वार-पलटवार में बुरे फंसे बलूनी: हरद्वारी लाल के जवाब में हरदा ने बलूनी को इतवारी लाल बताकर दबाई कमजोर नब्ज

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देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और बीजेपी नेशनल मीडिया हेड और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी में ट्विटर वॉर छिड़ा हुआ है। हरदा ने नमाज छुट्टी से लेकर बीजेपी के उनके खिलाफ ‘मौलाना’ दुष्प्रचार पर अटल, मोदी और मोदी के टॉपी पहने फोटो शेयर कर जंग छेड़ी। हालाँकि बाद में ये फोटो हटा लिए क्योंकि बीजेपी सांसद अनिल बलूनी ने विकास के मुद्दे पर बहस का आह्वान किया। साथ ही बलूनी ने हरीश रावत पर अल्मोड़ा के हरदा की बजाय हरद्वारी लाल बन जाने का तंज भी कसा। लेकिन उसके बाद एक के बाद एक ट्विट कर हरीश रावत अनिल बलूनी को विकास के मुद्दे पर बहस के लिए ललकार रहे हैं।

खुद का हरद्वारी लाल कहे जाने के जवाब में हरदा ने सांसद बलूनी की कमजोर नब्ज दबाते हुए मीडिया में बयान देकर उनको इतवारी लाल बताया है, जो जमीनी राजनीति की बजाय साप्ताहिक पार्ट टाइम उत्तराखंड पॉलिटिक्स करते हैं। जाहिर है ऐसा कहकर कांग्रेस कैंपेन कमांडर रावत ने सांसद बलूनी की कमजोर नस दबा दी है क्योंकि ये चर्चा कहीं और नहीं बल्कि बीजेपी कॉरिडोर्स में भी ख़ूब चलती रहती है कि सांसद अनिल बलूनी वीकेंड में उत्तराखंड को लेकर प्रेस रिलीज़ पॉलिटिक्स करते हैं। बहरहाल अब हरदा के वार पर बलूनी के पलटवार का इंतजार है तब तक आप पढ़िए हरदा और बलूनी ने एक-दूसरे को लेकर क्या क्या लिखा है।


हरदा का लिखा हुबहू:

थैंक्यूबलूनीजी, आपने मुझे हरद्वारी लाल कहकर संबोधित किया। अल्मोड़ा के लोगों का दिल बहुत बड़ा है, उनको यह जानकर के खुशी होगी कि उनका हरीश रावत हरिद्वार का दिल जीत सका और विपक्ष को भी उसको हरद्वारी लाल कहकर संबोधित करना पड़ा। हरिद्वार हमारी उत्तराखंड की धरती का एक गौरवपूर्ण हिस्सा है और मैं जिस उत्तराखंडियत के झंडे को लेकर के चलता हूंँ, हरिद्वार उस उत्तराखंडियत के झंडे का अभिन्न अंग है और उस उत्तराखंडियत के झंडे का जो चमकीला अंश है, रंग है वो अल्मोड़ियत है। हमारी संस्कृति का गौरवपूर्ण हिस्सा अल्मोड़ा और अल्मोड़े की अल्मोड़ियत। आप चिंता न करें, आपके बड़े भाई हरीश रावत का दिल इतना बड़ा है कि वो हरिद्वार के गन्ने की लड़ाई के साथ भटवाड़ी और साईंपोतो के मडुवे की लड़ाई भी लड़ सकता है। हमने तो अपने छोटे भाइयों से बहुत कुछ सीखा। आपसे हमने मुलामियत सीखी, लेकिन कभी अपने बड़े भाई से भी सीख लो कि कैसे दिल बड़ा किया जाता है और उस दिल में सभी को कैसे समाहित किया जाता है! खैर आपने मेरे दिल को पहचाना और मुझे हरद्वारी लाल कहा, मैंने तो खुद अपने आपको गन्नामैन कहा, क्योंकि मैं गन्ने की भी लड़ाई लड़ रहा हूं। मैं उस हर संघर्षशील आवाज की पहचान हूं जो अपने विकास और अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं। आइये इस भाव में तो कम से कम, हम और आप साथ-साथ चल सकते हैं, बशर्ते मेरे साथ चलने में आपको कोई राजनैतिक नुकसान न हो। मगर आपने हरद्वारी लाल तो कह दिया और बहुत सारी बातें भी कह दी, मगर जो मेरे साथ आप विकास-विकास खेलना चाहते थे, रोजगार-रोजगार खेलना चाहते थे, उसका आपने कोई जिक्र नहीं किया वो खेल कब होगा, जरा मुझे भी उसकी तिथि-वार बता दीजिये। शायद आप कुछ वार-विपवार निकाल रहे होंगे, जब निकल जाएगा तो मुझे भी बता दीजिएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

अब इससे पहले बलूनी का लिखा हुबहू पढ़िए:

आदरणीय रावत जी,
अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे मगर जबसे आप हरदा से हरद्वारी लाल बने,आपने अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी है । अब आपने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टीकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले मे टांग लिया है।

सर्वविदित है कांग्रेस की शुरुआत ही तुष्टिकरण से शुरू हुई है। देश का विभाजन हो, कश्मीर की समस्या हो, प्रभु राम के मंदिर के प्रकरण में बाधा डालना हो, उनके अस्तित्व को न्यायालय में नकारना हो, शाहबानो का केस हो या तीन तलाक का मसला। आपकी पार्टी तुष्टीकरण को वैतरणी मानकर चलती आई है। आप भी उसी राह पर चलेंगे यह स्वाभाविक है।

केवल किसी धर्म विशेष का प्रतीक धारण करने से तुष्टीकरण का आरोप नहीं लग सकता है बल्कि उस एजेंडे पर एक के बाद एक फैसले लेकर आपने अपनी छवि स्थापित की है। आपने राज्य के मुख्यमंत्री रहते कई ऐसे फैसले लिये जो तुष्टीकरण की चादर ओढ़े थे। आपके इस प्रिय एजेंडे ने मीडिया को भी तुष्टीकरण का शिकार बनाया। आपने ईद पर केवल उर्दू अखबारों को विज्ञापन देकर न जाने क्या संदेश देना चाहा होगा। आपने इसी सोच के तहत अप्रत्याशित रूप से जिन 2 सीटों से चुनाव लड़ा उसे भी आपने तुष्टीकरण के भरोसे लड़ा।

आप बड़े हैं, आदरणीय हैं, आपने अपनी पार्टी के लिए बहुत समय और योगदान दिया है। काग्रेस की सोच के अनुरूप आपने चुनाव से कुछ माह पूर्व तुष्टीकरण का एजेंडा परोस दिया है। कांग्रेस शायद इसी के इर्द-गिर्द चुनाव भी लड़ेगी। आप तुष्टिकरण को अलादीन का चिराग मान कर इसी एजेंडे के तहत 2022 के चुनाव में जाना चाह रहे हैं ।

बीजेपी नेशनल मीडिया हेड और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी


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