देहरादून: बुधवार दोपहर को एक ऐसी खबर भी आएगी कि सबकी आँखों के सामने अचानक अंधेरा छा जाएगा यह किसी ने सोचा नहीं था। तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में वायु सेना का एमआई-17, जिसे सैन्य आवागमन के आधुनिकतम हैलिकॉप्टरों में शुमार किया जाता है, क्रैश हो जाएगा और इस दुखद हादसे में भारतीय सेना का एक शानदार नायक, चीफ ऑफ डिफ़ेंस स्टाफ-सीडीएस जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत अपनी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्य अधिकारियों के साथ इस दुनिया को अलविदा कह देंगे। यूं बीच सफर छोड़कर गए जनरल रावत देशभर में हर तरफ आँखों को नम कर गए। उत्तराखंड ने तो अपना ऐसा लाल खो दिया जिसके कंधों पर देश की सैन्य ताकत का बहुत बड़ा भार था। पहाड़ की आँखें नम हैं, सब तरफ एक ठहराव सा दिख रहा है। यक़ीनन इस तरह जनरल बिपिन रावत विदा होंगे इसकी कल्पना किसी ने सपने में भी नहीं की थी।
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का सैन्य करिअर न केवल शानदार रहा बल्कि उनकी हिम्मत की चमक उनको मिले तमग़ों में झलकती थी। जनरल रावत गोरखा रेजिमेंट के चौथे अधिकारी थे, जो देश के सेनाध्यक्ष बनें। जनरल बिपिन रावत का कद एक सैन्य नायक के रूप में कितना विराट है इसकी बानगी उनके सेना की कमान संभालने के बाद पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक, डोकलाम में चीनी सेना को पीछे धकेलने जैसे उदाहरणों से दिख जाती है। उन्हीं के सेनाध्यक्ष रहते जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद माहौल को संभालने में सेना कामयाब रही।
देश के प्रथम सीडीएस बने जनरल बिपिन रावत
जनरल बिपिन रावत 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस बने थे। यह पद संभालने वाले वे भारतीय सशस्त्र बलों के पहले अधिकारी रहे। यह जनरल बिपिन रावत के सैन्य जीवनकाल के साहसिक कार्यों का ही परिणाम रहा कि भारत सरकार ने सेना प्रमुख पद से उनके रिटायरमेंट से ठीक पहले सीडीएस बना दिया। बतौर सीडीएस में जनरल रावत का कार्यकाल 2022 में खत्म हो रहा था, लेकिन किसे पता था वे यूं दुनिया छोड़कर अचानक चले जाएंगे।
जनरल रावत का एनडीए से आईएमए तक का सफर
जनरल बिपिन रावत महाराष्ट्र के खड़कवासला में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिल होने से पहले शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल मे पढ़े थे। जनरल रावत ने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी-IMA में ट्रेनिंग ली थी। जनरल बिपिन रावत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ एक पैदल सेना बटालियन की कमान संभाली, जो पूर्वी क्षेत्र में भारत की स्थिति को चीनियों से अलग करती है। उन्होंने कश्मीर घाटी में एक पैदल सेना डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान भी संभाली थी।
गोरखा रेजिमेंट से सेना प्रमुख तक का सफर
जनरल बिपिन रावत गोरखा रेजीमेंट के सैन्य अधिकारी थे। जनरल रावत गोरखा रेजीमेंट के चौथे ऐसे अधिकारी थे जो सेनाध्यक्ष पद पर पहुँचे थे। सीडीएस के रूप में जनरल रावत सेना से संबंधित मसलों पर भारत सरकार के सिंगल पॉइंट एडवाइज़र की भूमिका में थे। सीडीएस जनरल रावत ने सशस्त्र बलों के तीनों विंग भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के बीच बेहतर तालमेल पर फोकस किया और सैन्य मॉडर्नाइजेशन को तवज्जो दी। जनरल रावत को 31 दिसंबर 2016 को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। एक चार सितारा सैन्य अधिकारी, जनरल रावत को 30 दिसंबर 2019 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था।
बेदाग रहा जनरल बिपिन रावत का सैन्य करिअर
जनरल रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड -2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव की सेवा में करीब 40 साल बिताए। जनरल रावत जूनियर कमांड विंग में सैन्य सचिव की शाखा और वरिष्ठ प्रशिक्षक के पद पर भी रहे। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएनपीएफ) का भी हिस्सा थे और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी।
सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को किया था पस्त
अपने शानदार और सफल सैन्य करिअर में जनरल बिपिन रावत के नाम एक के बाद एक अनेक उपलब्धियां जुड़ती गई। जनरल रावत ने नॉर्थ-ईस्ट में उग्रवाद को क़ाबू करने से लेकर म्यांमार में 2015 सीमापार ऑपरेशन की मॉनिटरिंग करने और 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक की निगरानी में बेहद अहम भूमिका निभाई थी।
जनरल बिपिन रावत ने डोकलाम में चीन को पीछे धकेला
2017 में डोकलाम में भारतीय और चीनी सेनाएं आमने-सामने आ गई थी। चीन डोकलाम के एक हिस्से में सड़क बना रहा था लेकिन भारतीय सेना के कड़े विरोध के बाद दोनों सेनाओं के बीच युद्ध जैसी स्थिति आ गई थी। 70 से ज्यादा दिनों तक डोकलाम विवाद चला था लेकिन तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने चीनी सेना का डटकर सामना किया और अंतत: ड्रैगन को पीछे होने पर मजबूर होना पड़ा।
जनरल रावत ने कश्मीर में लॉन्च किया था ऑपरेशन ऑलआउट
जम्मू-कश्मीर में सीमापार पाकिस्तान से फैलाए जा रहे आतंक को मुँहतोड़ जवाब देने को सेना की कमान संभालने के बाद जनरल बिपिन रावत ने 2017 में भारतीय सेना की तरफ से ऑपरेशन ऑलआउट लॉन्च किया गया। इस ऑपरेशन के जरिए जम्मू कश्मीर में कई आतंकी संगठनों को ठिकाने लगाया गया।
मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाया तो जम्मू-कश्मीर में जनरल रावत ने संभाला था मोर्चा
केंद्र की मोदी सरकार ने 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो घाटी में शांति बनाए रखने को सरकार ने बड़ी संख्या में सेना के जवानो को कश्मीर में तैनात किया और इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सेना प्रमुख बिपिन रावत संभाली थी।
जनरल बिपिन रावत का उपलब्धियों भरा शानदार करिअर
2015 में भारतीय सेना ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (NSCN-K) के उग्रवादियों द्वारा किए गए घात का सफलतापूर्वक जवाब दिया। जनरल रावत ने उस मिशन की निगरानी की थी जिसे III-कोर आयोजित किया गया था।
2016 में जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के उरी बेस कैंप पर आतंकवादी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना का हिस्सा थे। भारतीय सेना की एक टीम ने एलओसी पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में प्रवेश किया। जनरल रावत ने नई दिल्ली में साउथ ब्लॉक से घटनाक्रम की निगरानी की थी।
जनरल बिपिन रावत परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से अलंकृत थे और उनकी भारतीय सेना में विशिष्ट सेवा सदैव देश के गौरवशाली सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगी। सैल्यूट जनरल