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राज्य स्थापना दिवस पर धामी सरकार पर आर्य का अटैक: बढ़ता कर्ज, बेरोजगारी, पलायन, महिलाओं की बदहाल स्थिति, दिखावे भर को गैरसैंण राजधानी जैसे मुद्दों को उछाल यशपाल आर्य ने बोला हमला

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Uttarakhand News: उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। लगे हाथ नेता प्रतिपक्ष आर्य ने राज्य की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। आर्य ने कहा कि
जिस उत्तराखंड का सपना राज्य आंदोलनकारियों ने देखा था, वह आज तक पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन के पीछे दो सदियों का संघर्ष और कई राज्य आंदोलकारियों की शहादत है, जिसके बदौलत आज उत्तराखंड अपने अस्तित्व में आया है लेकिन अभी भी उनके सपनों का उत्तराखंड अधूरा है। आर्य ने कहा कि राज्य की मूल अवधारणा के प्रश्न हमारे सामने आज भी वैसे ही खड़े हैं।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सिलसिलेवार ढंग से इन सवालों को उठाया है:

1 .उत्तराखंड में लगातार घट रही उत्पादकता और बढ़ते खर्च की बदौलत आज प्रदेश लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है, जिसका सरकार अभी तक स्थाई समाधान नहीं ढूंढ पाई है। आज यह स्थिति है कि हर महीने सरकार को 200 से 300 करोड़ रुपये तक का ऋण बाजार से उठाना पड़ता है।

2. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आज भी महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी है। आज भी उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ी-लिखी ग्रेजुएट बेटियां घास काटते और गांव में घर का काम करते नजर आती हैं। इसका मूल कारण है कि महिलाओं के रोजगार को लेकर सरकार ने कोई बड़े कदम नहीं उठाए।

3. पहाड़ी इलाकों से पलायन राज्य का एक बड़ा नासूर बन चुका है सरकार पलायन पर नकेल लगाने में नाकाम साबित हुई है। पलायन को लेकर राज्य में हालात इतने बदतर होते जा रहे हैं कि कई गांव अब घोस्ट विलेज बन चुके हैं।

4. भाजपा सरकार की गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा लगता है कि घोषणा ही बनकर रह गई है और ग्रीष्मकालीन राजधानी नाम तक ही सीमित रह गई है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया है कि पर्वतीय जिले मूलभूत सुविाधाओं के लिए तरस रहे हैं। बीते दो दशक में 1200 से अधिक गांव वीरान हो चुके हैं और 4000 स्कूल बंद हो चुके हैं। सरकार अब पर्वतीय क्षेत्रों में पॉलीटेक्निक व आइटीआइ भी बंद करने जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोजाना कई लोग दम तोड़ रहे हैं। रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के लिए पृथक राज्य की मांग की गई थी। पर स्थिति यह है कि राज्य का युवा रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा हुआ है। प्रदेश में रोजगार की पूरी व्यवस्था ठेकेदारों के अधीन है। कर्मचारियों का उत्पीड़न हो रहा है। महिलाओं पर अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। राज्य के संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो चुका है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं, ऊर्जा प्रदेश को आज भी दूसरे प्रदेशों से बिजली खरीदनी पड़ रही है। वनों की हालत यह हैं कि हर साल आग लगना आम बात हो गई हैं, जिससे जल संकट बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है।

आर्य ने कहा कि उत्तराखंड की इस साल की सबसे बड़ी घटना उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सहित अन्य परीक्षा घोटाला है। यह एक ऐसी घटना है ,जिसने उत्तराखंड के विकास को खुली किताब की तरह सबके सामने रख दिया। हमारे सपनो के राज्य में माफिया दीमक की तरह कितने अंदर तक घुस चुका है ,इस घटना से स्पष्ट रूप से पता चल रहा है।

यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंडियत को बचाए रखने के लिए पहाड़ की जनता के दुख दर्द को समझना अति आवश्यक है। प्रदेश में एक सख्त भू कानून लागू करने की आवश्यकता है और यह भू-कानून पूरे प्रदेश की 100% भूमि के लिए लागू होना चाहिए। पर्वतीय जिलों में सबसे बड़ी समस्या गुणवत्ता वाले स्कूलों की है और रोजगार सृजन के अवसरों के लिए राज्य स्तरीय कौशल निर्माण विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग अरसे से हो रही है। राज्य सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मूलतः गांव ही विकास और लोगों की बसाहट की मूल इकाई हैं। गांवों की खुशहाली मजबूत करनी होगी जिससे पलायन रुके और स्थानीय लोगों को छोटे मोटे रोजगार की तलाश में गांव से पलायन न करना पड़े।

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