अड्डा Analysis: पंजाब कांग्रेस फ़ॉर्मूला आज़माया जाएगा उत्तराखंड में भी! चार कार्यकारी अध्यक्ष के साथ नवजोत सिंह सिद्धू बने पंजाब कांग्रेस प्रधान

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दिल्ली/देहरादून: लंबी खींचतान और कलह कुरुक्षेत्र के बाद आखिरकार कांग्रेस आलाकमान पंजाब में चुनाव से पहले नए संगठन के प्रधान का ऐलान कर पाया है। नवजोत सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस प्रधान बनाने का ऐलान कर दिया गया है लेकिन उनके साथ एक, दो नहीं पूरे चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं।


चार कार्यकारी अध्यक्ष संगत सिंह गिलजान, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह माहरा होंगे। पवन गोयल पुराने कांग्रेसी हैं और डैनी विधायक और दलित नेता हैं। कांग्रेस अपने तरीके से चार कार्यकारी अध्यक्ष देकर जट सिख सीएम और जट सिख पार्टी प्रदेश प्रधान बनाने का जोखिम लिया है तो गोयल और डैनी के ज़रिए हिन्दू-दलित संतुलन साधने का भी प्रयास किया है।


अब कहानी शुरू होती है उत्तराखंड की क्योंकि पंजाब कांग्रेस का कलह इतना बढ़ गया कि पार्टी आलाकमान ने पहाड़ के पॉलिटिकल पचड़े तो बैक सीट पर धकेल दिया। लेकिन अब उत्तराखंड पर फैसला एकाध दिन में हो सकता है और पंजाब में जैसे अमरिंदर-सिद्ध विवाद निपटाया गया है उसी तरह का फ़ॉर्मूला उत्तराखंड में भी आज़माने के आसार बढ़ गए हैं। यहाँ पंजाब पचड़े को सुलझाने में कांग्रेस आलकमान के मैसेंजर रहे पूर्व सीएम हरीश रावत ही प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ उलझे पड़े हैं। हरदा वर्सेस प्रीतम जंग में पार्टी एक माह से कराह रही है लेकिन नेता प्रतिपक्ष पर समाधान नहीं निकल सका है।


अब अगर यहां भी पंजाब फ़ॉर्मूला चला और प्रीतम सिंह पीसीसी चीफ बने रहते हैं और करन माहरा को CLP नेता यानी नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है तो गणेश गोदियाल, भुवन कापड़ी जैसे किसी ब्राह्मण चेहरे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर ठाकुर-ब्राह्मण संतुलन साधने की कोशिश हो सकती है। साथ ही दलित-मुस्लिम समीकरण भी साधने की कोशिश हो सकती है। लेकिन अगर हरदा का दबाव कामयाब रहा तो प्रीतम सिंह को सीएलपी नेता और गणेश गोदियाल या किसी और हरदा समर्थक ब्राह्मण चेहरे को पीसीसी चीफ बनाया जाएगा।


उत्तराखंड में भले कांग्रेस विपक्ष में है लेकिन पेंच पंजाब की तरह हरदा-प्रीतम में ऐसे फंसे हैं कि कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं। इधर हरदा की पसंद का अध्यक्ष न बना तो वे कैंपेन कमेटी की कमान संभालने को तैयार नहीं और उधर पीसीसी चीफ पद लिया जाता है तो प्रीतम सीएलपी नेता बनने की बजाय साधारण कार्यकर्ता रहने की शर्त लगा चुके हैं। वैसे प्रीतम सिंह कैंप समीकरण साधने को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव पहले से देता आ रहा है।


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