उत्तराखंड: नौकरी का सुनहरा मौका, पटवारी-लेखपाल के 513 पदों पर भर्ती निकली, फिर क्यों ट्रोल हो रहा उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

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देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पटवारी के 366 और लेखपाल के 147 पदों पर भर्ती निकाली है जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 22 जून से शुरू होने जा रही है। आवेदन की अंतिम तिथि पांच अगस्त, फीस जमा कराने का लास्ट डेट सात अगस्त और शारीरिक दक्षता, लिखित परीक्षा की तारीख नवंबर में होगी जिसकी तिथि बाद में घोषित होगी। जिलावार पद निकाले गए हैं और परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन, जैसे हालात होंगे उसी तरह कराई जाएगी। पटवारी के लिए एज 21 से 28 साल और लेखपाल के लिए 21 से 35 साल के बीच होनी चाहिए। दोनोँ के लिए ग्रेजुएशन पास होना अनिवार्य है।


अब आते हैं मुद्दे पर कि भर्तियां निकालकर भी क्यों सोशल मीडिया में ट्रोल हो रहा है अधीनस्थ सेवा चयन आयोग?

दरअसल बेरोजगार युवाओं नो जैसे ही भर्ती की विज्ञप्ति निकली, इसका वेलकम किया और सोशल मीडिया में। लेकिन जैसे जैसे पूरी विज्ञप्ति जिसमें अधिकतम और हाइट माँगे जाने से लेकर शारीरिक क्षमता परीक्षण में पटवारी जिसकी अधिकतम आयु 28 रखी गई हैं उनके लिए दौड़ 7 किलोमीटर और 35 वर्ष तक के लेखपाल अभ्यर्थियों के लिये दौड़ 9 किलोमीटर रखने पर एतराज जताया जा रहा है। युवाओं का तर्क है कि पटवारी जिसे गाँव गांव दौड़ना है उनकी शारीरिक दक्षता कम और लेखपाल जिन्हें शहरी क्षेत्र में कार्य करना है उनका शारीरिक दक्षता परीक्षण ज्यादा कठिन रखा गया है। जबकि कुछ बेरोजगार युवाओं ने कहा 2017 में पटवारी भर्ती की घोषणा हुई थी अब चार साल बाद विज्ञप्ति निकली है लेकिन आयु छूट नहीं दी गई जबकि करीब दो साल से कोरोना महामारी है।
अब नर्सिंग स्टाफ भर्ती का हाल देखकर युवा अभी से पटवारी-लेखपाल भर्ती को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार का कहना है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में कई खामियां हैं जिससे यह मालूम होता है कि ये भर्ती केवल और केवल सरकार ने अपनी उपलब्धि दर्ज कराने भर के लिए ही निकाली है।

शारीरिक दक्षता की यदि बात की जाए तो पटवारी के लिए 60 मिनट में 7 किमी दौड़ तथा लेखपाल के लिए 60 मिनट में 9 किमी दौड़ रखी गई है। जो कि हैरान करने वाली बात है क्योंकि जिस पटवारी को पहाड़ के दूरदराज गांवों में नौकरी करनी है उसकी शारीरिक दक्षता लेखपाल से कम है जिसे शहरी क्षेत्र में नौकरी करनी है। दूसरी खामी ये है कि लेखपाल की पूर्व की भर्तियों में कभी भी ऊंचाई यानी हाइट का जिक्र नहीं किया गया, इसलिए कई युवा कम लम्बाई के चलते पटवारी का फार्म नहीं भर सकते थे वे लेखपाल की शाररिक दक्षता में ऊंचाई ना होने पर फार्म भर सकते थे। इससे समानता के अधिकारों का हनन भी नहीं होता था।साथ ही पटवारी भर्ती की घोषणा 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सरकार बनते ही कर दी थी लेकिन आज सवा चार 4 साल बीतने के बाद यह भर्ती निकली है। ऐसे में जो युवा तब से इंतजार कर रहे हैं आज वो ओवरएज हो गए हैं। सरकार को कम से कम इस कोविड काल के दो वर्षों की छूट देकर आयु सीमा 28 से बढ़ाकर 30 कर देनी चाहिए थी। वहीं इस भर्ती में आयु सीमा की गणना जुलाई 2020 से ना कर जुलाई 2021 से का जाना चाहिए थी।

बॉबी पंवार, अध्यक्ष, उत्तराखंड बेरोज़गार संघ

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