हें बाहर किया जाना आवश्यक है। 

9- आज तक इंजीनियरों और कई सेवाओं में चयनित अभ्यर्थिंयों के प्रमाण पत्रों का वेरिफिकेशन नहीं हुआ है। कई फर्जी प्रमाण पत्रों वाले उत्तराखण्ड में नौकरी कर रहे हैं।

यशपाल आर्य ने कहा कि नकल के मामलों में राज्य पुलिस की एस.आई0टी0, विजिलैंस आदि विंगों के पूर्व प्रदर्शन के आधार पर राज्य की जनता इनकी जांच की निष्पक्षता और नकल माफियाओं को सजा दिलाने की क्षमता पर भरोसा नही कर रही है। यशपाल आर्य ने कहा कि इन सभी मामलों की जांच उच्च न्यायालय की सिटिंग न्यायाधीश के पर्यवेक्षण में देश की शीर्ष जांच संस्था सी0बी0आई0 को सौपना ही न्यायोचित होगा।

यशपाल आर्य ने कहा कि अगर राज्य की पुष्कर सिंह धामी की अगुआई वाली भाजपा सरकार राजस्थान की कांग्रेस सरकार की तरह कठोर नकल विरोधी कानून नहीं लाती तब तक राज्य पुलिस के हाथ भी बंधे रहेंगे। 

आर्य ने कहा कि कड़ा कानून न होने के चलते राज्य पुलिस नकल माफिया की सम्पत्ति जब्त नहीं कर पाएगी और नकल माफियाओं पर बड़े आर्थिक दण्ड नहीं लगाए जा सकेंगे। इसलिए उत्तराख्ण्ड में नकल माफिया पर प्रभावी व कठोर कार्यवाही हेतु सरकार को अतिशीघ्र नकल विरोधी अध्यादेश लाना चाहिए। यदि सरकार राजस्थान की तर्ज पर नकल विरोधी अध्यादेश नहीं लाती है तो कांग्रेस इसे प्राइवेट मैम्बर बिल के रूप में आगामी विधानसभा सत्र के दौरान लेकर आएगी। 

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