देहरादून/नैनीताल: Uttarakhand Floods in Kumaon उत्तराखंड में दो दिन की बेमौसमी भारी बारिश कुमाऊं क्षेत्र पर कहर बनकर टूटी है। कहीं भूस्खलन, कहीं मकान-छत ढहने या करंट लगने जैसी घटनाओं से अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 11 लोग लापता हैं। अभी तक नैनीताल में 29, अल्मोड़ा में 6, चंपावत में 4, पिथौरागढ़, बागेश्वर और ऊधमसिंहनगर में एक-एक व्यक्ति की मौत की जानकारी मिली है। हालांकि आधिकारिक आँकड़ों में मृतकों की संख्या 46 बताई गई है। प्रदेशभर में दो दिनों की प्रलंयकारी बारिश में 48 लोगों के मारे जाने की सूचना है।
नैनीताल आपदा प्रबंधन विभाग ने जिले में 25 लोगों की मौत और सात के लापता होने की पुष्टि कर दी है। मृतकों में यूपी-बिहार के 14 मजदूर शामिल हैं। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के झुतिया, सुनका ग्रामसभा में 9 मजदूर घर में ज़मींदोज़ हो गए। झुतिया गांव में ही एक मकानों मलबे में दबने से पति-पत्नी और बेटे की मौत हो गई। जबकि धारी ब्लॉक के दोषापानी में 5 मजदूरों की दीवार के नीचे दबने से मौत हो गई। वहीं क्वारब में 2, कैंचीधाम के पास 2, बोहराकोट में 2, ज्योलीकोट में एक और भीमताल के खुटानी में हल्दूचौड़ के एक शिक्षक के बेटे की मलबे में दबने से मौत हो गई।
आसमान से बरसी इस आफत के बीच जहां स्थानीय प्रशासन के हाथ-पाँव फूलते नजर आए वहीं एक बार फिर सेना देवदूत बनकर आई और सैंकड़ों लोगों को सुरक्षित निकाला। जानकारी के अनुसार अब तक 600 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया है। लेकिन दो दिन की आफत की बारिश में जिस तरह से सड़क-पुल संपर्क मार्ग ध्वस्त होकर बाधित हुए, बिजली आपूर्ति से लेकर मोबाइल-इंटरनेट सेवाएँ ठप हुई उसने अलर्ट के बावजूद तैयारियों की फिर से पोल खोल कर रख दी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राज्य सरकार पर बारिश से पैदा हुए आपदा के हालात से निपटने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ धन सिंह रावत और सरकारी तंत्र मौसम विभाग की पूर्व चेतावनी के बावजूद सोया रहा। यदि वह समय पर जाग जाता तो काफी हद तक जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकता था।
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जरूर ग्राउंड जीरो पर उतरकर न केवल राहत और बचाव के कार्यों की मॉनिटरिंग की बल्कि पीड़ितों से मुलाकात कर ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की कोशिश भी की। सीएम धामी ने आफत की बारिश में मारे गए लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए के मुआवज़े का ऐलान भी किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा में हुए जान-माल के भारी नुकसान पर गहरा शोक जताया है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज हवाई सर्वेक्षण के ज़रिए हालात का जायज़ा लेंगे।
दो दिन की बारिश, टूटे 100 साल से ज्यादा वर्षों के रिकॉर्ड
मौसम विज्ञानियों की मानें तो पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और दक्षिणी-पूर्वी हवाओं के गठबंधन से बदले मौसम के मिजाज ने पहाड़ खासकर कुमाऊं में मूसलाधार बारिश के हालात बनाएं जिससे दो दिनों मे भारी तबाही हुई। कहा जा रहा है कि इस मूसलाधार बारिश ने 100 साल से अधिक पुराने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार कुमाऊं मंडल के मुक्तेश्वर में 107 साल पहले 18 सितंबर 1914 को 254.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी लेकिन सोमवार-मंगलवार की मूसलाधार बारिश में यह रिकॉर्ड टूट गया है। इस दौरान मुक्तेश्वर में 340.8 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि चंपावत में 580 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई। वहीं नैनीताल में 530, ज्योलीकोट में 490 मिमी, भीमताल में 400 मिमी, हल्द्वानी में 300 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
अल्मोड़ा में छह और चम्पावत में पांच लोग जिंदा दफन
अल्मोड़ा में 6 लोगों की मलबे में दबने से मौत हुई है। जबकि, चंपावत में 5 और पिथौरागढ़-बागेश्वर में भी एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। बाजपुर में तेज बहाव में बहने से एक किसान की मौत हो गई। उधर, बारिश का पानी घर में घुसने से फैले करंट से किच्छा में यूपी के देवरिया के विधायक कमलेश शुक्ला के घर में करंट फैलने से बहू की मौत हो गई। नैनीताल के ओखलकांडा में छह लोग और हल्द्वानी में मंगलवार देर शाम गौला नदी में बहने से एक युवक लापता हैं।
प्रलयंकारी बारिश में कहां कितनी मौतें हुई
कुमाऊं में 43 और लोगों की मौत के साथ ही आपदा के कारण मरने वालों की संख्या 46 हो गई है क्योंकि पांच लोगों की मौत सोमवार को हुई थी। डीआईजी निलेश आनंद भारने ने बताया, ”कुमाऊं क्षेत्र में मरने वालों की संख्या 40 से अधिक हो गई है।” बताया कि इन 43 मौतों में से 28 लोग नैनीताल जिले में मारे गए, 6-6 लोगों की मौत अल्मोड़ा एवं चंपावत जिलों में, एक-एक व्यक्ति की मौत पिथौरागढ़ और ऊधम सिंह नगर जिले में हुई है।