मातृभाषा उत्सव का उद्घाटन: शिक्षा की नींव तैयार करने का बेहतर माध्यम है मातृभाषा, अपनी बोली-भाषा में बच्चे पढ़ें-बढ़ें NEP का यही मंत्र- डॉ धन दा

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  • फाउंडेशन लर्निंग के लिये उचित माध्यम है मातृभाषाः डाॅ0 धन सिंह रावत
  • डाॅ0 रावत ने वर्चुअल माध्यम से किया ‘मातृभाषा उत्सव’ का उद्घाटन
  • कहा: NEP-2020 में स्कूलों को मातृभाषा में पढ़ाने की अनुमति

Uttarakhand News: लोक भाषाओं में बच्चों की अभिव्यक्ति बढ़ाने एवं मातृभाषा के प्रति बच्चों में सम्मान की भावना विकसित करने के उद्देश्य से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा दो दिवसीय उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव आयोजित किया गया है। मातृभाषा उत्सव का उद्घाटन प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डाॅ0 धन सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से किया।

इस मौके पर सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ रावत ने कहा कि फाउंडेशन लर्निंग के लिये मातृभाषा सबसे उचित माध्यम है क्योंकि छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में कोई भी चीज सबसे तेजी से सीखते और समझते है। इसलिये जहां तक संभव हो बच्चों को मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाए। उन्होंने कहा कि इसका प्रावधान बाकायदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP 2020) में भी किया गया है।

आज एससीईआरटी (SCERT) द्वारा किसान भवन सभागार देहरादून में आयोजित दो दिवसीय उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव का शिक्षा मंत्री डाॅ0 धन सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि मातृभाषा में बच्चों की अभिव्यक्ति बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिये। इसमें अभिभावकों एवं शिक्षकों की भूमिका सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन लर्निंग के लिये मातृभाषा सबसे उचित माध्यम है, इसलिये जहां तक संभव हो बच्चों को मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाए।


डाॅ0 रावत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भी मातृभाषा में शिक्षा देने की अनुशंसा करती है। इसीलिये इस नीति में त्रि-भाषा फाॅर्मूले का प्रावधान किया गया है ताकि बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा स्थानीय भाषा में भी पढ़ाया जा सके। विभागीय मंत्री ने कहा कि राज्य की विभिन्न लोक भाषाओं में बच्चों को लोककथा, नाट्य संवाद एवं लोकगीत के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इससे बच्चों के मन में अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान की भावना विकसित होगी। साथ ही बच्चे एक-दूसरे की भाषाओं से भी परिचित हो पायेंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 17 मातृभाषाएं चिन्हित हैं जिसमें विशेष रूप से गढ़वाली, कुमांऊनी, जौनसारी, रां, रंवाल्टी, जार, माच्र्छा, राजी आदि शामिल हैं।

इसके अलावा प्रदेश में कई बोलियां भी बोली जाती है, जिन्हें संरक्षित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। डाॅ0 रावत ने मातृभाषा उत्सव आयोजित करने पर विभागीय अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों की समझ विकसित होती है। कार्यक्रम में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने विचार व्यक्त कर मातृभाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

कार्यक्रम में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक शोध एव प्रशिक्षण संस्थान सीमा जौनसारी, निदेशक माध्यमिक आर0के0 कुंवर, निदेशक बेसिक वंदना गब्र्याल सहित विभागीय अधिकारी और विभिन्न स्कूलों से आये शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रही।


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