कांग्रेस में शह-मात जारी: तिकड़ी के मुकाबले अकेले पड़ते हरदा चुनाव पूर्व बदलवा पाएंगे प्रदेश अध्यक्ष, कठिन है डगर!

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दिल्ली/देहरादून: सोमवार को पहाड़ कांग्रेस के दिग्गज दिल्ली में जुटे। पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर के खिलाफ भड़की आग शांत कराने के लिए हरदा पहले से दिल्ली डेरा डाले हुए हैं। रविवार को नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश भी दिल्ली पहुंच गई। सोमवार को प्रीतम सिंह दिल्ली पहुँचे। उत्तराखंड के तीनों कांग्रेसी नेताओं की प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव के साथ मैराथन बैठक चली। हालॉकि कांग्रेसी सूत्रों ने बताया कि हरदा महासचिव केसी वेणुगोपाल से पहले मुलाकात कर चुके लेकिन सोमवार को प्रभारी के साथ ही तीनों नेताओं का मंथन चला।
सूत्रों ने खुलासा किया है कि 2022के विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से ठीक पहले कांग्रेस में कैंप वॉर छिड़ा हुआ है। जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बाइस बैटल से पहले चुनावी जंग का सेनापति घोषित करने की तान छेड़े हुए हैं, वहीं इंदिरा-प्रीतम की जोड़ी सामूहिक नेतृत्व का ढपली बजा रहे हैं। यहाँ तक कि हरदा के चेहरे वाले दांव को प्रभारी देवेंद्र यादव का समर्थन भी नहीं मिल पाया है। इस लिहाज से प्रदेश की राजनीति की ये मौजूदा तिकड़ी हरदा के मिशन 2022 की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। पूर्ववर्ती प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के साथ भी हरदा की पटरी नहीं बैठ पाई थी।
एक कांग्रेसी इनसाइडर का कहना है कि हरदा चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष बदलवाने को लेकर आखिरी जोर-आजमाइश कर रहे हैं और उनकी मुलाकात आज की बैठक से पहले केसी वेणुगोपाल से भी हुई है लेकिन अभी उनके दांव को दम मिलता नहीं दिख रहा है। सल्ट उपचुनाव की हार भी हरीश रावत की राह का काँटा बन गई है और प्रीतम-इंदिरा और प्रभारी की तिकड़ी दांव-पेंच में पसीना छुड़ा रही है। हरदा की रणनीति है कि चुनाव पूर्व चेहरा घोषित हो जाए और अगर ऐसी संभावना बनती है तो वरिष्ठतम नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के नाते उनका दावा स्वाभाविक होगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष बदलकर भी बाजी अपने पक्ष में की जा सकती है।
हालॉकि सोमवार को चली मैराथन बैठक में चुनावी के लिए रणनीति से लेकर चेहरे बनाम सामूहिक नेतृत्व पर मंथन हुआ है।


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