
NPS vs OPS News: पुरानी पेंशन योजना यानी OPS को लेकर अब उत्तराखंड में भी सियासत गरमाने लगी है। कांग्रेस और कई नॉन भाजपाई राज्यों में OPS फिर से लागू करने से महाराष्ट्र के शिंदे सरकार से लेकर कई भाजपाई सरकार इसका दबाव महसूस कर रही हैं। उत्तराखंड में भी OPS लागू करने की डिमांड काफी समय से की जा रही है और अब कांग्रेस इस मुद्दे पर राज्य की धामी सरकार को निशाने पर ले रही है।
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चल रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आज नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने OPS के मुद्दे पर धामी सरकार को निशाने पर लिया। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि आज ओपीएस एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है और देशभर में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए मुखर हैं।
यशपाल आर्य ने कहा कि सरकारी कर्मचारी समय-समय पर ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने के लिए सरकार पर दबाव बनाते रहते हैं। आर्य ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की मांग की वजह से राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में कांग्रेस की सरकारों ने पुरानी पेंशन लागू करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि जो कर्मचारी 2005 के बाद भर्ती हुए हैं, उन्हें पेंशन नहीं मिलती है और ना ही उनको पेंशन मिलने की कोई आशा है। जबकि नेताओं, आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और जजों को 2005 की नियुक्ति के बाद भी पेंशन मिलती है। यशपाल आर्य ने कहा कि यह सरकारी कर्मचारियों के साथ अत्याचार है। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि यहां तक कि सांसदों और विधायकों को भी ओल्ड पेंशन ही मिलती है। आर्य ने कहा कि विधायिका और न्यायपालिका को भी पुरानी पेंशन मिलती है। इसके साथ ही सेना को भी ओल्ड पेंशन दी जाती है।
यशपाल आर्य ने कहा कि अगर न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS इतनी ही अच्छी है तो सरकार में बैठे लोग और जहां जहां अभी भी ओल्ड पेंशन योजना लागू है वहां भी NPS को क्यों नहीं लागू नहीं करते?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सेना और न्यायपालिका को नई पेंशन स्कीम के दायरे में क्यों नहीं रखते?
आर्य ने कहा कि नई पेंशन स्कीम और कुछ नहीं बल्कि यह सिर्फ और सिर्फ कर्मचारियों का शोषण है।
यशपाल आर्य ने कहा कि अगर भाजपा सरकार एक देश, एक विधान और एक संविधान की पक्षधर है तो उसे एक ही पेंशन स्कीम पूरे देश में लागू करनी चाहिए।
आर्य ने धामी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार ये जवाब दे सकती है कि ये केंद्रीय विषय है तो मैं आपकी जानकारी में लाना चाहूंगा कि संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची का बिन्दु संख्या 42 स्पष्ट कहता है कि स्टेट पेंशन जो राज्य की समेकित निधि (कंसोलिडेटेड फंड) से दी जाएंगी, उन पर राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सत्तापक्ष का यह कहना उचित नहीं होगा कि ओल्ड पेंशन स्कीम केन्द्र सरकार द्वारा ही दी जा सकती है।
कांग्रेस नेता आर्य ने कहा कि कोरोना काल में जहां लाखों युवाओं की नौकरियां चली गई थी, वहां इनमें से बड़ी संख्या में युवा ऐसे थे जो अपने माता-पिता को पेंशन के रूप में मिलने वाली ऑक्सीजन पर निर्भर थे। उन्होंने कहा कि भारतीय सरकारी बैंक गौतम अडानी और मुकेश अंबानी जैसे उद्योगपतियों के लाखों करोड़ रुपए के कर्ज़ राइट ऑफ कर माफ कर देते हैं। इसके बाद इन्हीं उद्योगपतियों को बैंक करोड़ों रुपए के कर्ज़ देते रहते हैं,तब न सरकार, RBI या किसी सरकारी बैंक पर कोई मुसीबत नहीं आती है!
यशपाल आर्य ने कहा कि आज जब कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते की बढ़ोतरी संबंधी खबरें और उससे पड़ने वाले वित्तीय भार की गणना के समाचार अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर छापे जाते हैं। आज कर्मचारी पेंशन आंदोलन के लिए दिन-रात एक किए हुए है क्योंकि पेंशन उनके लिए सम्मानजनक जीवन के अपने अधिकार की लड़ाई है।
अंत में यशपाल आर्य ने कहा, “मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करें एवं केन्द्र सरकार को भी इसके लिए अपनी सिफारिश भेजें।”