
उत्तरकाशी: 4 जुलाई को सूबे को युवा मुख्यमंत्री मिला तो यकीन दिलाने की कोशिशें हुई कि पहले जो आए थे शायद लायक न रहे पर अब युवा हाथों में सरकार की कमान है लिहाजा धरातल पर सिस्टम दौड़ता दिखेगा। लेकिन युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कैसा आपदा प्रबंधन तंत्र है कि एक गांव पर आसमान से आफत रविवार रात्रि 9 बजे टूटी और सोमवार रात्रि 9 बज चुके लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद निराकोट गांव के आपदा प्रभावित ग्रामीणों के ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की फुरसत किसी को नहीं मिली। ग्रामीण फ़ेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया माध्यमों से अपने हालात की तस्वीरें भेज रहे लेकिन प्रशासन दिन भर पीठ फेरे रहा।
निराकोट गांव के ग्राम प्रधान जितेन्द्र गुंसाई आपदा प्रबंधन से लेकर उत्तरकाशी ज़िलाधिकारी को फ़ोन लगा-लगाकर मदद मांगते रह गए लेकिन 24 घंटे से अधिक वक्त गुज़र गया आपदा प्रभावित गांव सरकार-प्रशासन का एक नुमाइंदा नहीं पहुँचा। जिला मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूर जहां बादल फटा उस गांव तक पहुँचने की ज़हमत किसी ने नहीं उठाई। या फिर संभव है कि प्रशासन जब तक आपदा में कुछ लोगों की जान न चली जाए तब तक उस आपदा को आपदा मानता ही नहीं फिर चाहे किसी का घर-मकान मलबे का ढेर बन जाए या किसी की खेती बरबाद हो जाए।
बीती रात बादल फटने की घटना के बाद घबराए अधिकतर ग्रामीण गांव छोड़कर रिश्तेदारों के पास जाने को मजबूर हुए हैं और जो बचे हैं वे मंदिर में शरण लिए हैं। सवाल है कि जब ग्रामीण सोशल मीडिया में अपने यहाँ आई तबाही की तस्वीरें भेज रहे और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे तब क्या जिला प्रशासन बिलकुल बेख़बर है!
बादल फटने के 24 घंटे गुज़रने के बाद भी किसी सरकारी नुमाइंदे के हालात जानने न पहुँचने के ग्रामीणों के आरोप पर अब सामने आया उत्तरकाशी DM का पक्ष
DM ने बताया है कि घटना की रात ही तत्काल पुलिस टीम निराकोट गांव के लिए गई। टीम ने पाया कि कोई राहत बचाव वाली स्थिति नहीं है। नाले में पानी बहुत बहा था। बाद में क्यूआरटी टीम भी गयी थी। पुलिस की लौटती टीम ने उनको बताया की वहाँ कोई जनहानि व भवन हानि नहीं है। इसलिए टीम वहां से वापस आ गई। स्थानीय पटवारी ने बताया की उनकी वार्ता 19.7.2021 को ग्राम प्रधान से भी हुईं। उनके द्वारा बताया गया की खेती, आगम, चौक टूटे है। पटवारी द्वारा अभी बताया गया की वे निराकोट ही जा रहे हैं।